Holika Dahan 2024: क्यों जलाई जाती है होलिका और प्रहलाद की गोबर की प्रतिमा? जानिए इसकी वजह

होलिका दहन का दिन सनातन धर्म में बेहद शुभ माना जाता है। इस पर्व का इंतजार लोग बेसब्री के साथ करते हैं। इस साल होली 25 मार्च को मनाई जाएगी। वहीं इसके एक दिन पहले होलिका दहन किया जाएगा। इस दिन को लेकर लोगों की अपनी -अपनी मान्यताएं हैं जिसका पालन वे भाव के साथ करते हैं। तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Publish:Thu, 14 Mar 2024 11:28 AM (IST) Updated:Thu, 14 Mar 2024 12:32 PM (IST)
Holika Dahan 2024: क्यों जलाई जाती है होलिका और प्रहलाद की गोबर की प्रतिमा? जानिए इसकी वजह
Holika Dahan 2024: होलिका और प्रहलाद की मूर्ति से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

HighLights

  • सनातन धर्म अपनी पूजा-पाठ और त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है।
  • होलिका दहन का दिन बेहद शुभ माना जाता है।
  • इस साल होली 25 मार्च को मनाई जाएगी।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Holika Dahan 2024: सनातन धर्म अपनी पूजा-पाठ और त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है। इसमें विभिन्न प्रकार के पर्व मनाए जाते हैं, जिनका अपना एक विशेष स्थान और महत्व है। इनमें से एक होली का पर्व भी है। इस साल होली 25 मार्च, 2024 दिन सोमवार को मनाई जाएगी। होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन तरह-तरह के रंगों और फूलों से होली खेली जाती है। आइए इस महत्वपूर्ण दिन से जुड़ी कुछ आवश्यक बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -

होलिका दहन का समय  

24 मार्च को होलिका दहन है। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा है। ऐसे में होलिका दहन के लिए सिर्फ 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा। इस दौरान लोग विभिन्न प्रकार की धार्मिक गतिविधियां और पूजा करते हैं।

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क्यों बनाई जाती है होलिका और प्रहलाद की गोबर की प्रतिमा ?

होलिका दहन के दौरान गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि गाय के पृष्ठ को यम देव का स्थान माना जाता है और यह वही स्थान है, जहां से गोबर प्राप्त होता है। ऐसे में होलिका दहन के दौरान इसके उपयोग से अकाल मृत्यु जैसे बड़े दोष कुंडली से दूर हो जाते हैं।

बता दें, इसकी पूजा आमतौर पर पूर्णिमा की रात को की जाती है। पूजा में लकड़ी, गाय के गोबर और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग करके अलाव जलाना और भगवान विष्णु और अन्य देवताओं की पूजा करना भी शामिल है।

अलाव बुराई के विनाश और अच्छाई की जीत का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि अग्नि में सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को जलाने और वातावरण को शुद्ध करने की शक्ति होती है। अलाव की राख को बेहद पवित्र माना जाता है और इसका उपयोग अक्सर नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए किया जाता है।

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