अलगाववादियों के आगे झुकी उमर सरकार, कुलगाम से कौसरनाग यात्रा रद
कश्मीरी पंडितों की वापसी और सुरक्षा का राग अलापने वाली जम्मू-कश्मीर सरकार ने अलगाववादी व सांप्रदायिक तत्वों के आगे घुटने टेकते हुए बृहस्पतिवार को कुलगाम से कौसरनाग यात्रा की अनुमति को रद कर दिया। इससे जम्मू से कुलगाम पहुंचे श्रद्धालु यात्रा पर रवाना नहीं हो पाए, जबकि रियासी से पहाड़ी मार्गो से होते ह
श्रीनगर, जागरण ब्यूरो। कश्मीरी पंडितों की वापसी और सुरक्षा का राग अलापने वाली जम्मू-कश्मीर सरकार ने अलगाववादी व सांप्रदायिक तत्वों के आगे घुटने टेकते हुए बृहस्पतिवार को कुलगाम से कौसरनाग यात्रा की अनुमति को रद कर दिया। इससे जम्मू से कुलगाम पहुंचे श्रद्धालु यात्रा पर रवाना नहीं हो पाए, जबकि रियासी से पहाड़ी मार्गो से होते हुए निकली यात्रा आगे बढ़ रही है। इस बीच कुलगाम में यात्रा के विरोध में हिंसक प्रदर्शन भी हुए। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, जिसमें नौ लोग घायल हो गए। कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी ने शनिवार को कौसरनाग यात्रा के खिलाफ कश्मीर बंद का एलान कर दिया है। अलगाववादियों सहित सत्ताधारी नेशनल नेशनल कांफ्रेंस भी इस यात्रा को पर्यावरण के खिलाफ बताकर विरोध कर रही है।
31 जुलाई से तीन अगस्त तक चलने वाली यह यात्रा जम्मू और रियासी जिले से दो दिन पूर्व कौसरनाग के लिए निकली थी। जम्मू से रवाना हुए कश्मीरी पंडितों का जत्था बुधवार शाम को कुलगाम में पहुंच गया था, लेकिन देर रात कुलगाम के जिला उपायुक्त निसार अहमद वानी ने यात्रा को दी गई अनुमति को रद कर दिया। हालांकि उन्होंने ही 21 जुलाई को यात्रा की अनुमति दी थी। वानी ने कहा कि यह यात्रा रियासी जिले के चसाना इलाके से ही की जाए, कुलगाम से नहीं। उन्होंने इस फैसले से यात्रा के संयोजक विनोद पंडित को भी अवगत करवा दिया। मालूम हो कि पीरपंचाल की पहाड़ियों में स्थित कौसरनाग एक छोटी झील है। कश्मीरी पंडितों के मुख्य तीर्थस्थलों में से एक कौसरनाग की वार्षिक यात्रा 1980 के दशक तक आयोजित की जाती रही। इसके बाद आतंकवाद के चलते यह बंद हो गई। इस साल कश्मीरी पंडितों के संगठन ऑल पार्टी माइग्रेंट कोआर्डिनेशन कमेटी ने इस यात्रा की फिर से शुरुआत की है, लेकिन कश्मीर में कौसरनाग यात्रा का तीव्र विरोध किया जा रहा है।
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शुरू होने से पहले ही कौसरनाग यात्रा का विरोध