Jyeshtha Purnima 2020: आज है ज्येष्ठ पूर्णिमा, जानें-पूर्णिमा की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

Jyeshtha Purnima 2020 धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि जो व्यक्ति स्वर्ग प्राप्ति की कामना करता है उसे पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान और जरूरतमंदों को दान जरूर करना चाहिए।

By Umanath SinghEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 06:00 AM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 06:00 AM (IST)
Jyeshtha Purnima 2020: आज है ज्येष्ठ पूर्णिमा, जानें-पूर्णिमा की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
Jyeshtha Purnima 2020: आज है ज्येष्ठ पूर्णिमा, जानें-पूर्णिमा की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Jyeshtha Purnima 2020: आज ज्येष्ठ पूर्णिमा है। हिंदी पंचांग के अनुसार, साल के हर महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन चन्द्र देव अपने पूर्ण आकार में होते हैं। आज के दिन पूजा, जप, तप और दान से न केवल चंद्र देव की कृपा बनती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन से समस्त प्रकार के पाप कट जाते हैं। पूर्णिमा के दिन पूर्णिमा व्रत और सत्यनारायण पूजा का विधान है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि 5 जून को रात्रि में 3 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर 6 जून की मध्य रात्रि में 12 बजकर 41 मिनट को समाप्त हो रही है। व्रती 5 जून को दिन भर पूजा, जप, तप और दान कर सकते हैं।

ज्येष्ठ पूर्णिमा महत्व 

पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों एवं सरोवरों में स्नान-ध्यान से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। खासकर, कार्तिक और माघ पूर्णिमा के दिन प्रवाहित जलधारा में जरूर स्नान करना चाहिए। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि जो व्यक्ति मृत्यु पश्चात स्वर्ग प्राप्ति की कामना करता है और स्वर्ग के सुख को भोगना चाहता है, उसे पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान और जरूरतमंदों को दान जरूर करना चाहिए।

ज्येष्ठ पूर्णिमा पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म बेला में उठें और घर की साफ़-सफाई करें। कोरोना वायरस महामारी के चलते पवित्र नदियों में स्नान करना संभव नहीं है। ऐसे में घर पर ही गंगाजल युक्त पानी से स्नान ध्यान कर सर्वप्रथम भगवान भास्कर को ॐ नमो नारायणाय मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दें। इसके बाद तिलांजलि दें। इसके लिए सूर्य के सन्मुख खड़े होकर जल में तिल डालकर उसका तर्पण करें। फिर पूजा, जप और तप करें। अंत में जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें।

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