रहना है सदा पास तो 6 बातों से रहें दूर

दांपत्य जीवन में सेक्स ऐसा अचूक औजार है, जो जीवन के अन्य स्तरों को भी दुरुस्त करता है। लेकिन कई बार परेशानियां इतनी हावी हो जाती हैं कि सेक्स की ओर ध्यान नहीं जाता, इससे मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। दांपत्य में खतरे के 6 संकेतों को पहचानें, सेक्स संबंधों की अहमियत समझें और रिश्तों को दें एक मजबूत धरातल।

By Edited By: Publish:Sat, 10 May 2014 11:20 AM (IST) Updated:Sat, 10 May 2014 11:20 AM (IST)
रहना है सदा पास तो 6 बातों से रहें दूर

वैवाहिक जीवन में सबसे बडा खतरा क्या है? लोग विवाहेतर संबंधों की ओर क्यों बढते हैं?

क्या इसकी वजह बोरडम, प्यार की कमी, गुस्सा कुछ और है? एक नए शोध को सही मानें तो सेक्स संबंधों की कमी दांपत्य के लिए सबसे बडे खतरे का संकेत है। हालांकि भारत जैसे परंपरागत समाजों में दांपत्य में सेक्स के महत्व को लेकर अभी उतनी बातचीत नहीं होती। लेकिन यह सर्वे दांपत्य जीवन में सेक्स की अहमियत की ओर इशारा करता है।

एक वेबसाइट द्वारा 26 देशों के लगभग 75 हजार लोगों पर कराए गए इस सर्वे में 33 हजार लोग यू.एस. के थे। सर्वे के अनुसार अगर नाखुश, दुखी या चीटिंग करने वाली स्त्रियों का आंकडा देखें तो ऐसी पांच में से एक स्त्री के वैवाहिक जीवन से सेक्स गायब रहा है। यह आंकडा अमेरिकी समाज में सबसे ज्यादा है। यहां की लगभग 22 प्रतिशत स्त्रियों ने स्वीकार किया कि पति के साथ उनके सेक्स संबंध खत्म हो चुके हैं। दुनिया के बाकी देशों में यह आंकडा थोडा कम है। यूके की 18 प्रतिशत, हॉंगकॉंग की 16, स्पेन में 12, फ्रांस में 9, इटली और ब्राजील में 8 प्रतिशत स्त्रियों ने माना कि उनके जीवन से सेक्स गायब है।

सेक्स के प्रति विकसित समाजों में बढती विरक्ति चिंताजनक है। यह शादी की बुनियाद को हिला सकती है। हर दंपती के जीवन में कुछ ऐसे मुद्दे होते हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना दांपत्य की कश्ती को डुबो सकता है। इसलिए खतरे के इन संकेतों को पहचानना जरूरी है।

1. आलोचना-नैगिंग

आलोचना सकारात्मक भी होती है, नकारात्मक भी। तुम्हारी आदतें बुरी हैं..तुम्हारा ड्रेसिंग सेंस बुरा है.. से लेकर यह हेयरस्टाइल तुम पर सूट नहीं करता.. तक कई ऐसी बातें हो सकती हैं, जिन्हें लेकर पति-पत्नी एक-दूसरे की आलोचना करते हैं। लेकिन आलोचना या नैगिंग लगातार होती रहे तो यह दूसरे पक्ष को या तो हीन-भावना से ग्रस्त कर देगी, जिसका नतीजा होगा कुंठा, या फिर उसे विध्वंसक बना देगी। यह विस्फोटक स्थिति बेडरूम के माहौल को भी बिगाड सकती है। सेक्स संबंधों पर इनका असर पडेगा ही।

क्या करें : समय है कि अपने बोलने का तरीका सुधारें और अपनी बात संतुलित ढंग से कहना सीखें। आलोचना पर ब्रेक लगाएं और संभल जाएं। एक-दूसरे को समझें और सुधरने का मौका दें। स्थिति बदतर हो तो तुरंत काउंसलर से मिलें।

2. अंतहीन समझौते

दो लोग साथ रहने लगते हैं तो एक-दूसरे के हिसाब से एडजस्टमेंट करते हैं। थोडा चेंज जरूरी है। पति की खातिर पत्नी टीवी छोड सकती है तो पत्नी की ख्ातिर पति दोस्तों के साथ नाइटआउट छोडता है। व्यावहारिक स्तर पर संतुलन बिठाने के लिए दोनों को कुछ समझौते करने होते हैं। लेकिन जब एक को लगने लगे कि समझौते के लिए उसे अपने मूल्यों, प्राथमिकताओं, विचारों से लेकर अपने ड्रेसिंग स्टाइल या पूरे व्यक्तित्व को बदलना पड रहा है तो यह दांपत्य के लिए गंभीर संकेत है। किसी की रीअल पर्सनैलिटी को नहीं बदला जा सकता। ऐसा होने का मतलब है- दांपत्य में दरार। पर्सनल फ्रीडम, निजी स्वतंत्रता या स्पेस के न होने से रिश्तों में कुंठाएं पनपती हैं। समझौतों का यह सिलसिला सेक्स पर सीधे वार करता है। जब कहीं गुबार नहीं निकलता तो बेडरूम में निकलता है।

क्या करें : साथ रहने की इतनी बडी कीमत किसी को क्यों चुकानी पडे! किसी के पास अपना कहने को कुछ रहेगा ही नहीं तो वह संबंधों में कैसे खुश रहेगा? संभल जाएं क्योंकि समझौतों का यह सिलसिला सेक्स जीवन पर सेंध लगाने लगा है। समझौतों से भरी राह पर गृहस्थी की गाडी न दौडाएं, वरना दुर्घटना निश्चित है।

