शर्मिष्ठा के कथक ने किए सुरों के तार झंकृत

श्रीराधा सनेह बिहारी मंदिर प्रांगण में चल रहे अखिल भारतीय स्वामी श्री हरिदास संगीत सम्मेलन एवं शास्त्रीय संगीत कला सम्मान का दूसरा दिन कथक, मोहिनी अट्टम और सितार वादन के नाम रहा। शर्मिष्ठा मुखर्जी और राजकुमारी गोपिका वर्मा ने राधा-कृष्ण की लीलाओं पर आधारित नृत्य ने दर्शकों का मन मोह लिया।

By Edited By: Publish:Tue, 17 Sep 2013 07:47 PM (IST) Updated:Tue, 17 Sep 2013 07:51 PM (IST)
शर्मिष्ठा के कथक ने किए सुरों के तार झंकृत

मथुरा, वृंदावन, जागरण संवाददाता। श्रीराधा सनेह बिहारी मंदिर प्रांगण में चल रहे अखिल भारतीय स्वामी श्री हरिदास संगीत सम्मेलन एवं शास्त्रीय संगीत कला सम्मान का दूसरा दिन कथक, मोहिनी अट्टम और सितार वादन के नाम रहा। शर्मिष्ठा मुखर्जी और राजकुमारी गोपिका वर्मा ने राधा-कृष्ण की लीलाओं पर आधारित नृत्य ने दर्शकों का मन मोह लिया।

सोमवार को कार्यक्रम के दूसरे दिन मंच पर प्रथम प्रस्तुति राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुत्री नृत्यांगना शर्मिष्ठा मुखर्जी ने दी। उन्होंने राधा-कृष्ण की प्राचीन कथाओं को कथक के माध्यम से प्रदर्शित किया। शर्मिष्ठा की पल-पल बदलती भाव-भंगिमाओं को दर्शक अपलक निहारते रहे। इसमें तृप्ति सान्वाल, शिवानी सहलोत्रा वर्मा, मुजफ्फर मुल्ला ने उनका साथ दिया। तबले पर अमान अली, विजय परिहार, सितार में उमा शंकर व किशोर पल्कवाज ने संगत दी। इसके बाद केरल की प्रसिद्ध नृत्यांगना राजकुमारी गोपिका वर्मा ने मोहिनी अट्टम नृत्य का अभिनव प्रदर्शन किया। भक्तिभाव व राधाकृष्ण की लीलाओं पर आधारित इस नृत्य को भी दर्शकों ने खूब सराहा। इसके बाद मंच पर फतेहअली खान ने सितार वादन की एकल प्रस्तुति दी।

इससे पूर्व समारोह का उद्घाटन अखिल भारतवर्षीय ब्राह्माण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश दत्त शर्मा, प्रख्यात गायक गौरव कृष्ण गोस्वामी ने संयुक्त रूप से किया। समारोह में आचार्य अतुल कृष्ण गोस्वामी व आचार्य विपुल कृष्ण गोस्वामी ने कलाकारों को संगीत कलारत्न से सम्मानित किया।

ये थे मौजूद

इस दौरान स्वामी जगदानंद महाराज, महंत फूलडोल बिहारीदास, बाबा रंगीली शरण, राधाबिहारी गोस्वामी, सपा जिलाध्यक्ष गुरुदेव शर्मा, बिहारीलाल वशिष्ठ, बिंदू गोस्वामी, अशोक गोस्वामी, युगल किशोर, हरेकृष्ण, भीकमचंद, बालकृष्ण, बालो सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।

शास्त्रीय संगीत संपूर्ण शास्त्र: शर्मिष्ठा

शास्त्रीय नृत्य एवं संगीत एक खास वर्ग की पसंद होता है। ये हमारी परंपराओं के संवर्धन में सहायक हैं। फिल्म देखने और पॉप म्यूजिक सुनने वाले इसे नहीं समझ पाते। यह कहना है कथक नृत्यांगना और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुत्री शर्मिष्ठा मुखर्जी का। वो यहां राधासनेह बिहारी मंदिर प्रांगण में चल रहे श्रीहरिदास संगीत सम्मेलन में शिरकत करने आई थीं।

पत्रकारों से सोमवार को बातचीत में शर्मिष्ठा ने कहा कि शास्त्रीय संगीत में वही व्यक्ति रुचि ले सकता है जिसे इसकी जानकारी हो। शास्त्रीय संगीत सिर्फ विधा नहीं परंपरा भी है, जिसे नई पीढ़ी भूलती जा रही है। फिल्मी संगीत पर उनका कहना था कि इसकी कोई शैली नहीं होती। जबकि शास्त्रीय संगीत संपूर्ण शास्त्र है। जिसके अध्ययन के लिए समर्पित साधना करनी पड़ती है। शर्मिष्ठा ने कथक जयपुर घराने से सीखा है।

मैं गौरवान्वित हूं: गोपिका

केरल से आई मोहिनी अट्टम कलाकार राजकुमारी गोपिका वर्मा का कहना था कि मैं भगवान कृष्ण, राधा और स्वामी हरिदास की भूमि प्रस्तुति देकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। मणिपुरी नर्तक सिनम वसु ने कहा कि मणिपुर और ब्रज का रास एक जैसा है। वह यहां कृष्णा अभिसार, कृष्णा नृतन, कामदेव नृतन, राधा अभिसार, दशावतार आदि नृत्य की प्रस्तुति देने आए हैं।

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