बाबा जय गुरुदेव हुए ब्रह्मलीन

बाबा जय गुरुदेव के प्राण त्यागने के साथ ही शुक्रवार रात को उनका आश्रम बिलख उठा। बाबा के अनुयायियों की आंखों से आंसुओं की धारा बह निकली। रात में ही बाबा के अंतिम दर्शन के लिए अनुयायी उमड़ पड़े।

By Edited By: Publish:Sat, 19 May 2012 12:41 PM (IST) Updated:Sat, 19 May 2012 12:41 PM (IST)
बाबा जय गुरुदेव हुए ब्रह्मलीन

मथुरा। बाबा जय गुरुदेव के प्राण त्यागने के साथ ही शुक्रवार रात को उनका आश्रम बिलख उठा। बाबा के अनुयायियों की आंखों से आंसुओं की धारा बह निकली। रात में ही बाबा के अंतिम दर्शन के लिए अनुयायी उमड़ पड़े।

बाबा जय गुरुदेव के शुक्रवार दोपहर आश्रम पहुंचने के बाद से ही उनके अनुयायी बाबा के कक्ष के बाहर पल-पल की खबर लेने के लिए जमा हो गए थे। बाबा के शिष्यों ने शाम को विशेष प्रार्थना की और रात को खाना भी नहीं खाया। बाबा के कक्ष के बाहर बरामदे में सभी शिष्य जमे हुए थे। हर कोई बाबा के अंतिम दर्शन के लिए जद्दोजहद कर रहा था। बाबा के सुरक्षा अधिकारी शिष्यों को रोक रहे थे, लेकिन कोई भी रुकने को तैयार नहीं था। रात करीब साढ़े दस बजे बाबा की चिकित्सा टीम में शामिल डॉ. केके मिश्रा ने कक्ष से बाहर आकर उनके निधन की घोषणा की तो शिष्य बरामदा में ही गश खाकर गिर पड़े। क्या युवतियां, क्या महिलाएं, क्या पुरुष सभी दहाड़ मार कर रोने लगी। बाबा के अंतिम दर्शन को आश्रम के आसपास रहने वाले लोग आश्रम की तरफ दौड़ पड़े। देखते ही देखते ही बाबा का आश्रम शिष्यों से भर गया। तिल रखने भी की जगह शेष नहीं रही। आश्रम में बाबा के अंतिम दर्शन नहीं कर पा रहे शिष्य उनके चित्र पर हाथ फेरते हुए बिलखते नजर आए। किसी ने बाबा के चित्र को अपने सीने से लगा रखा था, तो कोई हाथ जोड़कर सिर्फ मौन साधे था। जो जिस हालत में था, वह उसी हालत में ही आश्रम की तरफ भागा जा रहा था।

मंदिर के पट हो गए बंद: बाबा के देहावसान के बाद ही मंदिर के पट बंद हो गए। सामान्य दिनों में हर समय खुले रहने वाले बाबा जय गुरुदेव के मंदिर पर सन्नाटा फैला हुआ था।

आ रही बड़ी संगत: बाबा के अनुयायी केके मिश्रा ने कहा कि बाबा के अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संगत आ रही है। सभी के यहां खाने, रहने और ठहरने की व्यवस्था करने का काम शुरू कर दिया गया है। साल के शुरू तक किया पूरे देश का दौरा

बाबा जय गुरुदेव ने आखिरी बार आश्रम में ही बीती दस मार्च को सत्संग-प्रवचन किया था। इसके बाद खराब स्वास्थ्य ने उन्हें सत्संग-प्रवचन की इजाजत नहीं दी। उनके अनुयायियों के अनुसार, बाबा ने पिछले साल 18 दिसंबर से इस साल 22 फरवरी तक राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश का दौरा किया था।

जल्द दर्शन कर लो: अनुयायी संतराम के अनुसार, बाबा ने छह माह पहले से ही भक्तों से कहना शुरू कर दिया था कि जल्दी दर्शन कर लो। गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में बुधवार को बाबा ने तबियत में सुधार होते ही आश्रम ले चलने को कहा था। तुलसीदास से हो गए जय गुरुदेव

बाबा जय गुरुदेव के बचपन का नाम तुलसीदास था। उनका जन्म इटावा जिले के भरथना स्थित गांव खितौरा नील कोठी प्रांगण में हुआ था। सैंगर नदी के दक्षिण में स्थित खितौरा गांव में उनका ननिहाल था।

