ऐसे गुरु को बलि-बलि जइये

सिख धर्म के पांचवें गुरु अर्जुनदेव के शहीदी पर्व पर शुक्रवार को गुरुद्वारों में गुरु का दरबार सजा। रागीजनों ने गुरु महिमा का बखान करते हुए उनसे प्रेरणा लेने का आह्वान किया।

By Edited By: Publish:Sat, 26 May 2012 03:05 PM (IST) Updated:Sat, 26 May 2012 03:05 PM (IST)
ऐसे गुरु को बलि-बलि जइये

आगरा, जागरण संवाददाता। सिख धर्म के पांचवें गुरु अर्जुनदेव के शहीदी पर्व पर शुक्रवार को गुरुद्वारों में गुरु का दरबार सजा। रागीजनों ने गुरु महिमा का बखान करते हुए उनसे प्रेरणा लेने का आह्वान किया।

केंद्रीय स्तर पर कीर्तन दरबार का आयोजन गुरु सिंह सभा की ओर से गुरुद्वारा माईथान पर किया गया। निरंतर विकास की ओर अग्रसर इस गुरुद्वारे की वजह से गलियों में भी गूंजती रही गुरुवाणी। अमृतसर दरबार साहिब के हजूरी रागी भाई राजेश सिंह ने गुरुवाणी का गायन किया। ज्ञानी गुरुपाल सिंह ने गुरु अर्जुनदेव की शहादत के प्रसंग को सुनाया। भाई कश्मीर सिंह ने शहादत की घटना को काव्यमय ढंग से प्रस्तुत किया। गुरुद्वारा माईथान के हेड प्रचारक ओंकार सिंह, हजूरी रागी भाई बलजिंदर सिंह, बीवी बलविंदर कौर, गुरुद्वारा मिट्ठा खूं गुरु का ताल के अलावा भाई हरजोत सिंह, अखंड कीर्तन जत्था व सिमरन सेवा सोसायटी (भाई हरदीप सिंह) ने कथा कीर्तन करके श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। फरीदाबाद से आए भाई अमरनाथ, सुभाष चावला, हरेंद्र सिंह बब्बर, प्रतिपाल सिंह, प्रवीन अरोड़ा, हरपाल सिंह का सहयोग रहा। सभा के प्रधान कंवलदीप सिंह व प्रमुख सेवादार देवेंद्र सिंह खालसा, पूर्व उप प्रधान भगत सिंह छतवाल आदि ने रागी जत्थों का सम्मान किया। शहादत की याद में रक्तदान

शहादत की याद में यहां लगे शिविर में 30 यूनिट रक्तदान किया। इसमें युवकों के अलावा युवतियां भी शामिल थीं। ताकि यह रक्त किसी असहाय और गरीब के काम आ सके।

श्रुति पंचमी पर निकाली जिनवाणी की शोभायात्रा

जिन वाणी की रथयात्रा धूलियागंज दिगंबर जैन मंदिर से निकाली गई। रथयात्रा में दो झांकियां थीं, जिसमें इंद्र इंद्राणियों के रूप में महिला-पुरुष थाल में जिनवाणी लेकर बैठी थीं। कृत्रिम एरावत हाथियों से युक्त स्वर्णरथ था, जिसमें मां जिनवाणी को सिंहासन पर प्रतिष्ठापित किया गया था। रथ के सारथी के रूप में श्रीचंद जैन व धनपति कुबेर के रूप में शिखरचंद जैन, राकेश जैन विराजमान थे। रथयात्रा हरीपर्वत स्थित जैन मंदिर पहुंची। जहां सायं 6 बजे आनंद यात्रा निकाली गयी। जिसमें प्रमोद रसीला एवं उनकी पार्टी ने भजन प्रस्तुत किये।

धर्मसभा में प्रवचन करते हुए जैन मुनि अरुण सागर महाराज ने मोक्ष और मोह का के अंतर पर प्रकाश डाला। महोत्सव का शुभारंभ परिषद के अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र जैन ने किया। स्वरूपचंद जैन, भोलानाथ जैन, रमेशचंद जैन, चौधरी विमल जैन, चंद्रप्रकाश जैन, विधानाचार्य सुनील शास्त्री, वीरेंद्र शास्त्री, विनोद जैन, मनोज जैन, अशोक जैन पूर्व डिप्टी मेयर, राकेश जैन आदि थे। मीडिया प्रभारी आशीष जैन के अनुसार 26 मई को प्रात: 6 बजे श्रुत स्कंदन विधान और सायं 6 बजे मां जिनवाणी के पालना का कार्यक्रम होगा। आये संत तो छाये बसंत

डिफेंस एस्टेट में हो रहे लीला उत्सव में शुक्रवार को भक्त वत्सलम गोस्वामी ने कहा कि बसंत आने पर प्रकृति में सौंदर्य आता है। संत जिसके जीवन में आ जायें तो उसकी जिंदगी में बसंत छा जाता है। यहां प्रात: चैतन्य महाप्रभु लीला का मंचन किया। प्रात: काल आचार्य हरिगोविंद सिंह महाराज ने रास लीला के महत्व को बताया। इसमें दुर्गा प्रसाद अग्रवाल, विष्णु दयाल, बंसल, रमेशचंद मित्तल, विशंभर दयाल, बिशन स्वरूप सिंघल आदि ने आरती उतारी।

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