ISRO ने डेवलप किया 'नाविक' नेविगेशन सिस्टम, GPS को कर सकता है रिप्लेस

टेक्नोलॉजी कंपनी Qualcomm ने ISRO द्वारा विकसित इस टेक्नोलॉजी का परीक्षण पूरा कर लिया है। इसका नाम नेविगेशन विद इंडियन कॉन्सटेलेशन (नाविक) सिस्टम रखा गया है

By Harshit HarshEdited By: Publish:Tue, 15 Oct 2019 05:31 PM (IST) Updated:Tue, 15 Oct 2019 07:28 PM (IST)
ISRO ने डेवलप किया 'नाविक' नेविगेशन सिस्टम, GPS को कर सकता है रिप्लेस
ISRO ने डेवलप किया 'नाविक' नेविगेशन सिस्टम, GPS को कर सकता है रिप्लेस

नई दिल्ली, टेक डेस्क। आजकल हमें किसी नई जगह जाना हो और हमें रास्ता पता न हो तो हम GPS यानी कि ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम के सहारे जाते हैं। इस फीचर वाले ऐप्स जैसे कि Google Maps, Here Map आदि के जरिए हम दुनिया भर में कहीं भी नेविगेट कर सकते हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) भी GPS की तरह ही 'नाविक' ग्लोबल पोजिशनिंग टेक्नोलॉजी डेवलप कर रहा है। इस तकनीक को इस साल के अंत तक रिलीज किया जाएगा, जो आपको स्मार्टफोन से लेकर अन्य पोजिशनिंग डिवाइस के द्वारा एक्सेस किया जा सकेगा।

आपको बता दें कि GPS को अमेरिकी वैज्ञानिकों ने डेवलप किया था। आज इसकी मदद से दुनिया भर में कहीं भी जाया जा सकता है। टेक्नोलॉजी कंपनी Qualcomm ने ISRO द्वारा विकसित इस टेक्नोलॉजी का परीक्षण पूरा कर लिया है। इसका नाम नेविगेशन विद इंडियन कॉन्सटेलेशन (नाविक) सिस्टम रखा गया है, जो कि ISRO के सैटेलाइट के जरिए काम करता है। इसे भारतीय उपमहाद्वीप में GPS के विकल्प के तौर पर विकसित किया गया है।

इस सिस्टम को नई दिल्ली में आयोजित टेक्नोलॉजी के महाकुंभ IMC 2019 में शोकेस किया गया है। ISRO ने कहा कि Qualcomm ने इस तकनीक को अपने चिपसेट के लिए खरीदा है। ये इस साल नवंबर से मोबाइल निर्माता कंपनियों के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा। Qualcomm दुनिया की पहली कंपनी है, जिसने ISRO की इस तकनीक को खरीदा है। इस तकनीक के जरिए भारतीय उपमहाद्वीप की भौगोलिक स्तिथि का पता लगाया जा सकेगा।

ISRO NAVIC को पूरी तरह से भारत में विकसित किया गया है। इस सिस्टम के जरिए देश के सूदूर इलाकों की भौगोलिक स्तिथि का पता लगाय जा सकेगा। अमेरिका द्वारा विकसित GPS नेविगेशन सिस्टम के जरिए इस समय देश के सभी डिवाइसेज कनेक्टेड हैं। आपका स्मार्टफोन हो या स्मार्ट वॉच या फिर लोकेशन ट्रैकर, GPS के द्वारा ही पोजिशन ट्रैकिंग की जाती है। इस नए वैकल्पिक नेविगेशन सिस्टम के विकसित होने के बाद कई डिवाइसेज में इस सिस्टम के जरिए भी भौगोलिक स्तिथि का पता लगाया जा सकेगा।

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