शिव और उनके प्रिय रुद्रावतार हनुमान दोनों की होती है भौम प्रदोष पर पूजा

मंगलवार 2 अप्रैल को भौम प्रदोष व्रत का पूजन किया जायेगा। इस दिन भगवान शिव के साथ रुद्रावतार हनुमान की भी पूजा की जा सकती है।

By Molly SethEdited By: Publish:Tue, 26 Mar 2019 04:06 PM (IST) Updated:Fri, 29 Mar 2019 09:30 AM (IST)
शिव और उनके प्रिय रुद्रावतार हनुमान दोनों की होती है भौम प्रदोष पर पूजा
शिव और उनके प्रिय रुद्रावतार हनुमान दोनों की होती है भौम प्रदोष पर पूजा

हर वार का होता है अलग महत्व

2 अप्रैल को होने वाला प्रदोष व्रत अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करने वाला है। यह व्रत प्रत्येक महीने के कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है, इसलिए इसे वार के अनुसार पूजन करने का विधान शास्त्र सम्मत माना गया है। यदि इन तिथियों को सोमवार हो तो उसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं, यदि मंगलवार हो तो उसे भौम प्रदोष व्रत कहते हैं और शनिवार हो तो उसे शनि प्रदोष व्रत व्रत कहते हैं। विशेष कर सोमवार, मंगलवार एवं शनिवार के प्रदोष व्रत अत्याधिक प्रभावकारी माने गये हैं। प्रदोष व्रत से शिव जी अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं। जैसा की नाम से ही जाहिर है किसी भी तरह का दोष हो इस व्रत के करने से वह दोष खंडित हो जाता है। इस व्रत में भगवान शिव की हर दिन की पूजा से अलग-अलग दोष खंडित होते हैं।

भौम प्रदोष का महत्व 

दिनों के संयोग के कारण प्रदोष व्रत के नाम एवं उसके प्रभाव में अन्तर हो जाता है। भौम का अर्थ है मंगल और प्रदोष का अर्थ है त्रयोदशी तिथि। मंगलवार यानी को त्रयोदशी तिथि होने से इसको भौम प्रदोष कहा जाता है। इस दिन शिव जी और हनुमान जी दोनों की पूजा करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इस दिन शिव जी की उपासना करने से हर दोष का नाश होता है वहीं हनुमान जी की पूजा करने से शत्रु बाधा शांत होती है और कर्ज से छुटकारा मिलता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन उपवास करने से गोदान के बराबर फल मिलता है और उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत करने वाले स्त्री-पुरुषों को व्रत के एक दिन पहले सायंकाल नियम पूर्वक व्रत ग्रहण करना चाहिए। व्रत के दिन प्रात: काल स्नान करके संकल्पपूर्वक दिन भर उपवास करना चाहिए। प्रदोष काल में मंदिर या घर में विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए।

ऐसे करें पूजा

प्रदोष व्रत में प्रसाद, फूलमाला, फल, विल्वपत्र आदि लाकर यदि संभव हो तो पति-पत्नी एक साथ बैठकर शिव जी का पूजन करें। ईशान कोण में शिव जी की स्थापना करें। कुश के आसन पर बैठकर शिव जी के मन्त्रों का जाप करें। यदि मंत्र का ज्ञान ना हो तो ॐ नम: शिवाय का उच्चारण करते हुए पूजन करें। पूजन के उपरांत शुद्ध सात्विक आहार ग्रहण करें। इस प्रकार प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसी दिन मंगल दोष की समस्या से मुक्ति के लिए शाम को हनुमान जी के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाएं। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए सुन्दरकाण्ड का पाठ करके उनसे मंगल दोष की समाप्ति की प्रार्थना करें। भौम प्रदोष पर प्रातःकाल लाल वस्त्र धारण करके हनुमान जी की उपासना करनी चाहिए। उनको लाल फूलों की माला चढ़ाकर दीपक जलायें और गुड़ का भोग लगायें। इसके बाद संकटमोचन हनुमानाष्टक का 11 बार पाठ करें। अंत में हलवा पूरी का भोग लगाएं। 

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