मैं, मेरी बाइक  और यात्राएं

हर्षिनी का शौक है बाइक से दूरदराज की यात्राएं करना। ये यात्राएं पहले सिर्फ घूमने के उद्देश्य से होती थीं मगर अब इनमें सामाजिक सरोकार भी जुड़ते जा रहे हैं।

By Edited By: Publish:Sun, 03 Jul 2016 02:37 PM (IST) Updated:Sun, 03 Jul 2016 02:37 PM (IST)
मैं, मेरी बाइक  और यात्राएं
किसी भी डिजास्टर से कैसे निपटा जा सकता है, यह मुंबई के ओएनजीसी में कार्यरत फायर इंजीनियर हर्षिनी को बखूबी आता है। एक ऐसे फील्ड में शोहरत हासिल करना, जो पुरुषों के लिए ही सुरक्षित रही हो, आसान नहीं होता। हर्षिनी ने नेशनल फायर सर्विस कॉलेज नागपुर में फायर इंजीनियरिंग का कोर्स किया क्योंकि इसकी वर्दी उन्हें बहुत पसंद थी। इस फील्ड की चुनौतियां उन्होंने स्वीकार कीं और अपने विषय में अकेली लडकी होने के बावजूद कोर्स पूरा किया। आग से खेलने के अलावा उनका दूसरा शौक है बाइक से दूरदराज की यात्राएं करना। ये यात्राएं पहले सिर्फ घूमने के उद्देश्य से होती थीं मगर अब इनमें सामाजिक सरोकार भी जुडते जा रहे हैं। इन यात्राओं से जुडे संस्मरण वह शेयर कर रही हैं सखी से। बचपन का सपना घूमने का शौक तो बचपन से है मुझे। पापा कई देशों की यात्राएं कर चुके हैं। बचपन में वह मुझे अपनी यात्राओं के अनुभव सुनाते थे तो मैं मन ही मन उन जगहों पर जाने के बारे में सोचने लगती थी। सोचती थी, कभी मैं भी यूं ही दुनिया देखने निकल पडूंगी। सच कहूं तो मुझे योजनाएं बना कर यात्रा करना पसंद नहीं। बस, जब भी थोडा समय और मौका मिलता है, निकल पडती हूं यात्राओं पर, कभी अकेले तो कभी दोस्तों के साथ। पहले मैं एनसीसी में थी। इसमें भी हम खूब यात्राएं करते थे। कैंप में रहना, शरीर को हर मौसम के अनुकूल ढालना और जो भी मिले, खा लेना...यह सब कला सिखाई एनसीसी ने। मोटरसाइकिल चलाने का शौक भी बचपन से ही था, जो कॉलेज के जमाने में परवान चढा। आखिकार मैंने 8 दिसंबर 2008 को अपने जन्मदिन पर खुद को एक बाइक तोहफे में दी। इसके बाद मेरी यात्राएं शुरू हो गईं। बाइक ग्रुप के साथ यात्रा बाइक खरीदने के बाद मैंने ऐसे ग्रुप्स को सर्च करना शुरू किया, जो मोटरसाइकिल से यात्राएं करते हों। मैं मुंबई में थी और यहां ऐसा कोई अच्छा ग्रुप मुझे नहीं मिल पा रहा था। वर्ष 2014 में मैंने एक ग्रुप जॉइन किया। इसमें 21 बाइक्स थीं और मैं अकेली फीमेल राइडर थी। ग्रुप में रहते हुए बाइक चलाने में कई नियमों का पालन करना होता है। इसमें समस्याएं भी आती हैं। इसके बाद मैंने अकेले बाइक पर घूमना शुरू किया। यह अनोखा एहसास था। कम और जरूरत भर का सामान साथ रखना और निकल पडऩा....लंबे समय तक मैं ऐसे ही कई स्थानों पर घूमती रही। अकेले निकली सफर पर एक बार मुंबई से अहमदाबाद जाना था। वापस लौटते हुए मेरे बाइकर साथी की गाडी खराब हो गई, इसके बाद मुझे अकेले ही बाइक से मुंबई लौटना पडा। एक तरह से वह मेरी पहली सोलो राइड थी लेकिन मैं भीतर से बहुत खुश थी क्योंकि इस यात्रा ने मुझे एक अलग आत्मविश्वास दिया। पिछले वर्ष दिसंबर में गोवा ट्रिप और इससे पहले अक्टूबर में अहमदाबाद की ट्रिप भी मेरे लिए बहुत प्रेरणादायक रही। एक बार मैं अरुणाचल प्रदेश गई। वहां बाइक से जाना थोडा मुश्किल काम है। जाने की योजना बना ही रही थी कि मुझे एक ऑफिशियल असाइनमेंट के लिए कांजीरंगा (असम) जाना पडा। मीटिंग के बाद मैंने कुछ दिन ऑफिशियल छुट्टी ली और घूमने निकल पडी। असम बाइक क्लब से मदद मांगी, जिन्होंने मेरी यात्रा का इंतजाम तो किया लेकिन अंतिम समय में किसी वजह से मुझे बाइक नहीं मिल सकी। फिर मैंने किसी कलीग से पुरानी बाइक मांगी और गुवाहाटी आई। गुवाहाटी में टैक्सी से हर जगह घूमना पडा, किराये पर मोटरसाइकिल लेने की कोशिश भी की। यहां