नवरात्र में ऐसे कार्य कभी नहीं करने चाहिए इनसे शरीर की सात्विक शक्ति का नाश होता है

देवी का पूजन संयम और शक्ति संचय की भी शिक्षा देता है। इस अवधि में ब्रह्मचर्य का विशेष रूप से पालन करना चाहिए।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Fri, 31 Mar 2017 01:27 PM (IST) Updated:Sat, 01 Apr 2017 10:08 AM (IST)
नवरात्र में ऐसे कार्य कभी नहीं करने चाहिए इनसे शरीर की सात्विक शक्ति का नाश होता है
नवरात्र में ऐसे कार्य कभी नहीं करने चाहिए इनसे शरीर की सात्विक शक्ति का नाश होता है

शास्त्रों में ऐसे अनेक कार्यों का उल्लेख किया गया है जो व्रत-तीर्थों में करने से पूजन का पुण्य शीघ्र मिलता है। वहीं ऐसे कार्यों का भी जिक्र किया गया है जो उपवास के दौरान करने से पुण्य नष्ट हो जाता है। अत: ऐसे वर्जित कार्यों से बचना चाहिए। नवरात्र में वे कार्य करने चाहिए जिनसे मां जगदंबा प्रसन्न हों।

नवरात्र में पूजन-उपवास के अलावा देवी के किसी दिव्य मंत्र का जाप करना शुभ होता है। इसके विपरीत अगर कोई व्यक्ति इस अवधि में निंदा-चुगली आदि करता है तो उसके पुण्य का नाश होता है। अत: नवरात्र में ऐसे कार्य कभी नहीं करने चाहिए। इनसे शरीर की सात्विक शक्ति का नाश होता है।

कहा जाता है कि जिह्वा पर मां सरस्वती का वास होता है। इसलिए नवरात्र में खास ध्यान रखें कि जिह्वा का उपयोग अच्छे वचन बोलने, मंत्र जाप और मां की जय-जयकार करने में ही हो। निंदा और चुगली की तरह ही अपशब्द भी सात्विकता का नाश करते हैं। जो व्यक्ति बात-बात में अपशब्द बोलते हैं, उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि ये आपके जीवन में सौभाग्य को नष्ट करते हैं। अपशब्द कभी नहीं बोलने चाहिए।

नवरात्र पूजन के अलावा संयम का भी पर्व है। संयम सिर्फ वाणी का ही नहीं होता, स्वाद का भी होता है। इस अवधि में अत्यधिक भारी, मिर्च-मसाले वाले, गरिष्ठ पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार इस समय उपवास करने से शरीर से विजातीय द्रव्यों का निष्कासन होता है। अगर कोई व्यक्ति उपवास करते हुए पाचन में भारी पदार्थों का सेवन करता है तो यह उसके लिए रोगकारी होता है।

इन नौ दिनों में प्याज और लहसुन का पूर्णत: त्याग कर देना उचित है। आयुर्वेद के अनुसार ये पदार्थ मन की एकाग्रता में बाधक होते हैं। नवरात्र में सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए। प्याज-लहसुन की तरह ही नवरात्र में मांसाहार का पूर्णत: त्याग कर देना चाहिए। मदिरापान भी पूजन का पुण्य नष्ट करता है। ये दोनों पदार्थ तामसी प्रवृत्ति को बढ़ावा देते हैं। अत: नवरात्र में इनसे दूर रहना चाहिए।

जो भक्त नवरात्र में उपवास रखते हैं, उन्हें केश और नाखून नहीं काटने चाहिए। मान्यता है कि इस अवधि में देवी अपने भक्त के शरीर में वास करती है। इसलिए जहां तक संभव हो नाखून और केश न काटें। नवरात्र पूर्ण होने के बाद शुभ मुहूर्त में ही नाखून-केश काटने चाहिए। देवी का पूजन संयम और शक्ति संचय की भी शिक्षा देता है। इस अवधि में ब्रह्मचर्य का विशेष रूप से पालन करना चाहिए। गांजा, तंबाकू, भांग, मदिरा और वे सभी पदार्थ जो मन की चंचलता के जिम्मेदार हैं, उनसे दूर ही रहना चाहिए।

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