विश्वनाथ मंदिर में पत्थरों का क्षरण खतरे का संकेत

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य भवन की दीवारों पर एनामिल पेंट के साथ ही नींव का नीचा होना, सीलन और सूरज की रोशनी न पहुंचना भी पत्थरों को नुकसान पहुंचा रहा है। निरंतर क्षरण खतरे का संकेत दे रहा है। इससे मंदिर भवन झुकने की प्रक्रिया में है। न्यास परिषद

By Preeti jhaEdited By: Publish:Mon, 15 Feb 2016 11:35 AM (IST) Updated:Mon, 15 Feb 2016 11:36 AM (IST)
विश्वनाथ मंदिर में पत्थरों का क्षरण खतरे का संकेत

वाराणसी । श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य भवन की दीवारों पर एनामिल पेंट के साथ ही नींव का नीचा होना, सीलन और सूरज की रोशनी न पहुंचना भी पत्थरों को नुकसान पहुंचा रहा है। निरंतर क्षरण खतरे का संकेत दे रहा है। इससे मंदिर भवन झुकने की प्रक्रिया में है। न्यास परिषद की ओर से नियुक्त वास्तु सलाहकार राजपाल कौशिक के सर्वे में कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं। रविवार को न्यास अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी की ओर से उनके आवास पर बुलाई गई बैठक में उन्होंने वास्तुकारों व पुरातत्वविदों के सामने इसे रखा। नोएडा अथारिटी के पूर्व चीफ टाउन प्लानर राजपाल कौशिक ने कहा कि मंदिर के आसपास के भवनों का झुका होना भी खतरे का सबब बन सकता है। गलियों में छुट्टा पशुओं का विचरण, सीवर ओवर फ्लो व गंदगी भी प्रमुख तीर्थ स्थल की छवि पर धक्का लगा रही है।

वास्तुकारों व पुरातत्व विदों ने इससे इत्तेफाक जताया लेकिन यह भी बताया कि रूड़की का सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट भवन की मजबूती का आकलन कर रहा है। तकनीकी परीक्षण के बाद ही भवन की स्थिति के बारे में कुछ कहना उचित होगा। पूर्व के सर्वे व वर्तमान स्थिति को देखते हुए मंदिर के विकास व विस्तार को अन्य बिंदुओं पर सुधारात्मक कदम उठाने की कार्ययोजना बनाने का निर्णय लिया गया। तय किया गया कि इसके लिए बीएचयू व सीबीआरआइ के विशेषज्ञों से विचार विमर्श किया जाएगा। क्षरण रोकना व नींव की सुरक्षा पर विशेष जोर होगा। इसे न्यास परिषद में रखने के बाद शासन को भी भेजा जाएगा।
अतिथि गृह बाहर, केवल श्रद्धालु सुविधा पर जोरः मंदिर का विस्तार व विकास हेरिटेज व परंपराओं का ख्याल रखते हुए ही किया जाएगा। इसमें सिर्फ और सिर्फ श्रद्धालु सुविधाओं पर ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए अतिथि गृह जैसे प्रोजेक्ट किसी अन्य स्थान पर बनाए जाएंगे ताकि परिसर में गंदगी न हो। श्रद्धालु सुविधाओं के लिए तिरुपति बालाजी समेत अन्य मंदिरों को मानक के रूप में लिया जाएगा।

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