प्रकृति की सौगात है फाल्गुन का यह महीना

फाल्गुन मास में महाशिवरात्रि व होली जैसे बड़े त्यौहार मनाये जाते हैं इस कारण इस मास का धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक माना जाता है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Fri, 17 Feb 2017 03:40 PM (IST) Updated:Mon, 20 Feb 2017 10:39 AM (IST)
प्रकृति की सौगात है फाल्गुन का यह महीना
प्रकृति की सौगात है फाल्गुन का यह महीना

फाल्गुन यह मास हिंदू पंचाग का आखिरी महीना होता है इसके पश्चता हिंदू नववर्ष का आरंभ होता है। हिंदू पंचाग के बारह महीनों में पहला महीना चैत्र का होता है तो फाल्गुन आखिरी। फाल्गुन मास को मस्त महीने के तौर पर जाना जाता है। अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार यह महीना फरवरी या मार्च में पड़ता है। इस वर्ष यह मास 11 फरवरी से लेकर 12 मार्च तक रहेगा।

प्रकृति ने मनुष्य को कई सौगातें दी हैं उन्हीं में मौसम भी एक हैं। प्रत्येक मौसम हमें प्रकृति के अनेक रूप दिखाता है और हमें नए संदेश भी देता है। वैसे तो हर मौसम अपने आप में विशेष होता है लेकिन उन सभी में वसंत के मौसम का अपना एक अलहदा अदांज होता है। फाल्गुन का महीना और वसंत का मौसम जब साथ होते हैं तो धरती की तुलना सजी-धजी दुल्हन से की जाने लगती है।

मीलों तक फैले पीली सरसों के खेत देख ऐसा लगता है कि जैसे धरती ने पीली चुनर ओढ़ रखी है। पीले रंग से सजी संवरी यह दुल्हन रुपी वसंत रूपी अपने पति के आगमन की सूचना देती है। फाल्गुन के महीने में बौराए आमों की मदमस्त गंध और पलाश के पेड़ों के साथ तन-मन बौरा जाता है। हर वर्ष फाल्गुन का महीना आते ही सारा वातावरण जैसे रंगीन हो जाता है और हो भी क्यों न, खेतों में पीली सरसों लहलहाती है, पेड़ों पर पत्तों की हरी कौपलें और पलाश के केसरिया फूल। इन सब को देखकर मन भी अनायास ही रंगीन हो जाता है। ऐसा होता है फाल्गुन का खुमार।

दरअसल यह समय बसंत ऋतु का समय होता है। इस समय प्रकृति की विविध छटाएं देखने को मिलती हैं असल में पूरे वातावरण में एक अलग सी मादकता छायी रहती है। हर और नवजीवन का संचार नज़र आता है। सर्दी जा रही होती है और गर्मी आने की आहट होने लगती है यानि ना ही सर्दी और ना ही गर्मी इस तरह का मौसम खासकर उत्तरी भारत में होता है। प्रकृति के नज़रिये से यह मास जितना महत्वपूर्ण है उतना ही धार्मिक महत्व भी इस मास का होता है। फाल्गुन मास में 2 बड़े ही लोकप्रिय त्यौहार आते हैं जिन्हें देशभर में बड़े स्तर पर मनाया जाता है। भगवान भोलेनाथ की आराधना का त्यौहार महाशिवरात्रि व रंगों का त्यौहार होली इसी महीने में मनाये जाते हैं। तो आइये जानते हैं इस मास के महत्व व इसमें आने वाले त्यौहारों के बारे में।

फाल्गुन मास का महत्व

फाल्गुन मास में महाशिवरात्रि व होली जैसे बड़े त्यौहार मनाये जाते हैं इस कारण इस मास का धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक माना जाता है। एक और इसमें भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है तो वहीं भगवान द्वारा अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिये भी भगवान की पूजा करते हुए होलिका का दहन किया जाता है। इसके अलावा देश भर के नर नारी इससे अगले दिन रंग वाली होली मनाते हैं। यह पर्व भेदभाव को भूलाकर हमारी सांस्कृतिक एकता के महत्व को भी दर्शाता है। मान्यता है कि चंद्रमा की उत्पति अत्रि और अनुसूया से फाल्गुन मास की पूर्णिमा को हुई थी इस कारण गाजे-बाजे के साथ नाचते गाते हुए चंद्रोदय की पूजा भी की जाती है। चूंकि यह हिंदू वर्ष का अंतिम महीना होता है इस कारण अधिकरत धार्मिक वार्षिकोत्सव इसी महीने में आयोजित होते हैं। दक्षिण भारत में उत्तिर नाम का मंदिरोत्सव फाल्गुन मास की पूर्णिमा को आयोजित किया जाता है। इतना ही नहीं फाल्गुन द्वादशी यदि श्रवण नक्षत्र युक्त हो तो इस दिन भगवान विष्णु का उपवास करने की मान्यता भी है।

फाल्गुन मास के व्रत व त्यौहार

इस मास में प्रकृति में हर और उत्साह का संचार नजर आता है तो इस समय लोगों में भी एक नई ऊर्जा का संचार हो रहा होता है। इसी उर्जा और उत्साह से लोग फाल्गुन में इन प्रमुख त्यौहारों को मनाते हैं-

जानकी जयंती (सीता अष्टमी) – फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को माता सीता की जयंती के रूप मनाया जाता है। इस अष्टमी को जानकी जयंती और सीता अष्टमी के नाम से जाना जाता है।

विजया एकादशी – फाल्गुन कृष्ण पक्ष एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। एकादशी व्रत का अपना विशिष्ट महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उपवास रखा जाता है।

महाशिवरात्रि – फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान भोलेनाथ की आराधना का यह महापर्व मनाया जाता है।

फाल्गुनी अमावस्या – फाल्गुनी अमावस्या का भी धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है। दान पुण्य तर्पण आदि के लिये अमावस्या के दिन को विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।

आमलकी एकादशी – फाल्गुन शुक्ल एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है। इस उपवास करना बहुत ही शुभ माना जाता है। सुख समृद्धि व मोक्ष की कामना हेतु इस दिन उपवास किया जाता है व भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। रात्रि को जागरण करते हुए द्वादशी के दिन व्रत का पारण किया जाता है।

होली – फाल्गुन पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता है इस दिन होलिका पूजन कर सांय के समय होलिका दहन किया जाता है। होली दहन के अगले दिन रंग वाली होली खेली जाती है। होली का डंडा मघा पूर्णिमा के दिन गाड़ा जाता है और फाल्गुन पूर्णिमा तक इसके इर्द-गिर्द झाड़ व लकड़ियां इकट्ठी कर होलिका बनाई जाती है। होलिका दहन के समय दहकती हुई होलि से भक्त प्रह्लाद के प्रतीक के रूप में डंडे को जलने से बचाया जाता है आम तौर पर डंडा एरंड या गूलर वृक्ष की टहनी का होता है।

इस दौरान हिंदू धर्मावलंबी फाग महोत्सव भी मनाते हैं। जो इस मास की महिमा और बढ़ा देता है। रंगों का त्योहार होली भी फाल्गुन मास की पूर्णिमा को रंग, उत्साह, मस्ती और उल्लास का त्योहार मनाया जाता है। वसंत की हवा के झोंके, फाल्गुन की मस्ती और रंगों का सुरूर जीवन को उत्साहित कर देता है। ऐसा लगता है कि प्रकृति भी हमारे साथ-साथ फाल्गुन का मजा ले रही हो। फाल्गुन का यही उत्सवी माहौल इसे अन्य महीनों से जुदा बनाता है और खास भी।

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