केदारनाथ धाम बसाने में वास्तु का सहारा

सरकार अब केदारनाथ धाम को बसाने में वास्तु का भी सहारा लेगी। जो भी लोग वास्तु के आधार पर नए भवनों के निर्माण के पक्षधर हैं, सरकार उनकी इस भावना का सम्मान करेगी। कुछ ऐसे ही सुझाव सरकार तीर्थ पुरोहितों के साथ होने वाली बैठक के लिए तैयार किए जाने वाले ब्लू प्रिंट में शामिल कर रही है। सरकार की मंशा एक ऐस

By Preeti jhaEdited By: Publish:Mon, 13 Oct 2014 03:24 PM (IST) Updated:Mon, 13 Oct 2014 05:03 PM (IST)
केदारनाथ धाम बसाने में वास्तु का सहारा

देहरादून। सरकार अब केदारनाथ धाम को बसाने में वास्तु का भी सहारा लेगी। जो भी लोग वास्तु के आधार पर नए भवनों के निर्माण के पक्षधर हैं, सरकार उनकी इस भावना का सम्मान करेगी। कुछ ऐसे ही सुझाव सरकार तीर्थ पुरोहितों के साथ होने वाली बैठक के लिए तैयार किए जाने वाले ब्लू प्रिंट में शामिल कर रही है। सरकार की मंशा एक ऐसा ब्लू प्रिंट तैयार करने की है, जो सर्वमान्य हो और एक बार सर्व सम्मति बनने के बाद केदारनाथ को बसाने का कार्य आरंभ किया जा सके।

केदारनाथ धाम में गत वर्ष आई आपदा के बाद से ही सरकार हालात को सुव्यवस्थित करने में लगी हुई है। इसके तहत यहां नए भवन बनाने से लेकर नई व्यवस्था विकसित करना भी शामिल है। मुख्यमंत्री हरीश रावत पहले भी यह कह चुके हैं कि केदारनाथ के पुनर्वास के लिए तीर्थ पुरोहितों के सुझावों का सम्मान किया जाएगा। इस कड़ी में कुछ दिनों पूर्व अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा की तीर्थ पुरोहितों से भी वार्ता हुई थी। पहले सरकार की मंशा केदारनाथ को बसाने के लिए तैयार किए गए ब्लू प्रिंट को तीर्थ पुरोहितों के साथ साझा करने की थी। वार्ता के दौरान जब तीर्थ पुरोहितों ने लगातार अपना पक्ष और सुझाव रखे तो अधिकारियों ने सरकारी ब्लू प्रिंट को तीर्थ पुरोहितों के साथ साझा नहीं किया।

दरअसल, सरकार पहले जीएसआई और वाडिया आदि केंद्रीय संस्थानों की रिपोर्ट के आधार पर अधिकांश भवनों को तोड़ कर दूसरी जगह शिफ्ट करना चाह रही थी। वार्ता के दौरान जब तीर्थ पुरोहितों ने ठीकठाक भवनों को यथावत रखने पर जोर दिया तो फिर सरकार की ओर से बनाए गए ब्लूप्रिंट के हिसाब से यह बात फिट नहीं बैठ रही थी। ऐसे में इस ब्लू प्रिंट में बदलाव का निर्णय लिया गया। इस दौरान नए भवनों को वास्तु के हिसाब से बनाए जाने की बात उठी। इसको भी सरकार ने गंभीरता से लिया है। अब नए ब्लू प्रिंट में तमाम उन बातों को शामिल किया जा रहा है, जिनकी अपेक्षा तीर्थ पुरोहितों ने की है। इसके अलावा जीएसआई और वाडिया के वैज्ञानिकों से भी मामले के तकनीकी पक्ष के बारे में चर्चा की जा रही है। दरअसल, सरकार अब केदारनाथ धाम के पुनरोद्धार में किसी प्रकार का विवाद नहीं चाहती।

यही कारण है कि अब हर कदम बड़ी ही ऐहतियात के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है।

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