परेशानियों का कारण मोह

सेक्टर आठ में चल रहे श्रीराम कथा में संत शांतिदूत श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महराज ने कथा के तीसरे दिन कहा कि व्याधियां, परेशानियां एवं अज्ञानता का मुख्य कारण मोह है। मोह पाश इतना मजबूत होता है कि इससे देवता भी नहीं बच पाते, तो सामान्य जीव की विसात ही क्या है।

By Edited By: Publish:Sat, 09 Feb 2013 01:01 PM (IST) Updated:Sat, 09 Feb 2013 01:01 PM (IST)
परेशानियों का कारण मोह

कुंभनगर। सेक्टर आठ में चल रहे श्रीराम कथा में संत शांतिदूत श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महराज ने कथा के तीसरे दिन कहा कि व्याधियां, परेशानियां एवं अज्ञानता का मुख्य कारण मोह है। मोह पाश इतना मजबूत होता है कि इससे देवता भी नहीं बच पाते, तो सामान्य जीव की विसात ही क्या है। इस मोह रूपी माया से केवल वही बच सकता है जिसने भगवान के श्री चरण कमलों का आश्रय ले लिया है। अहंकार से मोहजन्य दु:ख तो नारद जी को भी भोगना पड़ा और समाज में वो हंसी के पात्र बने। अंत में माया से पीडि़त नारद जी ने जो अहंकार पाल रखा था उसको त्यागना पड़ा, तब मोह रूपी माया से दूर हो सके।

दूसरी तरफ जब मनु जी ने सपत्‍‌नीक भगवान को पुत्र रूप में प्राप्त करने के लिए तप किया तो भगवान ने कहा जहां मैं जन्म लेता हूं, मेरी आदि शक्ति वहां मुझसे पहले जन्म लेती है लेकिन मनु जी तो स्वयं भगवान को ही पुत्र के रूप में चाहते थे। मनुष्य रूप दशरथ जी के यहां जन्म लिया। जगत नन्दनी श्री जानकी माता ने विदेह राजा जनक के यहां जन्म लिया। जहां भी भगवान जन्म होता है वहां भगवान के जन्म से पूर्व भक्ति प्रकट होती है। जब तक भक्ति का हृदय में संचार नहीं होता, तब तक मोह माया का विनाश नहीं होता और भगवान की प्राप्ति नहीं होती। इसलिए कामाधिक रोग के विनाश के लिए धर्मपूर्वक जीवन एवं भजन कीर्तन करते रहना चाहिए। तीसरे दिन के संध्या में भजन गायिका अलका गोयल ने भजन सारी तीर्थ धाम आपके चरणों में, हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणों में से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। शनिवार को शांति सेवा शिविर में योगगुरू बाबा रामदेव पहुंचेंगे।

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