नवरात्रि 2018 में बन रहा महिलाओं के लिए विशेष योग, यह मिलेगा फल

10 अक्टूबर 2018 बुधवार से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। पंडित दीपक पांडे से जानें कब है कलश स्थापना का सर्वोत्म मुहूर्त आैर इससे जुड़ी कुछ खास बातें।

By Molly SethEdited By: Publish:Tue, 09 Oct 2018 03:56 PM (IST) Updated:Tue, 09 Oct 2018 04:13 PM (IST)
नवरात्रि 2018 में बन रहा महिलाओं के लिए विशेष योग, यह मिलेगा फल
नवरात्रि 2018 में बन रहा महिलाओं के लिए विशेष योग, यह मिलेगा फल

ये हैं शुभ मुहूर्त 

हालांकि इस वर्ष कलश स्थापना या घट स्थापनको लेकर कुछ मतभेद हैं परंतु पंडितों ने कुछ शुभ मुहूर्त सुनिश्चित किए हैं जिनके अनुसार कलश रखने की सही तारीख 10 अक्टूबर 2018 बुधवार को ही है। इस बारे में माना जा रहा है कि जहां सूर्योदय 6 बजकर 37 मिनट के पहले होगा वहां नवरात्रि का प्रारंभ 9 तारीख से हो सकता है परंतु जिन स्थानों पर सूर्योदय इसके बाद होगा वहां ये पर्व 10 तारीख से ही आरंभ माना जाएगा। इस दिन तीन शुभ मुहूर्त  हैं जब कलश स्थापित किया जा सकता है। पहला प्रात: 6 बजकर 29 मिनट से 7 बजकर 45 मिनट तक, दूसरा 6 बजकर 58 मिनट से 7 बजकर 26 मिनट तक आैर तीसरा 11.03 से लेकर 11.08 तक। इनमें से सबसे अच्छा मुहूर्त 6.58 से 7.26 तक का है। 

महिलाआें के लिए विशेष 

इस बार के नवरात्र महिलाआें के लिए विशेष लाभदायक हैं। अश्वनि मास की शुक्ल प्रतिपदा से शारदीय नवरात्र प्रारंभ होते हैं। इस वर्ष इनका आरंभ बुधवार 10 अक्टूबर से हो रहा है आैर इस वर्ष देवी नौका पर सवार हो कर पधार रही हैं। यूं तो नौका पर देवी का आगमन सभी के लिए कल्याणकारी होता है परंतु इस बार के नवरात्र महिलाआें के लिए विशेष लाभकारी होंगे। इस दौरान विभिन्न स्थानों पर महिलायें नेतृत्व संभालती नजर आयेंगी। उन्हें अच्छे पदों को प्राप्ति होगी आैर प्रशासनिक सेवाआें में सम्मान पायेंगी। वे संगठन की मुखिया के रूप में भी नजर आ सकती हैं। 

एेसे करें कलश की स्थापना 

सबसे पहले कलश की स्थापना के लिए लाल रंग का आसन, मिट्टी का पात्र, जौ, कलश के नीचे रखने के लिए मिट्टी, कलश, मौलि, लौंग, इलायची, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, चावल, अशोक या आम के 5 पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, माता के श्रृंगार की सामग्री और फूलों की माला एकत्रित करें। इसके पश्चात नवरात्रि के पहले दिन नहाकर मंदिर की सफाई करें और आैर गणेश जी कास्मण करने के पश्चात मां दुर्गा के समक्ष अखंड ज्योती जलाएं। अब मिट्टी के पात्र में मिट्टी भर कर उसमें जौ के बीज डालें। एक तांबे के कलश पर मौलि बांधें और उस पर स्वास्तिक बनाएं। इस पर गंगाजल डालकर उसमें दूब, साबुत सुपारी, अक्षत और सवा रुपया डाल दें। इसके बाद कलश के ऊपर आम या अशोक 5 पत्ते लगाएं और नारियल को लाल चुनरी में लपेटकर उस पर रखे। अंत में इस कलश को जौ वाले मिट्टी के पात्र के बीचोबीच स्थापित कर दे। 

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