पूरी दुनिया में हैं भारतीय स्वाद के दीवाने: शेफ कुणाल कपूर

दिल्ली के ठेठ पंजाबी परिवार से आने वाले शेफ कुणाल कपूर को बचपन से ही कुकिंग का शौक था। टीवी शो मास्टरशेफ इंडिया में तीनों सीज़्ान के होस्ट और जज रहे कुणाल ने चंडीगढ़ से होटल मैनेजमेंट कोर्स किया। अभी वह गुडग़ांव के होटल लीला में एग्ज़्िाक्यूटिव सू शेफ हैं।

By Edited By: Publish:Sat, 28 Nov 2015 02:39 PM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2015 02:39 PM (IST)
पूरी दुनिया में हैं भारतीय स्वाद के दीवाने: शेफ  कुणाल  कपूर

दिल्ली के ठेठ पंजाबी परिवार से आने वाले शेफ कुणाल कपूर को बचपन से ही कुकिंग का शौक था। टीवी शो मास्टरशेफ इंडिया में तीनों सीज्ान के होस्ट और जज रहे कुणाल ने चंडीगढ से होटल मैनेजमेंट कोर्स किया। अभी वह गुडग़ांव के होटल लीला में एग्ज्िाक्यूटिव सू शेफ हैं। खाने में अपनी रचनात्मक अभिव्यक्ति तलाशने वाले कुणाल कपूर से एक मुलाकात।

दिल्ली के पंजाबी परिवार से आने वाले शेफ कुणाल कपूर कुकिंग को एक आर्ट मानते हैं। उनकी एक कुकबुक 'ए शेफ इन एवरी होम प्रकाशित हो चुकी है और उन्हें चार बार बेस्ट रेस्तरां अवॉर्ड भी मिल चुका है। एक नए टीवी शो 'पिकल नेशन के ज्ारिये वह देश भर में बनाए जाने वाले विभिन्न िकस्म के अचारों, उन्हें बनाने वालों की ज्िांदगी के अलावा अचार से जुडी संस्कृति और परंपराओं पर रोशनी डालते नज्ार आएंगे।

शेफ, आज आप फूड इंडस्ट्री का बडा नाम हैं। कभी सोचा था, खाना बनाने का शौक इस मुकाम तक ले आएगा?

पता नहीं मैं कितना पॉपुलर हूं, लेकिन मैं अपने दिल-दिमाग्ा में केवल एक बात याद रखता हूं, वह यह कि जो भी काम करूं, उसे पूरे प्यार और समर्पण के साथ करूं। इस इंडस्ट्री में 15 साल से भी ज्य़ादा समय से हूं और अपने करियर में संतुष्ट हूं। पीछे देखता हूं तो कई सफलताएं-विफलताएं नज्ार आती हैं। मैंने कुछ अच्छे फैसले लिए तो कई बेवकूिफयां भी कीं। पहले दुखी होता था, आज ख्ाुद पर हंसता हूं। दरअसल मैं बहुत ही शर्मीला लडका रहा हूं। इस इंडस्ट्री में आकर मैंने धीरे-धीरे ख्ाुद को अपने सुरक्षित खोल से बाहर निकाला। आज मेरे माता-पिता मेरी उपलब्धियों पर गर्व करते हैं और मेरे लिए सबसे बडी ख्ाुशी की बात यही है।

आपके करियर का टर्निंग पॉइंट क्या था। इस सफर के अनुभव क्या रहे?

