Chhath Puja Vrat Vidhi 2019: छठ पूजा का महत्वपूर्ण दिन खरना आज, जानें मंत्र, मुहूर्त, व्रत एवं पूजा विधि

Chhath Puja Vrat Vidhi 2019 नहाय-खाय से छठ महापर्व का आगाज हो गया। छठ में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है। 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है।

By Kartikey TiwariEdited By: Publish:Wed, 30 Oct 2019 12:32 PM (IST) Updated:Fri, 01 Nov 2019 12:55 PM (IST)
Chhath Puja Vrat Vidhi 2019: छठ पूजा का महत्वपूर्ण दिन खरना आज, जानें मंत्र, मुहूर्त, व्रत एवं पूजा विधि
Chhath Puja Vrat Vidhi 2019: छठ पूजा का महत्वपूर्ण दिन खरना आज, जानें मंत्र, मुहूर्त, व्रत एवं पूजा विधि

Chhath Puja Vrat Vidhi 2019: नहाय-खाय से छठ महापर्व का आगाज हो गया। छठ में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है। 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है। इस दौरान डूबते और उगते सूर्य की पूजा करते हैं और अर्घ्य देते हैं। चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व के पूर्ण होने से उत्तम स्वास्थ्य, सुखी जीवन, संतान प्राप्ति और संतानों की रक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। छठ पूजा का व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। यह व्रत वर्ष में दो बार आता है- पहला चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को और दूसरा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को। कार्तिक शुक्ल षष्ठी को पड़ने वाली छठ पूजा का महत्व ज्यादा है, इसे छठ पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा, डाला छठ, छठ माई पूजा, छठी माई, छठ आदि नामों से जाना जााता है।

क्या है छठ पूजा

छठ पूजा मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का पर्व है। सूर्य देव के आशीर्वाद से व्यक्ति को निरोगी जीवन प्राप्त होता है और उसका घर धन-धान्य से भर जाता है। वहीं, छठी मैया की कृपा से नि:संतान दम्पत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है। संतान के सुखी जीवन के लिए भी यह व्रत रखा जाता है। इसके रखने से मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।

छठ पूजा मुहूर्त

31 अक्टूबर: दिन गुरुवार- पहला दिन: नहाय-खाय। सूर्योदय: सुबह 06:32 बजे, सूर्यास्त: शाम 05:37 बजे।

01 नवंबर: दिन शुक्रवार- दूसरा​ दिन: खरना और लोहंडा। सूर्योदय: सुबह 06:33 बजे, सूर्यास्त: शाम 05:36 बजे।

02 नवंबर: दिन शनिवार- तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य। सूर्योदय: सुबह 06:33 बजे, सूर्यास्त: शाम 05:35 बजे।

03 नवंबर: दिन रविवार- चौथा दिन: ऊषा अर्घ्य, पारण का दिन। सूर्योदय: सुबह 06:34 बजे, सूर्यास्त: शाम 05:35 बजे।

छठ पूजा और व्रत विधि

​यदि आप इस वर्ष छठ पूजा का व्रत रखने वाली हैं, तो आपको इसकी पूजा और व्रत विधि के साथ मुहूर्त के बारे में जानकारी होनी चाहिए। आइए जानते हैं कि छठ पूजा के व्रत की विधि क्या है।

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नहाय-खाय: कार्तिक मास शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय से छठ पूजा का प्रारंभ होता है। इस दिन सूर्योदय के समय स्नानादि करके नए वस्त्र धारण किया जाता है और विशेष शुद्ध शाकाहारी भोजन किया जाता है। व्रत रहने वाले व्यक्ति के भोजन कर लेने के बाद ही परिवार के अन्य सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।

खरना और लोहंडा: कार्तिक मास शुक्ल पक्ष पंचमी को खरना और लोहंडा होता है। इस दिन शाम को गुड़ मिश्रित खीर या फिर लौकी की खीर खाकर 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ होता है। इस दिन नमक और चीनी वर्जित होता है। इस दिन ही पूजा की सामग्री आदि एकत्रकर उसकी साफ-सफाई करके व्यवस्थित कर लेते हैं।

छठ पूजा और संध्या अर्घ्य: कार्तिक मास शुक्ल पक्ष षष्ठी के दिन यानी खरना के अगले दिन छठी मैया की विशेष पूजा होती है। इस दिन महिलाएं पूजा का विशेष प्रसाद ठेकुआ और चावल के लड्डू बनाती हैं। इसके बाद पूजा सामग्री को बांस की टोकरी आदि में सजाकर रखते हैं। फिर घर का पुरुष सदस्य पूजा के उस टोकरी को सिर पर रखकर तालाब या नदी के तट पर ले जाता है। वहां पर स्नान के बाद अस्त होते सूर्य की पूजा करते हैं और दूध तथा गंगा जल से अर्घ्य देते हैं। तट के किनारे मिट्टी की बनी छठ मइया की प्रतीक का पूजा की जाती है।

ऊषा अर्घ्य और पारण: कार्तिक मास शुक्ल पक्ष सप्तमी को यानी छठ पूजा के अगले दिन व्रती नदी या तालाब के किनारे जाकर उगते हुए सूर्य की विधि पूर्वक पूजा करते हैं और दूध तथा गंगा जल से अर्घ्य देते हैं। इसके बाद प्रसाद लोगों में वितरित किया जाता है। फिर व्रती पारण कर व्रत को पूर्ण करते हैं।

सूर्य अर्घ्य मंत्र

सूर्य को जल देते समय ओम सूर्याय नमः या फिर ओम घृणिं सूर्याय नमः, ओम घृणिं सूर्य: आदित्य:, ओम ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा मंत्र का जाप करें।

सूर्य देव और छठी मैया के पूजा के समय आपकी जो भी मनोकामनाएं हों, उसे उनके समक्ष व्यक्त कर दें। आपकी पूजा और श्रद्धा से प्रसन्न होकर वे आपकी मनोकामनाओं की पूर्ति करेंगे।

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