प्यार ही काफी नहीं

सेक्सुअल केमिस्ट्री का अर्थ है रिश्ते में मानसिक, भावनात्मक व व्यावहारिक समानता। यानी समान डिज़्ाायर्स, नज़्ारिया, सोच, विश्वास और पसंद का होना। इसका मतलब है पार्टनर से सेक्सुअल करीबी। दांपत्य में इस केमिस्ट्री की ज़्ारूरत क्यों और कितनी है, जानें।

By Edited By: Publish:Fri, 25 Sep 2015 03:32 PM (IST) Updated:Fri, 25 Sep 2015 03:32 PM (IST)
प्यार ही काफी नहीं
सेक्सुअल केमिस्ट्री का अर्थ है रिश्ते में मानसिक, भावनात्मक व व्यावहारिक समानता। यानी समान डिज्ाायर्स, नज्ारिया, सोच, विश्वास और पसंद का होना। इसका मतलब है पार्टनर से सेक्सुअल करीबी। दांपत्य में इस केमिस्ट्री की ज्ारूरत क्यों और कितनी है, जानें।

पति-पत्नी के रिश्ते में सब कुछ अच्छा चले, इसके लिए प्यार ही नहीं, सेक्सुअल कंपेटिबिलिटी भी ज्ारूरी है। इस सेक्सुअल केमिस्ट्री में कई पहलू शामिल हैं। जैसे चाह, अभिव्यक्ति का तरीका, सेक्स वैल्यूज्ा और सेक्सुअल पर्सनैलिटी। शोध बताते हैं कि इस स्तर पर पति-पत्नी की सोच में जितनी समानता होगी, उतना ही उनका रिश्ता स्वस्थ, ख्ाुशमिज्ााज और सदाबहार बना रहेगा। सोच की यह समानता सेक्स में संतुष्टि देती है, इच्छाएं पैदा करती है और सेक्स की फ्रीक्वेंसी बढाती है।

कई कपल्स के बीच मानसिक-भावनात्मक कंपेटिबिलिटी तो होती है, लेकिन सेक्सुअल स्तर पर सोच एक जैसी नहीं होती। इससे रिश्ते का एक पहलू उपेक्षित होता है। नतीजा होता है असंतुष्टि, सेक्सुअल कुंठाएं, अवसाद, बेचैनी, भावनात्मक दूरी, ग्ाुस्सा और कई बार नपुंसकता भी। दोनों पार्टनर्स को सेक्स में संतुष्टि नहीं मिलती तो धीरे-धीरे एक पार्टनर सेक्स से भागने लगता है। इससे लो लिबिडो की भावना पनपने लगती है, जो समय के साथ ज्ाीरो लिबिडो में बदल सकती है। इससे रिश्ते के बाकी पहलू भी प्रभावित होने लगते हैं।

जो सिरे नहीं मिलते...

एक्सपट्र्स का मानना है कि डिज्ाायर्स में भिन्नता या मिसमैच्ड लिबिडो एक आम समस्या है, जिसके लिए कई बार कपल्स काउंसलर से मिलते हैं। मिसमैच्ड लिबिडो का अर्थ है-एक पार्टनर की तुलना में दूसरे की डिज्ाायर बहुत ज्य़ादा या कम होना। थेरेपिस्ट मानते हैं कि सेक्सुअल कंपेटिबिलिटी कोई स्थाई चीज्ा नहीं है और कोशिशों से इसे बढाया जा सकता है। लो लिबिडो की समस्या पर काफी बात की जाती है, मगर सेक्सुअल केमिस्ट्री को कैसे बढाया जाए, इस पर वैज्ञानिक सोच की अभी कमी दिखती है। एक बार पार्टनर के समक्ष अपनी भावनाएं, सोच और इच्छाएं ज्ााहिर करना आ जाए तो सेक्सुअल केमिस्ट्री की मिस्ट्री काफी हद तक सुलझ जाती है।

वे सिरे मिल भी सकते हैं

यदि एक पार्टनर के लिए सेक्स ज्ारूरी हो और दूसरे के लिए नहीं तो क्या होगा? दो अलग-अलग सिरों को कैसे जोडा जा सकता है?

रश्मि-मानस (काल्पनिक नाम) शादी के तीन साल बाद काउंसलर से मिलने पहुंचे। पत्नी की लो डिज्ाायर्स और पति की अधिक इच्छा के बीच तालमेल नहीं बैठ पा रहा था। बातचीत में दोनों ने माना कि उन्होंने कभी एक-दूसरे से अपनी सेक्स डिज्ाायर्स नहीं बांटीं। सेक्स महज्ा शारीरिक नहीं, भावनात्मक क्रिया भी है। हर कपल के लिए ज्ारूरी है कि वे इस पर बात करें कि सेक्स की उनकी परिभाषा क्या है? इंटरकोर्स के बाद उन्हें कैसा महसूस होता है? वे अंतरंग रिश्तों से क्या चाहते हैं? इसे वे करीब आने का ज्ारिया मानते हैं या शारीरिक रसायनों को रिलीज्ा करने का माध्यम? उन्हें सेक्स में एक्स्प्लोर करना अच्छा लगता है या वे सिर्फ इसे निभाते हैं? यदि एक के लिए सेक्स का अर्थ प्यार और इंटीमेसी है और दूसरे के लिए केवल रिलैक्स होने का तरीका तो उनके बीच सेक्सुअल केमिस्ट्री मुश्किल हो सकती है।

ऐसे जोडें कडी-कडी

'सेक्स एंड लव इन इंटीमेट रिलेशनशिप्स नामक पुस्तक में लेखिका और मनोवैज्ञानिक डॉ. लिज्ाा फायरस्टोन कंपेटिबिलिटी से जुडे कुछ सवालों के जवाब देती हैं। जैसे, सेक्सुअल केमिस्ट्री क्या है? यह क्यों ज्ारूरी है? किन आधारों पर यह पनपती है और क्या ऐसा पार्टनर मिल सकता है जिसके साथ सेक्सुअल केमिस्ट्री बैठे?