हालांकि उनके लाखों अनुयायी भी उनकी जन्मतिथि और शिक्षा-दीक्षा से अनजान हैं, लेकिन जय गुरुदेव नामयोग साधना मंदिर द्वारा प्रकाशित भविष्य की झलक अतीत के आइने से पुस्तक के अनुसार, बाबा की आयु इस समय 116 साल थी। वह हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी में पारंगत थे। उन्होंने कोलकाता में पांच फरवरी 1973 को सत्संग सुनने आए अनुयायियों के सामने कहा था कि सबसे पहले मैं अपना परिचय दे दूं- मैं इस किराये के मकान में पांच तत्व से बना साढ़े तीन हाथ का आदमी हूं। फिर नामकरण कैसे हुए इस बोले- यहां माताएं बैठी हैं। इन्होंने साधु-संन्यासी को बुलाकर पूछा होगा कि इनके आंख, कान, नाक, हाथ व पैर सब हैं। इनका नाम रखो तो उन्होंने मेरा नाम रख दिया तुलसीदास।

इसके बाद उन्होंने कहा कि- मैं सनातन धर्मी हूं, कट्टर हिंदू हूं, न बीड़ी पीता हूं न गांजा, भांग, शराब और न ताड़ी। आप सबका सेवादार हूं। मेरा उद्देश्य है सारे देश में घूम-घूम कर जय गुरुदेव नाम का प्रचार करना। मैं कोई फकीर और महात्मा नहीं हूं। मैं न तो कोई औलिया हूं न कोई पैगंबर और न अवतारी। प्रवचन में बाबा के यह विषय होते थे

1- पूंजीपति भी राजाओं की तरह खत्म होंगे।

2- काला धन 24 घंटे में सफेद करके दिखा दूंगा।

3- इस जमाने में कोई क्या भगवान की याद करेगा।

4- महात्माओं ने कभी राज नहीं किया।

5- गो हत्या से दूर रहो, धर्मस्थलों को न बिगाड़ो।

6- कोई भी नशा न करो, शाकाहार अपनाओ।

7- नाजायज धन कोढ़ के समान है, भजन करोगे तो बरक्कत मिलेगी।

8- सब महंगाई की मार काश्तकार पर ही पड़ती है।

9- मैं बुराइयों का विरोधी हूं, राज्य का नहीं।

10- आजादी में महंगाई और टैक्स ने जनता को उधेड़ डाला।

11- परिवर्तन की जो अगवानी करता है, उसका नाम होता है। अलीगढ़ के घूरेलालजी थे बाबा के गुरु

बाबा जय गुरुदेव जब सात साल के थे तब उनके मां-बाप का निधन हो गया। इसके बाद से ही उन्होंने मंदिर-मस्जिद और चर्च का भ्रमण करना शुरू कर दिया था। यहां वे धार्मिक गुरुओं की तलाश करते थे। उनकी तलाश अलीगढ़ के चिरौली गांव में पूरी हुई। वहां घूरेलाल शर्मा से उनकी भेंट हुई और वे उनके शिष्य बन गए। उनके सानिध्य में एक-एक दिन में 18-18 घंटे तक साधना करते थे। दिसंबर 1950 में घूरेलालजी का निधन हो गया। बाबा जय गुरुदेव ने दस जुलाई 52 को बनारस में पहला प्रवचन दिया था।

29 जून 75 के आपातकाल के दौरान वे जेल गए, आगरा सेंट्रल, बरेली सेंटल जेल, बेंगलूर की जेल के बाद उन्हें नई दिल्ली के तिहाड़ जेल ले जाया गया। जहां से 23 मार्च 77 को वे छूटे। जय गुरुदेव के अनुयायी इस दिवस को मुक्ति दिवस के रूप में मनाते हैं। जेल से छूटने के बाद वह मथुरा आश्रम आए तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी उनके आश्रम पहुंचीं और आपातकाल के लिए माफी मांगी। बाबा जय गुरुदेव ने राजनीति में भी हाथ आजमाया। 1980 और 90 के दशक में दूरदर्शी पार्टी बनाकर संसदीय चुनाव लड़ा, लेकिन जीत हासिल नहीं हुई।

बाबा के गुरु घूरेलालजी ने वर्ष 1948 से पहले आदेश दिया था कि जब कभी आश्रम बनाना तो मथुरा में ही बनाना। इस आदेश का पालन करते हुए बाबा जय गुरुदेव ने पहले कृष्णानगर मथुरा में चिरौली संत आश्रम बनाया। यह स्थान छोटा पड़ने पर नेशनल हाइवे के किनारे दूसरी जमीन तलाश कर यहां आश्रम बनवाया। नेशनल हाइवे के किनारे ही उनका भव्य स्मृति चिन्ह जय गुरुदेव नाम योग साधना मंदिर है। यहां दर्शन 2002 से शुरू हुआ था। नाम योग साधना मंदिर में सर्वधर्म समभाव के दर्शन होते हैं। इस समय वह आश्रम परिसर में ही कुटिया का निर्माण करा रहे थे।

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