शंख को घर के पूजा स्थल में रखने से होती है सौभाग्य में वृद्धि, पर ऐसा बिल्‍कुल ना करें

कहा जाता है कि पूजा में जब शंख बजाया जाता है तो इसकी ध्वनि से आकर्षित होकर भगवान विष्णु पूजा स्थल की ओर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Thu, 15 Sep 2016 12:40 PM (IST) Updated:Fri, 16 Sep 2016 09:15 AM (IST)
शंख को घर के पूजा स्थल में रखने से होती है सौभाग्य में वृद्धि, पर ऐसा बिल्‍कुल ना करें

शंख को घर के पूजा स्थल में रखने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। वेद पुराणों की मानें तो शंख समुद्रमंथन के दौरान उत्पन्न हुआ है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि जहां शंख होता है वहां महालक्ष्मी का वास होता है। शंख की आवाज से वातावऱण में शुद्धता आती है। भारतीय संस्कृती और बौद्ध धर्म में शंख का महत्व काफ़ी ज़्यादा है। पूजा पाठ में तो इसे इस्तेमाल किया ही जाता है, साथ ही इसकी पूजा भी की जाती है। हर अच्छी शुरुआत से पहले इसे बजाना शुभ माना जाता है। साथ ही ये भी मान्यता है कि महाभारत की शुरूआत भी श्री कृष्ण के शंखनाद से ही हुई थी।

क्या आप जानते हैं कि शंख के भी प्रकार होते हैं, जिसे अलग-अलग तरीके से उपयोग में लाया जाता है।

1. दक्षिणावर्ती शंख, 2. वामावर्ती शंख, 3. गौमुखी शंख, 4. कौड़ी शंख,5. मोती शंख, 6. हीरा शंख

शंख को कुबेर का भी प्रतीक माना जाता है, जो धन के देवता हैं। यही कारण है कि लोग इसकी पूजा करते हैं।शंखनाद करने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है। ये भी कहा जाता है कि शंखनाद करने से दिल की बीमारी नहीं होती।

भारतीय संस्कृति में ये भी माना जाता है कि भगवान विष्णु के 4 हाथों में से एक हाथ में शंख होता है, और उन्हें सुदर्शन चक्र की ही तरह शंख से भी प्रेम है। जहां शंख की पूजा होती है, भगवान विष्णु उस जगह ज़रूर वास करते हैं। पुराण और वेदो में भी इसका ज्रिक किया गया है। बताया जाता है कि शंख की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी, जिसके बाद उसे भगवान विष्णु ने धारण किया था। शंख के आगे के हिस्से में सूर्य और वरूण देव का वास होता है जो घर में सकारात्मक उर्जा फैलाते हैं। साथ ही उसके पिछले हिस्से को गंगा का रूप माना जाता है जो शुद्धता का प्रतीक होता है। शंखनाद करने से जो ध्वनी उत्पन्न होती है उससे कई तरह के सूक्ष्म जीवाणु भी मारे जाते हैं।

विज्ञान भी शंखनाद की उपयोगिता को मानता है. इसके उपयोग से फेफड़े स्वस्थ रहते हैं और दिल की किसी भी तरह की बीमारी का डर खत्म होता है। अगर आपको रक्तचाप की समस्या है तो उसका भी रामबाण इलाज है शंखनाद।

शंखनाद करते वक़्त कुछ बातों का ध्यान रखना काफ़ी महत्वपूर्ण होता है:

जिस शंख को बजाया जाता है उसे पूजा के स्थान पर कभी नहीं रखा जाता

जिस शंख को बजाया जाता है उससे कभी भी भगवान को जल अर्पण नहीं करना चाहिए

एक मंदिर में या फ़िर पूजा स्थान पर कभी भी दो शंख नहीं रखने चाहिए

पूजा के दौरान शिवलिंग को शंख से कभी नहीं छूना चाहिए

भगवान शिव और सूर्य देवता को शंख से जल अर्पण कभी भी नहीं करना चाहिए

पूजा की शुरूआत और पूजा में आरती के बाद शंख को बजाया जाता है। पूजा में शंख को बजाने को लेकर कई नियम हैं।

1.धार्मिक मान्यताओं की मानें तो शंख का संबंध भगवान विष्णु से है। इस भगवान विष्णु के चार आयुध शस्त्रों में गिना जाता है। भगवान विष्ण के हाथों में चक्र, गदा, पदम यानी कमल का फूल और की तरह शंख भी होता है।

2.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार य़ह भी कहा जाता है कि कहा जाता है कि पूजा में जब शंख बजाया जाता है तो इसकी ध्वनि से आकर्षित होकर भगवान विष्णु पूजा स्थल की ओर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। इससे न सिर्फ शंख बजाने वाले को लाभ होता है बल्कि जो पूजा में शामिल हैं उन्हें भी इसका फायदा मिलता है।

3.शंख को पूजा स्थल में कपड़े में लपेटकर रखना चाहिए। इसके साथ ही शंख को घर के पूजा के कमरे में आसन पर रखना चाहिए।

4. घर में शंख को सबुह और शाम ही बजाना चाहिए। इसके अलावा शंखो को नहीं बजाना चाहिए।

5. मंदिर में एक से ज्यादा शंख नहीं होने चाहिए।

6. शंख को होली, दिवाली जैसे शुभ मुहर्त में ही पूजा स्थल में स्थापित किया जाना चाहिए।

7.अपना शंख न तो किसी को इस्तेमाल करने दें और न ही किसी और का शंख आप इस्तेमाल करें।

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