गणेश चतुर्थी 2018: गणपति के इस मंदिर में मिली थी विष्णु जी को सिद्घियां

महाराष्ट्र के अष्ट विनायकों में से एक है सिद्धटेक का सिद्धिविनायक मंदिर। इस मंदिर की खासियत है कि ये है कि इस स्थान का भगवान विष्णु से गहरा रिश्ता है।

By Molly SethEdited By: Publish:Thu, 13 Sep 2018 10:47 AM (IST) Updated:Fri, 14 Sep 2018 09:46 AM (IST)
गणेश चतुर्थी 2018: गणपति के इस मंदिर में मिली थी विष्णु जी को सिद्घियां
गणेश चतुर्थी 2018: गणपति के इस मंदिर में मिली थी विष्णु जी को सिद्घियां

अष्ट विनायकों में है स्थान 

सिद्धटेक का सिद्धिविनायक मंदिर एक प्रसिद्घ हिंदू मंदिर है जो ज्ञान के देव माने जाने वाले श्री गणेश को समर्पित है। यह मंदिर अष्टविनायक की सूची में शामिल है। महाराष्ट्र राज्य में गणेश जीे के आठ सम्मानित मंदिरों की कड़ी है उन्हीं में से एक है अहमदनगर जिले का अष्टविनायक मंदिर। यह अहमदनगर जिले के करजत क्षेत्र के सिद्धटेक में भीमा नदी के उत्तरी तट पर स्थित है। सिद्धटेक को मोरगांव के बाद अष्टविनायक मंदिरों में आने वाली सूची में दूसरे स्थान पर माना जाता है।  हांलाकि कुछ भक्त इसे मोरगांव और थूर के बाद तीसरे स्थान पर भी मानते हैं। 

सूंड़ के आधार पर कहलाते हैं सिद्घि विनायक 

सिद्घटेक के गणेश मंदिर की प्रतिमा में उनकी सूंड़ सीधे हाथ ओर मुड़ी हुर्इ है। आम तौर पर, गणेश जी की सूंड़ को बायीं आेर बनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सीधे हाथ पर सूड़ वाले गणपति अत्यंत शक्तिशाली होते हैं, लेकिन उन्हें प्रसन्न करना उतना ही कठिन होता है। इस क्षेत्र में यह एकमात्र अष्टविनायक मंदिर है जहां पर गणेश प्रतिमा की सूंड़ सीधे हाथ पर है। परंपरागत रूप से एेसी प्रतिमा वाले गणेश जी को "सिद्धि-विनायक" नाम दिया जाता है। यहां सिद्धि  का अर्थ है "उपलब्धि, सफलता", आैर "अलौकिक शक्तियों" का  दाता। इस प्रकार मंदिर को जाग्रत क्षेत्र कहा जाता है जहां के देवता को अत्यधिक शक्तिशाली माना जाता है।

विष्णु जी को मिली थीं सिद्घियां

सिद्धटेक में सिद्धिविनायक मंदिर एक बहुत ही सिद्ध स्थान के रूप में प्रतिष्ठित है। ऐसा माना जाता है यहां भगवान विष्णु ने सिद्धियां हासिल की थी। कहते हैं कि जब अपने कान के मैल से पैदा हुए दो दैत्यों मधु आैर कैटभ का विष्णु जी पूरे प्रयास के बाद भी अंत नहीं कर सके तो वे शिव जी की शरण में गए। तब उन्होंने उत्तर दिया कि वे प्रथम पूज्य गणेश जी आव्हान करना भूल गये हैं, इसीलिए वे असुरो को पराजित नही कर पा रहे है। इसके बाद भगवान विष्णु सिद्धटेक में तपस्या करने लगे और “ॐ श्री गणेशाय नमः” मंत्र का जाप कर उन्होंने गणपति को प्रसन्न किया। गणेश जी के आर्शिवाद से मिली सिद्घियों से विष्णु जी ने दोनों दानवों का संहार कर दिया। सिद्धिविनायक मंदिर एक पहाड़ की चोटी पर बना हुआ है। जिसका मुख्य द्वार उत्तर दिशा की ओर है। मंदिर की परिक्रमा के लिए पहाड़ी की यात्रा करनी होती है। यहां गणेशजी की मूर्ति 3 फीट ऊंची और ढाई फीट चौड़ी है। मूर्ति का मुख उत्तर दिशा की ओर है। यह सबसे पुराने मंदिरों में से एक है, जो करीब 200 साल पुराना है। 

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