पुरी का जगन्नाथ मंदिर

ओडिशा में पुरी के जगन्नाथ धाम को नीलांचल धाम, श्रीक्षेत्र, पुरुषोत्तम क्षेत्र, शंख क्षेत्र आदि से भी जाना जाता है। जनश्रुति है कि सतयुग में अवंती नगरी के राजा इंद्रद्युम्न विष्णु के परम भक्त थे।

By Edited By: Publish:Fri, 12 Jul 2013 12:07 PM (IST) Updated:Sat, 13 Jul 2013 11:21 AM (IST)
पुरी का जगन्नाथ मंदिर

ओडिशा में पुरी के जगन्नाथ धाम को नीलांचल धाम, श्रीक्षेत्र, पुरुषोत्तम क्षेत्र, शंख क्षेत्र आदि से भी जाना जाता है। जनश्रुति है कि सतयुग में अवंती नगरी के राजा इंद्रद्युम्न विष्णु के परम भक्त थे।

वे अपने राज्य में विष्णु का विशाल मंदिर बनाना चाहते थे, जहां वे विष्णु के नए रूप को प्रतिष्ठापित करना चाहते थे। नीलमाधव विग्रह न मिलने पर काष्ठ के विग्रह मंदिर के लिए बनवाते हैं। लेकिन वे विग्रह अधूरे ही रह जाते हैं और अंतत: अधूरे विग्रहों की ही प्रतिष्ठा करनी पड़ती है। यद्यपि जनश्रुति में वर्णित मंदिर का आज कहीं अस्तित्व नहीं मिलता है, लेकिन जो मंदिर आज जगन्नाथ धाम से ख्यात है, उसका निर्माण कार्य 12वीं सदी में गंग साम्राज्य के शक्तिशाली नरेश अनंतवर्मन के द्वारा आरंभ करवाया गया था। वह पुरुषोत्तम क्षेत्र यानी पुरी में ऐसा मंदिर बनवाना चाहते थे, जो न केवल भव्य हो, बल्कि दीर्घकालिक भी हो। यह मंदिर 1147 ई. में बनना आरंभ हुआ और 1178 में अनंतवर्मन के पौत्र अनंग भीमवर्मन के काल में पूरा हुआ।

मंदिर की विशालता के कारण उनके राज्य का सारा राजस्व इसके निर्माण पर लगता रहा। जगन्नाथ मंदिर परिसर लगभग 10 एकड़ भूमि पर फैला है, जो एक ऊंचे चबूतरे पर बना है। यह चारों ओर से सात मीटर ऊंची दीवार से घिरा है। मंदिर में चारों ओर चार प्रवेश द्वार हैं, किंतु सिंह द्वार ही मुख्य प्रवेश द्वार है। इसके भीतर प्रवेश करने पर मुख्य मंदिर तक जाने को सीढि़यां हैं।

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