Pauranik Kathayen: जब महिषासुर से सभी देवताओं ने मान ली थी हार तब मां दुर्गा ने लिया था यह अवतार

Pauranik Kathayen नवरात्रि का पर्व शुरू हो चुका है और जल्द ही विजयदशमी का त्यौहार आने वाला है। इस वर्ष विजयदशमी 25 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन की कहानी भी यह है कि इस दिन ही मां भगवती ने महिषासुर का संहार किया था।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 18 Oct 2020 06:00 AM (IST) Updated:Sun, 18 Oct 2020 01:02 PM (IST)
Pauranik Kathayen: जब महिषासुर से सभी देवताओं ने मान ली थी हार तब मां दुर्गा ने लिया था यह अवतार
Pauranik Kathayen: जब महिषासुर से सभी देवताओं ने मान ली थी हार तब मां दुर्गा ने लिया था यह अवतार

Pauranik Kathayen: नवरात्रि का पर्व शुरू हो चुका है और जल्द ही विजयदशमी का त्यौहार आने वाला है। इस वर्ष विजयदशमी 25 अक्टूबर को मनाई जाएगी। कहा जाता है कि इस दिन भगवान राम, रावण का वध कर अयोध्या वापस लौटे थे। वहीं, इस दिन की कहानी भी यह है कि इस दिन ही मां भगवती ने महिषासुर का संहार किया था। वैसे तो यह दोनों ही कथाएं आप सभी ने कई सुनी होंगी। लेकिन जिन्हें नहीं पता उन्हें हम दैत्यराज महिषासुर कौन था? और कैसे मां दुर्गा ने उसका वध किया था, इसकी जानकारी देने जा रहे हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार, दैत्यराज महिषासुर के पिता रंभ असुरों के राजा थे। रंभ को एक बार एक भैंस से प्रेम हो गया जो जल में रहती थी। रंभ और भैंस के योग से ही महिषासुर का जन्म हुआ। यही कारण था कि वह अपनी इच्छानुसार भैंस और इंसान में रूप बदल सकता था। कहा जाता है कि महिषासुर सृष्टिकर्ता ब्रह्मा का महान भक्त था। उसे ब्रह्मदेव ने वरदान दिया था कि उस पर कोई भी देवता और दानव विजय प्राप्त नहीं कर पाएगा।

वरदान मिलने के बाद महिषासुर स्वर्ग लोक में उत्पात मचाने लगा। सभी देवता उससे बेहद परेशान हो चुके थे। फिर एक दिन महिषासुर ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया। महिषासुर ने इंद्र को परास्त किया और स्वर्ग पर कब्जा कर लिया। उसने सभी देवताओं को वहां से बाहर कर दिया। सभी देवगण इससे परेशान होकर त्रिमूर्ति ब्रम्हा, विष्णु और महेश के पास गए। सभी ने उसे परास्त करने के लिए युद्ध किया लेकिन वे सभी महिषासुर से हार गए।

जब किसी को कोई उपाय नहीं मिला तो देवताओं ने दुर्गा का सृजन किया। इन्हें ही शक्ति और पार्वती के नाम से जाना गया। दुर्गा मां ने महिषासुर पर आक्रमण किया और लगातार नौ दिनों तक उससे युद्ध किया। यही कारण है कि हिंदू धर्म में दस दिनों तक दुर्गा पूजा मनाई जाती है। वहीं, दसवें दिन को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। महिषासुर के मर्दन के कारण ही मां दुर्गा का नाम महिषासुद मर्दिनी पड़ा। मान्यता है कि सभी देवताओं के अस्त्र-शस्त्र मां कात्यायनी को मिले थे और उन्होंने ही महिषासुर का वध किया था. मां कात्यायनी नौ दुर्गा में से एक हैं।  

chat bot
आपका साथी