Gita Jayanti 2020: गीता के वे 10 उपदेश, जो हर व्यक्ति के लिए हैं महत्वपूर्ण

Gita Jayanti 2020 कुरुक्षेत्र के रण में जब अर्जुन अपनों के विरुद्ध शस्त्र नहीं उठा पा रहे थे तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का ज्ञान दिया था। जो ज्ञान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में दिया था वह पूरी मानव जाति के लिए उपयोगी है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 25 Dec 2020 08:00 AM (IST) Updated:Fri, 25 Dec 2020 09:06 AM (IST)
Gita Jayanti 2020: गीता के वे 10 उपदेश, जो हर व्यक्ति के लिए हैं महत्वपूर्ण
Gita Jayanti 2020: गीता वे 10 उपदेश, जो हर व्यक्ति के लिए हैं महत्वपूर्ण

Gita Jayanti 2020: कुरुक्षेत्र के रण में जब अर्जुन अपनों के विरुद्ध शस्त्र नहीं उठा पा रहे थे तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का ज्ञान दिया था। जो ज्ञान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में दिया था वह पूरी मानव जाति के लिए उपयोगी है। श्रीमद्भगवन गीता के उपदेश अगर हम सभी अपने जीवन में आत्मसात करें तो हमें हमारी कई समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। आइए पढ़ते हैं गीता के उन 10 उपदेशों के बारे में जिन्हें हम सभी अपने जीवन में अपना सकते हैं।

गीता के 10 उपदेश:

1. वर्तमान का आनंद लो: हमें बीते कल या फिर आने वाले कल की चिंता नहीं करनी चाहिए। आज में जीओ और आनंद लो। जो होता है वो अच्छा ही होता है।

2. आत्मभाव में रहना ही मुक्ति: नाम, पद, प्रतिष्ठा, संप्रदाय, धर्म, स्त्री या पुरुष या फिर शरीर हम नहीं हैं। हमारा शरीर अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना हुआ होता है। मृत्यु के बाद इसी में हमें मिल जाना है। लेकिन आत्मा स्थिर होती है और हम आत्मा ही हैं। आत्मा कभी न मरती है, न इसका जन्म है और न मृत्यु! आत्मभाव में रहना ही मुक्ति है।

3. यहां सब बदलता है: संसार का नियम ही परिवर्तन है। ऐसे में सुख-दुःख, लाभ-हानि, जय-पराजय, मान-अपमान आदि भेदों में एक भाव में स्थित रहकर जीवन का आनंद लिया जा सकता है।

4. क्रोध शत्रु है: व्यक्ति को अपने क्रोध पर काबू रखना चाहिए। क्योंकि इससे भ्रम पैदा होता है। इससे व्यक्ति की बुद्धि विचलित होती है। इससे व्यक्ति की स्मृति का नाश हो जाता है। ऐसे में क्रोध, कामवासना और भय हमारे शत्रु होते हैं।

5. ईश्वर के प्रति समर्पण: खुद को भगवान में अर्पित करें। क्योंकि वहीं हमारी रक्षा करेंगे। भगवान ही हमें दुःख, भय, चिन्ता, शोक और बंधन से मुक्त कराएंगे।

6. नजरिए को शुद्ध करें: हमें हमारा नजरिया शुद्ध करना चाहिए। अपना नजरिया बदलने के लिए हम सभी को ज्ञान व कर्म को एक रूप में ही देखना होगा।

7. मन को शांत रखें: मन को शांत रखना बेहद जरूरी है। अनियंत्रित मन हमारा शत्रु बन जाता है। अशांत मन को शांत करने के लिए अभ्यास और वैराग्य को पक्का करना होगा।

8. कर्म से पहले विचार करें: किसी भी कर्म को करने से पहले विचार कर लेना चाहिए। क्योंकि जो कर्म हम करते हैं उसका फल हमें ही भोगना पड़ता है।

9. अपना काम करें: अपना काम करना ज्यादा अच्छा है चाहें वो अपूर्ण ही क्यों न हो। कोई और काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है कि हम अपना ही काम करें।

10. समता का भाव रखें: सभी के प्रति समता का भाव, सभी कर्मों में कुशलता और दुःख रूपी संसार से वियोग का नाम योग है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '  

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