जी, 15 साल पहले जब मैंने इस इंडस्ट्री में कदम रखा था, इसे बहुत अच्छा करियर नहीं समझा जाता था। अकसर कहा जाता था, 'पढाई कर लो वर्ना हलवाई बनोगे...। सच कहूं तो मैं यहां इसलिए आया क्योंकि मैं गणित में कमज्ाोर था। गणित से ऊब कर किचन में जाता था तो वहां मुझे प्रयोग करने की आज्ाादी मिलती थी। मेरे भीतर बैठा शर्मीला लडका खाना बनाते समय बहुत बोल्ड हो जाता था। खाना मेरे लिए अपनी रचनात्मकता को दिखाने का एकमात्र ज्ारिया था। मेरी हिचक मेरे खाने में नज्ार नहीं आती थी। मैंने ताज होटल में ट्रेनी पद से शुरुआत की। मैं मानता हूं कि तब मैं अच्छा शेफ ट्रेनी नहीं था लेकिन मैं हमेशा से बेहतर लर्नर रहा हूं। कुकिंग को करीब से जानने-समझने में मुझे काफी वक्त लगा। शुरुआत के लगभग छह साल मैं केवल सिर झुका कर मास्टर्स से इस ट्रेड को समझने की कोशिश करता रहा। महज्ा 19 साल की उम्र में 15-16 घंटे लगातार काम करना बहुत मुश्किल था, लेकिन मेरे पास कुछ और करने को था ही नहीं, इसलिए मैंने पीछे मुडकर नहीं देखा। बतौर शेफ आठ साल बिताने के बाद मुझे चार बार बेस्ट रेस्तरां अवॉर्ड मिला। लीला, गुडग़ांव में मिला बेस्ट इंडियन रेस्तरां अवॉर्ड मेरे करियर का टर्निंग पॉइंट था। इसके बाद मुझे मास्टरशेफ इंडिया शो को होस्ट करने का निमंत्रण मिला। टीवी में मुझे नाम-शोहरत दोनों मिले। यहां काम करने के बाद भीड के बीच होने वाला भय भी कम हुआ।

शेफ, अचार शब्द सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। नानी-दादी और मां के ज्ाायकेदार अचारों की याद आने लगती है। 'पिकल नेशन जैसा नायाब आइडिया आपके दिमाग्ा में आया कैसे?

अचार सिर्फ स्वाद नहीं, हमारी संस्कृति भी है। यह शो केवल अचार के बारे में नहीं, अचार बनाने वालों के बारे में भी है। अलग-अलग प्रांतों के अलावा अलग-अलग कम्युनिटीज्ा में भी अचार की अलग कहानियां हैं। जैसे मेघालय में कार्बी ट्राइब्स के लोग बैंबू अचार के महत्व को एक ख्ाास नृत्य के ज्ारिये दर्शाते हैं। उनके पूर्वज जानते थे कि सही मौसम में बैंबू का अचार न डाला गया तो सर्दियों में वे भूखे रह जाएंगे। इसलिए इस अचार की विधि नृत्य के माध्यम से बताई जाती है।

माना जाता है कि अचार सबसे पहले भारत में ही बनाया गया। भारतीय संस्कृति में हमेशा से कलाओं को सुरक्षित रखने की कोशिशें की गई हैं, मगर अचार बनाने वाले उपेक्षित रहे। यह आइडिया इसलिए भी दिमाग्ा में आया, ताकि लोग अचार बनाने के साथ ही उन लोगों को भी जानें-समझें, जो लगातार इस काम में लगे हुए हैं। बाज्ाार से अचार ख्ारीद कर डाइनिंग टेबल पर सजा लेना आसान है, लेकिन सही सामग्रियां मिला कर मेहनत से अचार तैयार करना और धैर्य के साथ उसके स्वाद को उभरते देखना प्यार और समर्पण की मांग करता है।

भारत में आज चाइनीज्ा, थाई, इटैलियन फूड बहुत पॉपुलर है। क्या भारत की परंपरागत थाली को भी विदेशों में ऐसी पहचान मिल पाती है?

मैं हर साल दुनिया की बेहतरीन जगहों का भ्रमण करता हूं। मुझे यह बताते हुए बहुत गर्व महसूस होता है कि मैं हर जगह ऐसे शेफ और फूड लवर्स से मिलता हूं जो भारतीय फ्लेवर्स के दीवाने हैं। पूरी दुनिया में भारतीय खाने की धूम है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमाम शेफ फ्लेवर आइडियाज्ा और नए प्रयोगों के लिए भारतीय खाने की ही ओर देखते हैं।

नई पीढी आपको रोल मॉडल की तरह देखती है। फूड इंडस्ट्री में करियर तलाशने वाले युवाओं को क्या कहना चाहेंगे?

