Happy Lohri 2021: कैसे मनाते हैं लोहड़ी का त्योहार? नई शादी वालों के लिए क्यों खास है यह

Happy Lohri 2021 लोहड़ी का त्योहार मुख्य रूप से सूर्य और अग्नि देव को समर्पित है। लोहड़ी की पवित्र अग्नि में नवीन फसलों को समर्पित करने का भी विधान है। इसके अलावा इस दिन लोहड़ी की अग्नि में तिल रेवड़ियां मूंगफली गुड़ और गजक आदि भी समर्पित किया जाता है।

By Kartikey TiwariEdited By: Publish:Wed, 13 Jan 2021 08:31 AM (IST) Updated:Wed, 13 Jan 2021 08:34 AM (IST)
Happy Lohri 2021: कैसे मनाते हैं लोहड़ी का त्योहार? नई शादी वालों के लिए क्यों खास है यह
Happy Lohri 2021: कैसे मनाते हैं लोहड़ी का त्योहार? नई शादी वालों के लिए क्यों खास है यह

Happy Lohri 2021: मान्यताओं के अनुसार, लोहड़ी का त्योहार मुख्य रूप से सूर्य और अग्नि देव को समर्पित है। लोहड़ी की पवित्र अग्नि में नवीन फसलों को समर्पित करने का भी विधान है। इसके अलावा इस दिन लोहड़ी की अग्नि में तिल, रेवड़ियां, मूंगफली, गुड़ और गजक आदि भी समर्पित किया जाता है। ऐसा करने से यह माना जाता है कि देवताओं तक भी फसल का कुछ अंश पहुंचता है। साथ ही मान्यता ऐसी भी है कि अग्नि देव और सूर्य को फसल समर्पित करने से उनके प्रति श्रद्धापूर्वक आभार प्रकट होता है। ताकि उनकी कृपा से कृषि उन्नत और लहलहाता रहे।

लोहड़ी कैसे मानते हैं?

लोहड़ी मनाने के लिए लकड़ियों की ढेरी पर सूखे उपल्ले भी रखे जाते हैं। समूह के साथ लोहड़ी पूजन करने के बाद उसमें तिल, गुड़, रेवड़ी एवं मूंगफली का भोग लगाया जाता है। गोबर के उपलों की माला बनाकर मन्नत पूरी होने की खुशी में लोहड़ी के समय जलती हुई अग्नि में उन्हें भेंट किया जाता है। इसे 'चर्खा चढ़ाना' कहते हैं।

पहली लोहड़ी का जश्न

ऐसा माना जाता है कि जिस घर में नई शादी हुई हो, शादी की पहली वर्षगांठ हो या संतान का जन्म हुआ हो, वहां तो लोहड़ी बड़े ही जोरदार तरीके से मनाई जाती है। लोहड़ी के दिन कुंवारी लड़कियां रंग-बिरंगे नए-नए कपड़े पहनकर घर-घर जाकर लोहड़ी मांगती हैं। माना जाता है कि पौष में सर्दी से बचने के लिए लोग आग जलाकर सुकून पाते हैं और लोहड़ी के गाने भी गाते हैं। इसमें बच्चे, बूढ़े सभी स्वर में स्वर और ताल में ताल मिलाकर नाचने लगते हैं। साथ ही ढोल की थाप के साथ गिद्दा और भांगड़ा भी किया जाता है।

पुरानी और नई मान्यताओं का संगम

पिछले कई सालों से लोहड़ी का त्योहार मना रहीं पवन बताती हैं कि इस पर्व का महत्व ही यही है कि बड़े बुजुर्गों के साथ उत्सव मनाते हुए नई पीढ़ी के बच्चे अपनी पुरानी मान्याताओं और रीती-रिवाजों का ज्ञान हासिल करते रहें, ताकि भविष्य में भी पीढ़ी-दर-पीढ़ी यह उत्सव ऐसे ही चलता रहे।

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