शनिवार को होती है शनिदेव की पूजा, हनुमान के ये भक्त रहते हैं पिता सूर्य से नाराज

शनिवार को शनिदेव की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि वे अपने पिता सूर्य देव से खफा रहते हैं और हनुमान जी के परम भक्त हैं।

By Molly SethEdited By: Publish:Fri, 26 Apr 2019 02:59 PM (IST) Updated:Sat, 27 Apr 2019 10:46 AM (IST)
शनिवार को होती है शनिदेव की पूजा, हनुमान के ये भक्त रहते हैं पिता सूर्य से नाराज
शनिवार को होती है शनिदेव की पूजा, हनुमान के ये भक्त रहते हैं पिता सूर्य से नाराज

कैसे करें शनि देव की पूजा

शनिवार को प्रात:काल उठकर स्‍नानादि कर शुद्ध हों। इसके बाद लकड़ी के पाटे पर एक काला कपड़ा बिछाकर उस पर शनिदेव की प्रतिमा रखें। इसके बाद उनके सामने के दोनों कोनों में घी का दीपक जलाएं व सुपारी चढ़ाएं। फिर शनिदेव को पंचगव्य, पंचामृत, इत्र से स्नान कराएं। उन पर काले या फिर नीले रंग के फूल चढाएं। अब उनके गुलाल, सिंदूर, कुमकुम व काजल लगाए। पूजा में तेल में तली वस्तुओं का नैवेद्य समर्पित करें। इस दौरान शनि गायत्री मंत्र, "ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्", का कम से कम एक माला जप करें। 

विशेष लाभ के लिए उपाय 

आज के दिन कुछ खास उपाय करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। जैसे सूर्योदय से पहले शरीर पर तेल मालिश करने के बाद स्नान करें। इस खास दिन पर ब्रह्मचर्य का पालन करने से लाभ होता है। इस दिन कहीं यात्रा पर नहीं जाना चाहिए। गाय और कुत्तों को तेल में बनी चीजें खिलाने से विशेष लाभ होता है। इस दिन शनि मंदिर में शनिदेव के साथ ही हनुमान जी के दर्शन करना शुभ होता है। इस दिन शनिदेव की आंखों में नहीं देखना चाहिए। वहीं कोशिश करें कि शनिवार को सूर्य देव की पूजा न करें। 

कौन हैं शनि

शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से पीड़ित लोगों के जीवन में मुश्किलें बढ़ जाती हैं। ज्योतिषशास्त्र के दार्शनिक खंड अनुसार सूर्य पुत्र शनि को पापी ग्रह माना गया है और इसे नवग्रह में न्यायाधीश की उपलब्धि प्राप्त है। शनि को नवग्रह में दास की भी पदवी प्राप्त है। ये कृष्ण वर्ण के हैं तथा इनका लंगड़ाकर चलना इनकी धीमी गति का कारण है। शनि का वाहन कौआ है। इन्हें रोग, दुख, संघर्ष, बाधा, मृत्यु, दीर्घायु, भय, व्याधि, पीड़ा, नंपुसकता व क्रोध का कारक माना गया है। ये मकर व कुंभ राशियों के स्वामी हैं। शास्त्रनुसार यदि कुण्डली में सूर्य पर शनि का प्रभाव हो तो व्यक्ति के पितृ सुखों में कमी देखी जाती है। शनि को मारक, अशुभ व दुख का कारक माना जाता है। शास्त्र उत्तर कालामृत के अनुसार शनि का प्रभाव कमजोर स्वास्थ्य, बाधाएं, रोग, मृत्यु, दीर्घायु, नंपुसकता, वृद्धावस्था, काला रंग, क्रोध, विकलांगता व संघर्ष का कारण बनता है। वास्तविकता में शनि न्यायाधीश ग्रह है जो प्रकृति में संतुलन पैदा करता है, और हर प्राणी के साथ न्याय करता है। जो लोग अनुचित विषमता, अस्वाभाविकता और अन्याय को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्हीं को प्रताड़ित करता है।

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