Vastu Upay: ऐसी दीवारें घर में लाती हैं दरिद्रता, रंग करवाते समय वास्तु नियमों का रखें ध्यान

वास्तु शास्त्र में घर की दीवारों का भी महत्व बताया गया है। अगर घर की दीवारों के लिए भी वास्तु शास्त्र का ध्यान रखा जाए तो आपको शुभ फल प्राप्त होते हैं। वहीं इन नियमों को नजरअंदाज करने पर व्यक्ति को कई तरह की परेशानियां भी झेलनी पड़ सकती हैं।

By Suman SainiEdited By: Publish:Sat, 10 Jun 2023 06:22 PM (IST) Updated:Sat, 10 Jun 2023 06:22 PM (IST)
Vastu Upay: ऐसी दीवारें घर में लाती हैं दरिद्रता, रंग करवाते समय वास्तु नियमों का रखें ध्यान
Vastu Upay घर की दीवारों के लिए वास्तु उपाय।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Vastu Upay: सभी लोगों को अपना घर बहुत प्यारा होता है। लोग बड़े ही प्यार से इसे बनाते और सजाते हैं। वास्तु शास्त्र में घर की हर छोटी बड़ी चीज के लिए कुछ-न-कुछ नियम बताए गए हैं। जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। इस ऊर्जा के प्रभाव से घर में रहने वाले लोगों के जीवन में भी आनंद बना रहता है। वास्तु के अनुसार, किसी भी घर की चारदीवारी बहुत महत्वपूर्ण होती है। चारदीवारी न केवल किसी स्थान की सीमाएं निर्धारित करती है, बल्कि ऊर्जा के जरूरत से ज्यादा प्रवाह पर रोक भी लगाती है।

क्या होनी चाहिए ऊंचाई

घर की बाहरी चारदीवारी की उपयुक्त ऊंचाई मुख्य प्रवेशद्वार की ऊंचाई से तीन चौथाई अधिक होनी चाहिए। पश्चिम और दक्षिण दिशाओं की दीवारों की ऊंचाई उत्तर और पूर्व दिशाओं की दीवारों की तुलना में 30 सेमी.अधिक होनी चाहिए। वहीं पश्चिम और दक्षिण दिशाओं की दीवारें उत्तर और पूर्व दिशाओं की चारदीवारों से अधिक मोटी भी होनी चाहिए इससे सकारात्मक ऊर्जा चारदीवारी के अंदर के भूभाग में सुरक्षित रहेगी और दक्षिण-पश्चिम से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा बाहर ही रह जाएगी।

कैसा बनवाएं झरोखा

यदि प्लॉट के चारों तरफ बाउंड्री बनवानी है तो इन बातों का ध्यान रखें। यह बाउंड्री लकड़ी, लोहे का बनवा सकते है। लेकिन इसमें ध्यान रखने की जरूरत है कि लकड़ी के फट्टे अथवा लोहे की पट्टियां हमेशा आड़ी ही लगवानी चाहिए। क्योंकि इनको खड़ी लगवाने से बना हुआ फेंस सकारात्मक ऊर्जा को उल्टा कर देता है। वर्टिकल फेंस को सिर्फ उत्तर-पूर्व के भाग में खड़ा किया जाए तो इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भवन में अच्छा होगा। इसी प्रकार उत्तर-पूर्व कोण के भाग में यदि ईटों की चारदीवारी खड़ी करनी है तो यहाँ की दीवारों में झरोखा रखें। इसे शुभ माना जाता है। अगर ईंट की चारदीवारी के उत्तरी या पूर्वी भाग की सीध में कोई सामने से आती हुई सड़क है तो ऐसी स्थिति में वहां दीवार में जाली-झरोखा बिल्कुल नहीं बनवाना चाहिए। अगर जमीन प्राकृतिक तौर पर दक्षिण से उत्तर और पश्चिम से पूर्व की ओर ढलवां है तो ऐसी जगह पर उत्तर-पूर्व कोण की चारदीवारी में भी झरोखा बनवाने की जरुरत नहीं है।

कैसा होना चाहिए दीवारों का रंग

वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि भवन में दीवारों में कहीं भी दरार नहीं होनी चाहिए। और न ही रंग-रोगन उखड़ा होना चाहिए। ऐसा होने पर वहां रहने वाले सदस्यों को जोड़ों में दर्द, गठियाँ, साइटिका, कमर दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। घर की अंदर की दीवारों पर रंग और पेंट करवाते समय भी वास्तु के कुछ नियमों का ध्यान जरूर रखें। गहरा नीला या काला रंग वायु रोग, हाथ पैरों में दर्द, नारंगी या गहरा पीला रंग ब्लड प्रेशर, गहरा चटक लाल रंग रक्त विकार एवं दुर्घटना तथा गहरा हरा रंग सांस, अस्थमा एवं मानसिक रोगों का कारण बन सकता है। परिवार के अच्छे स्वास्थ्य के लिए दिशानुसार नम्र, हल्के व सात्विक रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए।

किन बातों का ध्यान रखना जरूरी

समय-समय पर दीवारों को साफ करते रहना चाहिए। धूल-मिट्टी से भरी हुई गंदी दीवारें नकारात्मक ऊर्जा देती हैं। ध्यान रहे कोनों में मकड़ी के जाले नहीं लगे होने चाहिए। ये घर में तनाव का कारण बनते हैं। दीवारों पर पीक थूकना या किसी भी तरह से दाग-धब्बे लगाना दरिद्रता का सूचक हैं, इसलिए भूलकर भी ऐसा न करें।

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