Pauranik Katha: जब ब्रह्मा जी ने ली थी श्रीकृष्ण की परीक्षा, प्रभु की लीला देख हो गए थे अचंभित

Pauranik Katha जब श्री कृष्ण अपनी बाल्यावस्था में थे यह तब की कथा है। जब ब्रह्मा जी को पता चला कि भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया है...

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 30 Aug 2020 11:00 AM (IST) Updated:Sun, 30 Aug 2020 11:04 AM (IST)
Pauranik Katha: जब ब्रह्मा जी ने ली थी श्रीकृष्ण की परीक्षा, प्रभु की लीला देख हो गए थे अचंभित
Pauranik Katha: जब ब्रह्मा जी ने ली थी श्रीकृष्ण की परीक्षा, प्रभु की लीला देख हो गए थे अचंभित

Pauranik Katha: जब श्री कृष्ण अपनी बाल्यावस्था में थे यह तब की कथा है। जब ब्रह्मा जी को पता चला कि भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया है तो वो उनके दर्शन करने को आतुर हो गए। वह ब्रह्मलोक से सीधा पृथ्वी पर आ गए। यहां पर उन्होंने मोर मुकुट को अपने सिर पर धारण किए एक बालक को देखा। यह बालक गायों और ग्वालों के साथ मिट्टी में खेल रहा था। यह सब देख ब्रह्मा जी को लगा कि यह बालक विष्णु जी का अवतार कैसे हो सकता है। लेकिन बच्चे के चेहरे पर जो तेज था वह देख ब्रह्मा जी ने कृष्ण जी की परिक्षा लेने का विचार किया।

ब्रह्मा जी ने सबसे पहले गायों को वहां से उठा लिया। फिर उन्होंने ग्वालों को भी वहां से हटा दिया। यह उन्होंने तब किया जब श्री कृष्ण गायों को देखने के लिए गए। ब्रह्मा जी गायों और ग्वालों को अपने साथ ब्रह्मलोक ले गए। कुछ समय बाद जब ब्रह्मा जी धरती लोक वापस आए तो वह स्थिति को देख चौंक गए। उन्होंने देखा कि जिन गायों और ग्वालों और गायों को वो अपने साथ ब्रह्मलोक ले गए थे वो सभी कृष्ण जी के साथ पृथ्वी पर खेल रहे थे। फिर उन्होंने ध्यान लगाया और ब्रह्मलोक की स्थिति जानने की कोशिश की। उन्होंने देखा कि जिन गायों और ग्वालों और गायों को वो अपने साथ ब्रह्मलोक ले गए थे वो सभी तो वहीं हैं।

इसके बाद उन्हें श्री कृष्ण की लीला समझ आ गई। उन्होंने हाथ जोड़कर कृष्ण जी से क्षमा मांगी। उन्होंने प्रार्थना की वो उन्हें अपने असली रूप में दर्शन दें। ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर श्रीकृष्ण ने उन्हें अपना असली रूप दिखाया। उनके इस रूप के दर्शन करने के लिए कई ब्रह्मा वहां आ गए। इनमें से कुछ ब्रह्मा में तीन सिर तो कुछ के सौ सिर थे। अपने अलावा इतने ब्रह्माओं के देख ब्रह्मदेव ने पूछा, हे प्रभु! ये कैसी लीला है। इस पर श्रीकृष्ण ने कहा, हे ब्रह्मदेव! इस जगत में केवल आप ही एक ब्रह्मा नहीं हैं। जगत में कई सारे ब्रह्मांड हैं, जहां पर कई ब्रह्मदेव मौजूद हैं। इन सभी का अपना-अपना कार्य है। यह सुनकर ब्रह्मदेव ने उन्हें शीश झुका लिया और उन्हें नमस्कार किया। 

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