आगे बढो, कोशिश करो, ग्ालतियां करो। ये तीन हमारे बेस्ट टीचर्स हैं। अपना सिर झुकाओ और करियर के शुरुआती पांच साल सिर्फ सीखो, आत्मसात करो। आप वह अवश्य पाओगे-जो पाना चाहते हो।

आपकी पसंदीदा डिश कौन सी है? क्या आप परिवार वालों और दोस्तों के लिए पकाना पसंद करते हैं?

मेरी फेवरिट डिश है-करेले की सब्ज्ाी, जो मेरी मां बचपन में मुझे रोटी और अचार के साथ देती थीं। मुझे अपने करीबी लोगों के लिए खाना बनाना बहुत पसंद है। अभी हाल ही में मैंने ऑस्ट्रेलिया में बसे अपने दोस्तों और ऑस्ट्रेलियन शेफ्स के लिए हंटर वैली में एक बार्बेक्यू किया था।

आपका फेवरिट टाइमपास क्या है? खाने के अलावा भी कोई शौक हैं?

मैं थोडा आरामपसंद हूं। मूवी देखना मेरा पसंदीदा टाइमपास है। वैसे मुझे शहर से दूर एकांत जगहों पर लॉन्ग ड्राइव पर निकलना भी पसंद है। किताबों से बहुत सुकून मिलता है। पाक-कला संबंधी किताबें ख्ाूब पढता हूं। स्वाद से जुडी हर चीज्ा पसंद है मुझे। इसके लिए यात्राएं करता हूं, पढता हूं। बाइकिंग और म्यूज्िाक भी मेरे प्रिय शौक हैं।

अच्छी कुकिंग का आपका फंडा क्या है?

किचन में क्या बनाएंगे, इसकी प्लानिंग पहले कर लें। रोज्ा का एक मेन्यू तैयार करें। इससे समय की बचत होगी और 'आज क्या बनाएं जैसी दुविधा दूर होगी। मुझे लगता है, किचन में हम भारतीय सबसे कम पैसा लगाते हैं। जब भी घर के रेनोवेशन की बारी आती है, हम लिविंग, ड्राइंग रूम, बेडरूम और यहां तक कि वॉशरूम्स पर भी पैसा खर्च करते हैं, लेकिन वह जगह उपेक्षित रहती है, जहां एक स्त्री दिन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बिताती है। किचन को घर का बेस्ट कमरा बनाएं, फिर देखें कमाल! आपको यहां समय बिताना अच्छा लगने लगेगा। कुकिंग का मेरा फंडा बहुत सिंपल है- सादा बनाएं-ताज्ाा खाएं।

अचार की बात चली है तो यह बताएं कि आपका पसंदीदा अचार कौन सा है? सखी से इसकी रेसिपी शेयर करना चाहेंगे?

आम का अचार मेरा फेवरिट है। मैं अपने घर में इसे बनते हुए देखता रहा हूं। यह मेरी मां की पारंपरिक रेसिपी है।

सामग्री

पांच किलो कच्चे आम, सवा किलो नमक, सौ ग्राम लाल मिर्च पाउडर, सौ ग्राम हल्दी, सौ ग्राम मेथी दाना, सौ ग्राम कलौंजी (मंगरैल), सौ ग्राम मोटी सौंफ, एक लीटर सरसों का तेल।

विधि

आमों को अच्छी तरह पानी से साफ कर लें। फिर एक-एक आम को छिलके सहित चार भागों में काट लें। अब उन्हें किसी साफ सफेद शीट पर फैलाएं और दो-तीन दिन तक तेज्ा धूप में सुखाएं। अब कटे हुए आमों में सारी सामग्री मिला लें। अच्छी तरह मैरिनेट किए हुए आमों को किसी मर्तबान में रखें और साफ मलमल के कपडे से बांध दें। इसे रोज्ा लगभग 15 दिनों तक धूप में रखें। बीच-बीच में जार या मर्तबान को हिलाते रहें, ताकि आम और मसाला अच्छी तरह मिल जाएं। सुबह धूप निकलने पर इसे बाहर रखें और दिन ढलने पर अंदर रख लें। 20-25 दिन में अचार खाने लायक तैयार हो जाएगा।

इंदिरा राठौर

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