1. पहले सवाल के जवाब में उनका कहना है कि सेक्सुअल केमिस्ट्री एक हकीकत है। जहां कपल्स समान सोच व सम्मान के साथ जुडते हैं, वहीं यह पनपती है। हालांकि दो व्यक्तियों में हर चीज्ा समान नहीं हो सकती, सेक्स डिज्ाायर्स भी एक सी नहीं होतीं। समस्या वहां से शुरू होती है, जहां से यह माना जाता है कि शादी दो आत्माओं का मिलन है और कपल्स के विचार मिलने ज्ारूरी हैं। इस रूढ मान्यता के आधार पर जब कोई महसूस करता है कि पार्टनर उसके जैसा नहीं है या उससे अलग है तो वह रिजेक्ट करने लगता है या रिजेक्शन महसूस करता है। इसके उलट समान विचारों वाला कोई मिले भी तो क्या गारंटी है कि वह अपने विचार बांटेगा! परफेक्ट कोई नहीं होता। शादी में दोस्ती, स्वतंत्रता, सहयोग और कंपेनियनशिप की भावना ज्ारूरी है, सेक्सुअल कंपेटिबिलिटी इन्हीं आधारों पर पनपती है।

2.दूसरी बात यह कि सेक्स वैवाहिक रिश्ते का ज्ारूरी हिस्सा है। लेकिन हर व्यक्ति के लिए माता-पिता, भाई-बहन, दोस्त ही उसके रोल मॉडल होते हैं। व्यक्ति जिन रिश्तों के बीच बडा होता है, भविष्य में उसके रिश्तों की बुनियाद में उनका बडा योगदान होता है। व्यक्ति अपने पार्टनर में भी उन्हीं रिश्तों का अक्स देखना चाहता है। साथी का चयन करते हुए कहीं न कहीं रिश्ते हावी होते हैं। दूसरी ओर शोध बताते हैं कि यदि कोई व्यक्ति शांत है और उसका पार्टनर आक्रामक तो भविष्य में आक्रामक साथी रिश्ते पर हावी होने लगता है। पहली नज्ार में रिश्तों का यह पैटर्न कंफर्टेबल लगता है, लेकिन धीरे-धीरे ख्ाामोशी क्रोध या कुंठा में बदल सकती है। कई बार जिसे 'अच्छे मूल्यों वाला माना जाता है, वह बाद में 'जज्मेंटल लगने लगता है। जो शुरू में 'स्थिर प्रवृत्ति का लगता है, भविष्य में 'डल लग सकता है। अगर कोई ऐसा साथी चाहे जो उसे कंप्लीट करे तो इसका मतलब है कि उसने ख्ाुद को सीमाओं में बांध लिया है और निजी विकास का रास्ता रोक लिया है। साथी ऐसा होना चाहिए जो चुनौतियां पेश करे और आगे बढऩे में सहयोग दे सके।

3. रिश्तों में कंपेटिबिलिटी का एक अर्थ है कंफर्ट ज्ाोन से बाहर निकलना। उसे चुनें, जिसे सचमुच जीवन में देखना चाहते हैं, जिसके लिए कुछ करने की ख्वाहिश रखते हैं। उम्र, नौकरी, सामाजिक स्तर जैसे आधार चुनाव को सीमित कर देते हैं। इसलिए ख्ाुद पर भरोसा रखना, बदलाव को स्वीकारना भी ज्ारूरी है।

4. चौथी और अंतिम बात यह है कि पूरी पृथ्वी में कोई भी ऐसा नहीं हो सकता जो हर मायने में समान सोच रख सके। साथ रहने से पहले किसी के व्यक्तित्व को परखा भी नहीं जा सकता। लेकिन कोशिशों से धीरे-धीरे संंबंधों में केमिस्ट्री बिठाई जा सकती है।

कपल्स के लिए टिप्स

1. संवाद किसी भी स्वस्थ रिश्ते की बुनियाद है। सेक्स के मामले में तो यह और भी ज्ारूरी है। अपनी डिज्ाायर्स और फीलिंग्स शेयर करने से न हिचकिचाएं।

2. कपल टाइम ज्ारूरी है। ज्िाम्मेदारियों के बीच थोडा समय रिश्ते के लिए ज्ारूर निकालें। कुछ नया और रोमांचक करें।

3. उम्र, मेडिकल स्थितियों का भी सेक्स संबंधों पर प्रभाव पडता है। ऐसे में पार्टनर को सहयोग देना ज्ारूरी है।

4. सेक्स लाइफ को नया बनाने की कोशिशें ज्ारूरी हैं। हर कपल की ज्िांदगी में ऐसे बदलाव होते हैं जिनमें सेक्स पीछे छूटने लगता है। हनीमून पीरियड हमेशा नहीं रहता, लेकिन सेक्स को एंजॉय करने की चाह हमेशा रहनी चाहिए, भले ही उसके तरीके बदलने पडें।

5. एक-दूसरे की ज्ारूरतों, इच्छाओं, मन:स्थिति का सम्मान करना ज्ारूरी है। अपनी समानताओं के साथ भिन्नताओं को भी स्वीकारें।

इंदिरा राठौर

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