गया में पितरों को तारने वाली छह दर्शनीय वेदियां

17 दिवसीय (त्रिपाक्षिक) गया श्राद्ध के तृतीय दिवस का श्राद्ध आश्रि्वन कृष्ण द्वितीय को पांच तीर्थो में होता है- उत्तरमानस, उदीची, कनरवल, दक्षिण मानस एवं जिह्वा लाल। उक्त श्राद्ध वेदियों के समान ही पितरों को तारने वाली छह दर्शनीय वेदियां है। उत्तरमानस स्थित सूर्य मूर्ति, शीतला माता, दक्षिण मानस स्थित सूर्य मूर्ति, गदाधर विष्णु मूर्ति, लखनपुरा मुहल्ला स्थित

By Edited By: Publish:Wed, 10 Sep 2014 11:38 AM (IST) Updated:Wed, 10 Sep 2014 12:08 PM (IST)
गया में पितरों को तारने वाली छह दर्शनीय वेदियां

गया। 17 दिवसीय (त्रिपाक्षिक) गया श्राद्ध के तृतीय दिवस का श्राद्ध आश्रि्वन कृष्ण द्वितीय को पांच तीर्थो में होता है- उत्तरमानस, उदीची, कनरवल, दक्षिण मानस एवं जिह्वा लाल। उक्त श्राद्ध वेदियों के समान ही पितरों को तारने वाली छह दर्शनीय वेदियां है।

उत्तरमानस स्थित सूर्य मूर्ति, शीतला माता, दक्षिण मानस स्थित सूर्य मूर्ति, गदाधर विष्णु मूर्ति, लखनपुरा मुहल्ला स्थित प्रपितामह शंकर तथा उत्तर मानस स्थित पिता महेश्वर शंकर। पिता महेश्वर शंकर को ब्रह्म कल्पित कहा जाता है। ब्रह्म के मानस से पिता महेश्वर आविमरूत हुए थे। उक्त वेदियों के दर्शन पूजन पितरों के उद्धारक तथा श्राद्धकर्ता के कामना पूरक है। उत्तर मानस एवं दक्षिण मानस सरोवर को ब्रह्म ने हिमालय पर्वत पर स्थित मान सरोवर का आवाह्न कर यहां लाया था। धर्म शिला बनी हुई धर्मव्रता (मरीचि की पत्‍‌नी) के वरदान को पूर्ण करने के लिए ब्रह्म ने पवित्र सरोवरों को यहां लाया। उत्तर मानस पंचकोण सरोवर है तथा इसके उत्तरी तट पर सूर्य भगवान एवं शीतला का मंदिर है।

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