देवी-देवताओं की जमीन हस्तांतरण करने पर सरकार से जवाब- तलब

कुल्लू के देवी-देवताओं की जमीन को पुजारियों, कारदारों व मुजारों के नाम हस्तांतरित करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका में राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर हाईकोर्ट ने जवाब तलब किया है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Sat, 19 Sep 2015 01:05 PM (IST) Updated:Sat, 19 Sep 2015 01:08 PM (IST)
देवी-देवताओं की जमीन हस्तांतरण करने पर सरकार से जवाब- तलब

शिमला । कुल्लू के देवी-देवताओं की जमीन को पुजारियों, कारदारों व मुजारों के नाम हस्तांतरित करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका में राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर हाईकोर्ट ने जवाब तलब किया है।

मुख्य न्यायाधीश मंसूर अहमद मीर व न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने देव संस्कृति चेरिटेबल ट्रस्ट कुल्लू की याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार वर्ष 1948-49 के राजस्व रिकार्ड में 90,744 बीघा जमीन कुल्लू के 624 देवी-देवताओं के नाम दर्ज थी, जिसे टेनंसी लैंड रिफार्म्स एक्ट व एबोलिशन ऑफ बिग लैंडिड एस्टेट एक्ट के प्रावधानों का दुरुपयोग करते हुए पुजारियों, कारदारों व मुजारों के नाम राजस्व विभाग द्वारा हस्तांतरित कर दिया गया।

आज केवल 8400 बीघा जमीन देवताओं के नाम दर्ज है। प्रार्थी संस्था ने गुहार लगाई है कि इस तरह के आदेशों को निरस्त किया जाए और देवी-देवताओं की जमीन वापस दिलाई जाए। मामले की जांच के लिए हाई लेवल कमेटी गठित करने की गुहार लगाई है जो इस बात का पता लगाए कि इस मामले में किन लोगों की मिलीभगत थी जिन्होंने देवी-देवताओं की जमीन का हस्तांतरण कर दिया। इसके अलावा कारदार मोहतबीन, मैनेजर, ट्रस्टी, महंत व गद्दी जो मंदिरों के कार्य के लिए नियुक्त किए गए हैं उनकी पारदर्शिता को जांचा जाए। मंदिरों के रखरखाव, चढ़ावे का लेखा-जोखा रखने के लिए भी जरूरी दिशानिर्देश जारी किए जाएं। मामले पर सुनवाई तीन नवंबर को होगी।

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