मुक्ति का सरल माध्यम है भक्ति

भानुपुरा पीठाधीश्वर स्वामी दिव्यानंद तीर्थ ने कहा कि सनातन धर्म अंधों का नहीं है। इसलिए इसमें अंधविश्वास नहीं है। भगवान शंकर ने अपने 15 नेत्रों से इसका परीक्षण किया था, तब सनातन धर्म बना था।

By Edited By: Publish:Thu, 10 Jan 2013 11:35 AM (IST) Updated:Thu, 10 Jan 2013 11:35 AM (IST)
मुक्ति का सरल माध्यम है भक्ति

आगरा। भानुपुरा पीठाधीश्वर स्वामी दिव्यानंद तीर्थ ने कहा कि सनातन धर्म अंधों का नहीं है। इसलिए इसमें अंधविश्वास नहीं है। भगवान शंकर ने अपने 15 नेत्रों से इसका परीक्षण किया था, तब सनातन धर्म बना था। गांधी नगर पार्क में जद्गुरु सेवा समिति की ओर हो रही महा शिवपुराण कथा में पीठाधीश्वर ने कहा कि सनातन धर्म ही एकमात्र ऐसा है, जिसमें शास्त्रार्थ संभव है। सनातन धर्म में हर प्रश्न का उत्तर है।

आधुनिक प्रगति, अध्यात्म और विज्ञान पर चर्चा करते हुए स्वामी ने कहा कि हमने बहुत विकास कर लिया। अंतरिक्ष तक पहुंच गए। पर ये विकास है या विनाश, यह विचारणीय प्रश्न है। विज्ञान में भी अध्यात्म होना चाहिए। अध्यात्म रहित विज्ञान से आसुरी शक्तियां बढ़ रही हैं। महाशिवपुराण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान शिव का शरीर ही शिवपुराण है। भगवान के प्रति किया गया अपराध शिवपुराण सुनने से खत्म हो जाता है। भगवान शंकर सर्वव्यापी हैं। वे कल्याण स्वरूप परमेश्वर हैं। पीठाधीश्वर के प्रवचन से पूर्व स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि मुक्ति का सरल माध्यम भक्ति है। किंतु ज्ञान बिना भक्ति अंधी है।

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