विकलांगता पर आस्था भारी

मन में आस्था और शिव का आशीर्वाद हो तो दुर्गम से दुर्गम मार्ग भी आसान हो जाता है। तमिलनाडु से बाबा के दर्शन के लिए आए दोस्त इलया राजा और कनूर भले ही शारीरिक रूप से विकलांग हों। उनका मानना है कि उनकी आस्था ने हमेशा उनका मनोबल बढ़ाया है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2015 04:21 PM (IST) Updated:Sat, 04 Jul 2015 04:26 PM (IST)
विकलांगता पर आस्था भारी

जम्मू । मन में आस्था और शिव का आशीर्वाद हो तो दुर्गम से दुर्गम मार्ग भी आसान हो जाता है। तमिलनाडु से बाबा के दर्शन के लिए आए दोस्त इलया राजा और कनूर भले ही शारीरिक रूप से विकलांग हों। उनका मानना है कि उनकी आस्था ने हमेशा उनका मनोबल बढ़ाया है। पोलियो से पीड़ित इलया राजा बचपन से विकलांग है। उसके दोस्त कनूर ने बताया कि सड़क हादसे में उसकी बाजू कट गई थी।

गांव त्रिचिंदू के रहने वाले दोनों बचपन के दोस्त हैं। अमरनाथ यात्रा के बारे में गांव के लोगों ने जब उन्हें भगवान शिव के दिव्य दर्शनों व पवित्र गुफा की महिमा के बारे में बताया तो उनमें आस्था जागृत हुई। चार साल पहले दोनों अकेले ही यात्रा पर आए। पहली बार था इसलिए यात्रा के दौरान परेशानियों का सामना करना पड़ा। उनमें भगवान शिव के प्रति आस्था को मजबूत किया। एक-दूसरे का सहारा बन हम यात्रा में आगे बढ़ते रहे। जब भगवान शिव के दिव्य दर्शन हुए तो दिक्कतें और थकावट दूर हो गई। उस दिन के बाद हम हर साल आ रहे हैं। अब दुर्गम मार्ग भी आसान लगने लगा है। दूसरे श्रद्धालुओं की भांति हम उसी रफ्तार के साथ यात्र करते हैं। कनूर ने कहा कि जब तक शरीर में जान है। बाबा के दर्शनों के लिए आते रहेंगे।

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