3. मी वर्सेज वी टाइम

मुझे अकेले घूमना पसंद है, बाहर खाना पसंद है, रोमेंटिक मूवीज पसंद हैं.., तुम मेरा खयाल नहीं रखतीं.., अकेले रहना इतना पसंद था तो शादी क्यों की? नए व्यस्त जोडों की जिंदगी में मी टाइम जरूरी है, मगर वी टाइम की अहमियत समझना भी जरूरी है। कई बार निजी एकांत, पर्सनल स्पेस या मी टाइम दांपत्य पर भारी पड जाता है। पत्नी कॉफी मग और बुक लेकर बैठी और पति ने उसी समय खाने की फरमाइश कर दी। पति अपने रिश्तेदारों के पास समय बिताना चाहता है तो पत्नी को यह अपनी उपेक्षा महसूस होगी। यहां आपसी समझदारी की सबसे ज्यादा जरूरत पडती है।

क्या करें : रिश्तों में जितना जरूरी पर्सनल स्पेस है, उतना ही जरूरी है एक-दूसरे से कनेक्ट रहना। दूसरे की अहमियत जताना जरूरी है। सॉरी डियर, आज तुम्हें अकेले डिनर करना होगा, मगर कल हम साथ में डिनर करेंगे। बस मैं-तुम, मूवी, डिनर और रोमैंस.. , यह छोटा सा टेक्स्ट पार्टनर को एहसास दिला सकता है कि वह अपने जीवनसाथी के लिए खास है।

4. गैर-बराबरी

कल शाम मैंने घर में कुछ दोस्तों को बुलाया है, तुम्हें खाना बनाना होगा, तुम्हें जॉब करने की क्या जरूरत है..? फिल्म क्वीन में कंगना रनौत का अपने मंगेतर से रिश्ता टूटने की सबसे बडी वजह यही थी कि रिश्ते से जुडे सभी अहम फैसले नायक विजय लेता है, नायिका रानी नहीं। ऐसे हर संबंध का अंत निराशाजनक होता है। अगर इतनी भी बराबरी नहीं कि फैसले मिल कर लिए जाएं तो रिश्ते की बुनियाद हिलेगी ही।

क्या करें : किसी को घर पर आमंत्रित करने से पहले पार्टनर से मशविरा करना जरूरी होता है। आखिर घर दोनों का है और जिम्मेदारियां भी बराबर हैं। घर, रिश्ते या बच्चों से जुडा कोई भी फैसला अकेले नहीं, पति-पत्नी दोनों को साथ मिल कर लेना चाहिए, वरना यह गैर-बराबरी रिश्ते में दरार पैदा कर देगी। इसका सीधा असर सेक्स संबंधों पर पडेगा।

5. संवादहीनता

मतभेद हर दंपती के बीच होते हैं, लेकिन संवाद की कमी इन्हें बढा देती है। जब रिश्तों में संवाद महज्ा हां, नहीं, यूं ही, क्यों, ठीक है.. जैसे शब्दों तक सिमट जाए तो इसका अर्थ है कि सब कुछ ठीक नहीं है। किसी भी मुद्दे को सुलझाने के लिए उस पर बातचीत जरूरी है। बहस या झगडे से बचने के लिए संवाद से पलायन करना अपने दांपत्य को अनचाही स्थितियों में डालना है। एक पक्ष को लगता है कि वह कुछ बोलेगा तो बात बढ जाएगी। कई बार बहस से बचने के लिए चुप रहना कारगर हो सकता है, मगर कई बार यह चुप्पी विस्फोटक भी हो सकती है। अगर यह सन्नाटा बेडरूम में पसर जाए तो रिश्ते बिगडते चले जाते हैं।

क्या करें : जीवनसाथी से असहमति है तो अपनी बात रखें। सिर्फ यह सोच कर कि पार्टनर को बुरा लग सकता है या इससे बहस बढ सकती है, खुद को कुंठित करना ठीक नहीं। रिश्ते बेहतर तभी होंगे, जब उनमें इतनी पारदर्शिता हो कि एक-दूसरे की परेशानी समझ सकें।

6. सेक्स को नो-नो

दांपत्य में सेक्स संबंधों की महत्वपूर्ण भूमिका है। स्त्री-पुरुष सेक्स को लेकर एक सी सोच रखें, ऐसा संभव नहीं है। लेकिन एक-दूसरे के हिसाब से अपनी सेक्सुअल नीड्स को बदलना कुछ हद तक जरूरी है। दांपत्य का सुखद भविष्य बेहतर सेक्स संबंधों के आधार पर तय होता है। शोध बताते हैं कि रोमैंटिक कपल्स की उम्र लंबी होती है और उनके रिश्ते जीवंत रहते हैं। वे अपने जीवन से उन लोगों की तुलना में ज्यादा संतुष्ट रहते हैं, जिनके जीवन में सेक्स की कमी रही। इसलिए सेक्स की महत्ता समझें और अपनी व्यस्त दिनचर्या में इसके लिए समय जरूर निकालें।

क्या करें : अच्छा सेक्स संबंध जीवन को सकारात्मक नजरिया देता है। जीवन के हर स्तर पर खुश रहना चाहते हैं तो सेक्स जीवन में खुशी के नए तरीके ढूंढें। यदि ऐसा लगता है कि सेक्स जिंदगी से खत्म हो रहा है या पार्टनर से तालमेल नहीं बन रहा है तो थेरेपिस्ट की मदद लें। प्यार, दोस्ती, शेयरिंग व सेक्स का कंप्लीट पैकेज केवल शादी से ही मिल सकता है, बस एक-दूसरे को महत्व दें।

इंदिरा राठौर

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