Chaitra Navratri 2024 Day 9: नवरात्र के आखिरी दिन करें इस स्तोत्र का जाप, सभी कामनाएं होंगी पूरी

साल में मुख्य रूप से दो प्रकट नवरात्र मनाए जाते हैं जिसमे नौ दिनों तक नवदुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। मां दुर्गा की नवीं शक्ति माता सिद्धिदात्री हैं। ऐसे में नवरात्र के आखिरी यानी नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। यदि आप नवरात्र के अंतिम दिन इस स्तोत्र का पाठ करने हैं तो इससे आपको शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Publish:Tue, 16 Apr 2024 10:00 PM (IST) Updated:Tue, 16 Apr 2024 10:00 PM (IST)
Chaitra Navratri 2024 Day 9: नवरात्र के आखिरी दिन करें इस स्तोत्र का जाप, सभी कामनाएं होंगी पूरी
Chaitra Navratri 2024 Day 9: नवरात्र के आखिरी दिन करें इस स्तोत्र का जाप।

HighLights

  • 17 अप्रैल, बुधवार को मनाई जाएगी महानवमी।
  • नवरात्र के नौवें दिन होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा।
  • सभी सिद्धियों की पूर्ति करती हैं मां सिद्धिदात्री।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Navratri 9th Day: चैत्र नवरात्र का पर्व चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। वहीं नवरात्र के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। जैसा की नाम से ही प्रतीत होता है, मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। ऐसे में आप महानवमी तिथि पर सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करके मां दुर्गा की असीम कृपा की प्राप्ति कर सकते हैं।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddh Kunjika Stotram)

॥सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम्॥

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्।

येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत॥१॥

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।

न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्॥२॥

कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।

अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्॥३॥

गोपनीयं प्रयत्‍‌नेन स्वयोनिरिव पार्वति।

मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।

पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्॥४॥

॥अथ मन्त्रः॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥

ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा॥

यह भी पढ़ें - Chaitra Navratri 2024 Day 9: चैत्र नवरात्र के नौवें दिन रवि योग समेत बन रहे हैं ये 4 शुभ संयोग

॥इति मन्त्रः॥

नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।

नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि॥१॥

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि॥२॥

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे।

ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका॥३॥

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।

चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी॥४॥

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि॥५॥

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्‍‌नी वां वीं वूं वागधीश्‍वरी।

क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥६॥

हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।

भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥७॥

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥८॥

सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे॥

इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे।

अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति॥

यस्तु कुञ्जिकाया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत्।

न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥

इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे कुञ्जिकास्तोत्रं सम्पूर्णम्।

॥ॐ तत्सत्॥

WhatsApp पर हमसे जुड़ें. इस लिंक पर क्लिक करें

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

chat bot
आपका साथी