Lord Shiv: सोमवार के दिन भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न, शुभ फल की होगी प्राप्ति

धार्मिक मान्यता के अनुसार सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। मान्यता है कि शिव जी की पूजा के दौरान आरती करने से महादेव की कृपा व्यक्ति पर सदैव बनी रहती है। ऐसे में सोमवार के दिन शिव जी का आरती जरूर पढ़नी चाहिए।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Publish:Sun, 10 Mar 2024 05:20 PM (IST) Updated:Sun, 10 Mar 2024 05:20 PM (IST)
Lord Shiv: सोमवार के दिन भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न, शुभ फल की होगी प्राप्ति
Lord Shiv: सोमवार के दिन भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न, शुभ फल की होगी प्राप्ति

HighLights

  • सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है।
  • इस दिन भगवान महादेव की विशेष पूजा करनी चाहिए।
  • पूजा के दौरान आरती अवश्य करनी चाहिए।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Jai Shiv Omkara Aarti: सनातन धर्म में सोमवार के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना और व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। मान्यता है कि शिव पूजा के दौरान आरती करने से महादेव की कृपा व्यक्ति पर सदैव बनी रहती है। ऐसे में सोमवार के दिन शिव जी का आरती जरूर पढ़नी चाहिए। 

आरती का महत्व

सनातन धर्म में माना गया है कि कोई भी पूजा बिना आरती के पूरी नहीं होती। आरती को “आरार्तिक’ और “नीरंजन” भी कहा जाता है। आरती व्यक्ति के आत्म बल को बढ़ाने में मदद करती है। इतना ही नहीं परिवार के साथ मिलकर की गई आरती से सदस्यों के बीच सामंजस्य भी बढ़ाता है।

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शिव जी की आरती

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥

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