से मैं चेरापूंजी गई। शिलॉन्ग से चेरापूंजी टैक्सी से ही जाना पडा। वहां ग्रीन वैली लॉज है, जहां एक पुरानी बाइक रखी थी, जो उनके ओनर की थी। जरूरत बताने पर लॉज के मैनेजमेंट ने मुझे बाइक दे दी। बाइक हाथ में आते ही मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। उस समय रात के साढे दस बज रहे थे और मैं वहां की लोकल मार्केट से कंफर्टेबल स्पोट्रर्स शू खरीद रही थी। फिर गाडी की सर्विसिंग कराई, टैंक फुल किया, जरूरत की सभी चीजे और रोड मैप रखा। अगले दिन अलसुबह मैं यात्रा पर निकल पडी। चेरापूंजी बेहद खूबसूरत जगह है। इस अचानक यात्रा ने मन को इतना सुकून दिया कि रात में लॉज लौटी तो वहां स्टाफ के लिए मैंने खुद खाना बनाया। इसी तरह अरुणाचल से मेघालय तक बाइक से ही यात्रा की। मैं बांग्लादेश बॉर्डर तक भी गई, कई नई जगहों की खोज की। वहां के रीति-रिवाज, खानपान और पहनावे से रूबरू हुई। स्थानीय लोगों के साथ खाना खाया, लोगों से मिली, उनसे बातें की और उनकी संस्कृति के बारे में जानने की कोशिश की। चेरापूंजी से शिलॉन्ग गई, वहां लॉज ओनर के निर्देशानुसार उनके परिचित को बाइक लौटाई। वहां लोग बहुत मिलनसार हैं। उन्होंने असम में दोबारा मेरे लिए बाइक की व्यवस्था की। एक अपरिचित व्यक्ति को गाडी की चाबी देना बडी बात है, जो वहां के लोगों ने मेरे लिए किया। मुंबई लौटी तो मेरा दिल प्यार व स्नेह से भरा था। यादें रह जाती हैं एक बार हम मुंबई से 20 बाइकर्स चंद्रपुर गए। यह महाराष्ट्र में है और यहां टाइगर सेंग्च्युअरी है। टाइगर बचाओ का संदेश देने वाले इस जत्थे में लीड राइडर मैं थी। हमें बॉलीवुड के बादशाह अमिताभ बच्चन ने फ्लैग दिखा कर रवाना किया। बिग बी से मिलना किसी सपने के साकार होने जैसा था। कर्नाटक सरकार ने टाइगर रिजर्वेशंस के लिए निकलने वाली जागरूकता बाइक रैली में हमें आमंत्रित किया। इस तरह कई राज्यों से निमंत्रण मिल रहे हैं। मुझे स्कूबा डाइविंग और रिवर राफ्टिंग भी बहुत पसंद है। कुछ समय पहले ऋषिकेश में रिवर राफ्टिंग की। यात्राएं मुझे खुद से मिलाने का जरिया हैं। इनसे बहुत कुछ सीखने, जीवन का अर्थ समझने में मदद मिलती है। यात्राएं दुनिया को देखने का नया नजरिया भी देती हैं मुझे। राइडिंग रूल्स गाडी की बेसिक्स जानें। हवा व ईंधन जांच लें और छोटी-छोटी समस्याएं सुलझाना सीखें। अच्छे ब्रैंड का हेलमेट खरीदें। नी, रिस्ट और एंकलेट गाड्रर्स और चाबी के दो सेट रखें। जहां जा रही हैं, वहां की जलवायु के बारे में अपडेट पता करती रहें। रोड मैप भी साथ रखें। ट्रैफिक नियमों का पालन करें। ओवरटेक न करें। नींद आ रही हो तो ड्राइविंग न करें। एटीएम-क्रेडिट काड्र्स के साथ कैश भी रखें। पेट्रोल फुल कराएं, अपने रूट पर उपलब्ध सर्विस सेंटर और पेट्रोल पंप के बारे में पता करें। रूट के स्टेशंस, गांव, शहरों के अलावा अस्पतालों और हेल्प सेंटर्स के नंबर्स साथ रखें। फीमेल सोलो ट्रैव्लर को किसी कारण रात में यात्रा करनी पडे तो सुरक्षा के उपाय पुख्ता रखें। इमर्जेंसी नंबर्स रखें। आसपास कोई परिचित या दोस्त रहते हों तो उनके नंबर्स भी रखें। अकेले यात्रा के दौरान अलर्ट रहें। अनजान जगह पर हों तो यह जाहिर न होने दें कि आपको वहां के बारे में कुछ मालूम नहीं है। सडकों के बारे में जानकारी लें, ताकि कहां सडक खराब है और कहां ठीक, पता रहे। फर्स्ट एड बॉक्स और टूल किट रखें। ब्रेक, वायर, क्लच, फ्यूज , टायर ट्यूब जांच लें। ब्रेक ऑयल रखें। सेफ्टी गॉगल्स का एक सेट लें। अच्छे ब्रैंड के प्रॉपर स्पोट्र्स शूज पहनें। गाडी के सभी दस्तावेज साथ रखें। खराब या धूल भरे मौसम में चल रहे हों तो मास्क लगाने के बाद हेलमेट पहनें।
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