अब तक 67,80,000 रामनाम लिखकर अंतरराष्ट्रीय सीताराम बैंक में जमा किए जा चुके हैं

बेलवाकाजी गांव के सेवानिवृत शिक्षक साधुशरण पांडेय ने कामकाज के साथ राम नाम जोड़कर समूचे गांव को आध्यात्मिक बना दिया है। उनकी प्रेरणा से आज पूरा गांव रामनाम की माला जप रहा है। गांव के बच्चे भी समय निकाल कर उनके सानिध्य में सीताराम का लेखन करते हैं। अब तक

By Preeti jhaEdited By: Publish:Sat, 28 Mar 2015 04:43 PM (IST) Updated:Sat, 28 Mar 2015 04:48 PM (IST)
अब तक 67,80,000 रामनाम लिखकर अंतरराष्ट्रीय सीताराम बैंक में जमा किए जा चुके हैं

महराजगंज। बेलवाकाजी गांव के सेवानिवृत शिक्षक साधुशरण पांडेय ने कामकाज के साथ राम नाम जोड़कर समूचे गांव को आध्यात्मिक बना दिया है। उनकी प्रेरणा से आज पूरा गांव रामनाम की माला जप रहा है। गांव के बच्चे भी समय निकाल कर उनके सानिध्य में सीताराम का लेखन करते हैं। अब तक उनके द्वारा 67,80,000 रामनाम लिखकर अयोध्या स्थित अंतरराष्ट्रीय सीताराम बैंक में जमा किए जा चुके हैं।

बेलवाकाजी प्राथमिक विद्यालय से बतौर प्रधानाध्यापक 2004 में सेवानिवृत हुए साधुशरण पांडेय को रामनाम की धुन 2005 में लगी। अयोध्या में रामनवमी के दिन रामलला के दर्शन करने गए पांडेय को विद्वत जनों ने चर्चा के दौरान बताया कि एक बार सीताराम नाम लिखने पर एक हजार बार जपने का फल मिलता है। फिर क्या नाम के साथ दिल व दिमाग से भी साधुशरण संतों की वाणी को गांठ बांधकर घर चले आए। गांव आते ही उन्होंने सीताराम लिखना आरंभ कर दिया। साधुशरण के अनवरत सीताराम लिखने से प्रेरित होकर आस- पास के बच्चे व बड़े बुजुर्ग भी उनके साथ हो लिए हैं। इन सबके द्वारा सुबह व शाम सीताराम नाम का लेखन जाप किया जाता है। ढलती उम्र में एक सेवानिवृत शिक्षक द्वारा दिखाई गई राह से आज पूरा गांव आस्था के सागर में गोते लगा रहा है।

नवरात्र में तो गांव का पूरा वातावरण ही भक्तिमय हो गया है। साधुशरण पांडेय की प्रेरणा से गांव की शांति चौधरी, अर्चना, सलहंती यादव, पूजा, अर्चना, अमित नियमित रुप से सीताराम का लेखन करते हैं।

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