आसाराम की याचिका पर फैसला सुरक्षित

उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आसाराम की ओर से पीडि़ता की दसवीं कक्षा की अंकतालिका सहित अन्य दस्तावेज रिकॉर्ड पर लेने के अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 06 May 2015 12:48 AM (IST) Updated:Wed, 06 May 2015 12:47 PM (IST)
आसाराम की याचिका पर फैसला सुरक्षित

जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आसाराम की ओर से पीडि़ता की दसवीं कक्षा की अंकतालिका सहित अन्य दस्तावेज रिकॉर्ड पर लेने के अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विजय विश्नोई की बेंच में मंगलवार को इस मसले पर दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी हो गई। अपने गुरुकुल की नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीडऩ के आरोप में डेढ़ वर्ष से जोधपुर जेल में बंद आसाराम की ओर से उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर अधीनस्थ अदालत की ओर से पीडि़त की अंकतालिका को रिकॉर्ड पर लेने के आदेश पर आपत्ति जताई गई थी।

आसाराम के वकील महेश बोड़ा ने न्यायालय में कहा कि स्कूल के प्राचार्य या बोर्ड के किसी अधिकारी की बजाय तत्कालीन पुलिस थानाधिकारी मुक्ता पारीक की गवाही के आधार पर अंकतालिका को अब रिकॉर्ड पर लिया जाना अनुचित है।

उन्होंने कहा कि दसवीं की अंकतालिका का पूर्व में कहीं पर उल्लेख ही नहीं किया गया तो उसे अब कैसे रिकॉर्ड पर लिया जा सकता है। वहीं अभियोजन पक्ष की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश पंवार ने अधीनस्थ न्यायालय की ओर से अंकतालिका को रिकॉर्ड पर लिए जाने के निर्णय को उचित ठहराया। न्यायाधीश विजय विश्नोई ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद इस मसले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

उल्लेखनीय है कि आसाराम प्रकरण में पीडि़त की जन्मतिथि का निर्धारण करने के लिए उसकी अंकतालिका बहुत महत्वपूर्ण है। इस अंकतालिका में दर्ज पीडि़ता की जन्मतिथि के आधार पर ही यह तय हो पाएगा कि घटना के समय पीडि़त नाबालिग थी या नहीं। ऐसे में इस केस का पूरा दारोमदार ही जन्मतिथि से जुड़ा है। यदि पीडि़ता नाबालिग साबित होती है तो आसाराम के खिलाफ मामला मजबूत हो जाएगा।

chat bot
आपका साथी