Mahavir Jayanti 2024: मानव मात्र को प्रेरणा देते हैं भगवान महावीर, पढ़िए उनके अनमोल विचार

महावीर जयंती को जैन समुदाय के प्रमुख संत महावीर जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। महावीर जयंती (Mahavir Jayanti 2024) को जैन धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है जिसे बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। भगवान महावीर ने समाज सुधार और आत्मकल्याण हेतु कई उपदेश दिए हैं जो आज भी प्रासंगिक बने हुए हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Publish:Fri, 19 Apr 2024 04:33 PM (IST) Updated:Fri, 19 Apr 2024 04:33 PM (IST)
Mahavir Jayanti 2024: मानव मात्र को प्रेरणा देते हैं भगवान महावीर, पढ़िए उनके अनमोल विचार
Mahavir Jayanti 2024 पढ़िए भगवान महावीर के अनमोल विचार।

HighLights

  • चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाई जाती है महावीर जयंती।
  • जैन धर्म के आखिरी तीर्थंकर थे भगवान महावीर।
  • 21 अप्रैल, 2024 के दिन मनाई जाएगी महावीर जयंती।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahavir Jayanti Quotes in Hindi: महावीर जी ने जैन धर्म के मूल सिद्धांतों की स्थापना की थी। भगवान महावीर जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में सबसे आखिरी थे। मान्यताओं के अनुसार, उनका जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर बिहार के कुंडा ग्राम में हुआ था। ऐसे में साल 2024 में महावीर जयंती 21 अप्रैल, रविवार के दिन मनाई जाएगी। चलिए जानते हैं भगवान महावीर के ऐसे अनमोल विचार, जो व्यक्ति मात्र के लिए प्रेरणा का काम करते हैं।  

महावीर जी के अनमोल विचार

किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असल रूप को न पहचानना है। इस गलती को केवल आत्म ज्ञान की प्राप्ति करके ही ठीक किया जा सकता है। अहिंसा ही व्यक्ति का सबसे बड़ा धर्म है। शांति और आत्म-नियंत्रण अहिंसा है। सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान का भाव ही अहिंसा है। हर जीवित प्राणी के प्रति दया भाव रखना ही अहिंसा है। घृणा का भाव रखने से मनुष्य का विनाश होता है। भगवान का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है। महावीर जी का कहना था कि हर व्यक्ति सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास करके देवत्व को प्राप्त कर सकता है। प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है। आनंद बाहर से नहीं आता, वह व्यक्ति के अंदर ही होता है। मनुष्य स्वयं के दोष के कारण ही दुखी होते हैं, और वे अपनी गलती में सुधार करके प्रसन्न हो सकते हैं। आत्मा अकेले आती है और अकेले ही चली जाती है। न कोई उसका साथ देता है और न ही कोई उसका मित्र बनता है। असली शत्रु व्यक्ति के भीतर है, वो शत्रु हैं क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत। लाखों शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने से बेहतर है खुद पर विजय प्राप्त करना।

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