गुम न हो जाएं सारनाथ के खंडहर

नगर में उत्तर-पूर्व के कोने पर बसा सारनाथ पर्यटन स्थल के रूप में अन्तरराष्ट्रीय फलक पर अलग पहचान रखता है। यहां के बौद्ध मंदिर, शिवालय, पार्क, हरियाली के साथ ही खंडहर भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं लेकिन स्थानीय स्तर पर लगातार हो रही बदइंतजामी के चलते यहां के खंडहरों के भी गुम होने का खतरा बन गया है। संरक्षण के

By Edited By: Publish:Thu, 20 Mar 2014 12:09 PM (IST) Updated:Thu, 20 Mar 2014 12:20 PM (IST)
गुम न हो जाएं सारनाथ के खंडहर

वाराणसी। नगर में उत्तर-पूर्व के कोने पर बसा सारनाथ पर्यटन स्थल के रूप में अन्तरराष्ट्रीय फलक पर अलग पहचान रखता है। यहां के बौद्ध मंदिर, शिवालय, पार्क, हरियाली के साथ ही खंडहर भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं लेकिन स्थानीय स्तर पर लगातार हो रही बदइंतजामी के चलते यहां के खंडहरों के भी गुम होने का खतरा बन गया है।

संरक्षण के लिए अब तक जितनी बार रासायनिक परिरक्षण हुए, हालात और बिगड़ते ही गए। रखरखाव के अभाव में एतिहासिक पुरातात्विक अवशेषों का क्षरण हो रहा है। पर्यटकों के लिए भी कोई सुविधा नहीं है। सुरक्षा के नाम पर दिखावा होता है। क्षतिग्रस्त सड़कों से हिचकोले खाते हुए जब पर्यटक वहां पहुंचता है तो उनका सामना भिखारियों व अवैध गाइडों से होता है जो तंग करते हैं। मूलभूत सुविधाओं का अभाव भी पर्यटकों को दोबारा आने से मना करता है। अब लोकसभा चुनाव में खड़े प्रत्याशियों ने लोगों ने उम्मीद लगाई है कि हालात सुधरेंगे। सारनाथ यात्रा के दौरान दुर्दशा- यहां की दुर्दशा की बात शुरू करते हैं सड़क से तो चाहे पांडेयपुर या पुरानेपुल से होकर पर्यटक जाएं लेकिन हिचकोले खाते सारनाथ पहुंचेंगे। धूल के गुबार चेहरा खराब कर देते हैं जिससे पर्यटकों के चेहरे पर थकान साफ दिखाई देती है। सड़कों का यह हाल पिछले कई सालों से है। अवैध निर्माण से बिगड़ा स्वरूप सारनाथ में इन दिनों बड़ी तेजी से अवैध निर्माण हो रहा है। जहां दस साल पहले आम व अमरूद के बाग हरियाली बिखेरते थे वहीं अब बड़ी-बड़ी अट्टालिकाओं ने इलाके को कंक्रीट के जंगल में तब्दील कर दिया है। दोबारा आने वाले पर्यटक एक बारगी भ्रम में पड़ जाते हैं।

बदनाम करते भिखारी व गाइड- ज्यों ही विदेश पर्यटक सारनाथ में पहुंचते हैं तो भिखारी व अवैध गाइड घेर लेते हैं। उनका हाथ पकड़कर जबरदस्ती करते हैं। गाइडों के साथ वाहन चालक मिले होते हैं। इस कारण पर्यटकों की परेशानी बढ़ जाती है। बस किसी प्रकार अपनी जान बचाते हैं। उनके चेहरे पर भय साफ दिखाई देती है। दिखावे की पर्यटन पुलिस-

पर्यटकों की सुविधा के लिए पर्यटन पुलिस की तैनाती की गई है लेकिन वे दिखावे के लिए वहां खड़े रहते हैं। भिखारी व गाइड परेशान करते हैं लेकिन वे रोकते नहीं। प्रतिबंध के बाद भी खंडहर परिसर में भी भिखारी व गाइड पहुंच जाते हैं जबकि पर्यटन पुलिस को निर्देश है कि उनके खिलाफ कार्रवाई करे।

नष्ट हो रहे पुरातात्विक अवशेष- खंडहर परिसर में रखे पुरातात्विक अवशेष नष्ट हो रहे हैं जबकि इनके संरक्षण के लिए कई बार रासायनिक परिरक्षण किया गया। इससे स्थिति और बिगड़ गई। धमेख स्तुप के पत्थर काले पड़ने लगे। उनमें दरारें पड़ने लगी है। पत्थरों का क्षरण होने लगा है। सम्राट अशोक की लाट जो तीन खंड़ों में खंडहर परिसर में रखी है, उसमें भी दरार पड़ गई है।

संरक्षण के नाम पर गोलमाल -अवशेषों के संरक्षण की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण आफ इंडिया की है लेकिन विभागीय उच्चाधिकारी इसके प्रति कितने सचेत हैं, यह खंडहर परिसर में घूमने से पता चलता है। खुले में अवशेष रखे हैं। संरक्षित करने के प्रयास में सीमेंट व बालू से लेपन कर दिया गया जो कि नियम के विरुद्ध है।

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