इस मंदिर में नारी रूप में होती है हनुमान जी की पूजा, जानें-कथा और धार्मिक महत्व

राजा पृथ्वी ने हनुमान जी की कठिन भक्ति की जिससे प्रसन्न होकर हनुमान जी एक रात स्वप्न में आकर बोले-अपने क्षेत्र में एक मंदिर बनवाओ जिसके समीप एक सरोवर खुदवाओ। इस सरोवर में स्नान करने से तुम्हारा कुष्ठ रोग दूर हो जाएगा।

By Umanath SinghEdited By: Publish:Tue, 09 Jun 2020 12:09 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 03:49 PM (IST)
इस मंदिर में नारी रूप में होती है हनुमान जी की पूजा, जानें-कथा और धार्मिक महत्व
इस मंदिर में नारी रूप में होती है हनुमान जी की पूजा, जानें-कथा और धार्मिक महत्व

मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम के अनन्य और परम भक्त हनुमान जी की पूजा की जाती है। इन्हें कई नामों से जाना जाता है, जिनमें पवनपुत्र, बजरंगबली, संकट मोचन, हनुमान जी प्रमुख हैं। धार्मिक ग्रंथों में हनुमान जी को ब्रह्मचारी बताया गया है।

हालांकि, देश में एक ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी की पूजा नारी स्वरूप में होती है। इस मंदिर की महिमा बड़ी निराली है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी इस स्थान के सकल समाज की नारी रूप में रक्षा करते हैं। साथ ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। हनुमान जी का यह मंदिर छत्तीसगढ़ के रतनपुर जिले के गिरिजाबंध में अवस्थित है। आइए,  मंदिर स्थापना की कथा और धार्मिक महत्व जानते हैं-

मंदिर की कथा और इतिहास

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर की स्थापना पृथ्वी देवजू ने की है, जो कि तत्कालीन राजा थे। एक बार की बात है कि राजा पृथ्वी को कुष्ठ रोग हो गया। इसके लिए उन्होंने सभी जतन किए, लेकिन उनका कुष्ठ रोग ठीक नहीं हुआ। तब उन्हें किसी ज्योतिष ने हनुमान जी की पूजा-उपासना करने की सलाह दी।

राजा पृथ्वी ने हनुमान जी की कठिन भक्ति की, जिससे प्रसन्न होकर हनुमान जी एक रात स्वप्न में आकर बोले-अपने क्षेत्र में एक मंदिर बनवाओ, जिसके समीप एक सरोवर खुदवाओ। इस सरोवर में स्नान करने से तुम्हारा कुष्ठ रोग दूर हो जाएगा। राजा देवजू ने हनुमान जी के वचनों का पालन कर मंदिर बनवाया, सरोवर खुदवाया और सरोवर में स्नान भी किया।

इससे राजा का कुष्ट रोग ठीक हो गया। इसके कुछ दिन बाद राजा को हनुमान जी का स्वप्न आया कि सरोवर में एक प्रतिमा अवस्थित है, उसे मंदिर में स्थापित करो। राजा के सेवकों ने सरोवर में प्रतिमा की तलाश की तो उन्हें एक हनुमान जी की नारी स्वरूप वाली प्रतिमा मिली, जिसे मंदिर में स्थापित किया गया।

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