बचपन की यादों से जुड़ा प्रोफेशन

अगर आप चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में कुछ अलग करना चाहते हैं तो क्यों न बचपन की यादों में बसी छोटी-छोटी मीठी गोलियों को ही करियर बना लें। इस फील्ड में आने के लिए क्या-क्या योग्यताएं व अर्हताएं ज़रूरी हंै, जानिए होम्योपैथी एक्सपर्ट डॉ. पंकज अग्रवाल से।

By Edited By: Publish:Thu, 21 Jan 2016 03:55 PM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2016 03:55 PM (IST)
बचपन की यादों से जुड़ा प्रोफेशन

अगर आप चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में कुछ अलग करना चाहते हैं तो क्यों न बचपन की यादों में बसी छोटी-छोटी मीठी गोलियों को ही करियर बना लें। इस फील्ड में आने के लिए क्या-क्या योग्यताएं व अर्हताएं जरूरी हंै, जानिए होम्योपैथी एक्सपर्ट डॉ. पंकज अग्रवाल से।

जरा याद कीजिए बचपन में सर्दी-जुकाम, पेटदर्द या बुख्ाार होने पर पेरेंट्स आपको घर के पास वाले होम्योपैथिक क्लिनिक में ले जाते थे। जहां के डॉक्टर अंकल आपको मीठी-मीठी गोलियां देते थे। न इंजेक्शन का दर्द, न कडवी दवाओं से मुंह का स्वाद ख्ाराब होने की परेशानी। कितना अच्छा होता था इलाज कावह तरीका। जी हां, हम यहां होम्योपैथिक गोलियों की बात कर रहे हैं। ज्य़ादातर मरीज ऐसी गोलियों का सेवन करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें कडवी और बेस्वाद दवाओं से छुटकारा मिल जाता है। इन छोटी होम्योपैथिक गोलियों को न सिर्फ एलोपैथिक दवाओं के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है बल्कि आज यह युवाओं के लिए एक अच्छे करियर ऑप्शन का रास्ता भी खोल रहा है। आज होम्योपैथी चिकित्सा के क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं, इसलिए बडी संख्या में युवा इसे नए करियर ऑप्शन के रूप में देख रहे हैं।

होम्योपैथी उपचार है फायदेमंद

होम्योपैथिक चिकित्सा में प्राकृतिक उपचार के साथ शरीर की अपनी उपचारात्मक शक्तियों को स्टिम्युलेट कर मरीजोंं का इलाज किया जाता है। होम्योपैथिक चिकित्सक यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि इंसान का शरीर, मन व भावनाएं एक-दूसरे से बिलकुल अलग हैं, लेकिन देखा जाए तो ये पूर्ण रूप से एक ही है। इसी धारणा के आधार पर होम्योपैथिक चिकित्सक प्राकृतिक उपचार को अंजाम देते हैं, जो मरीज के शारीरिक और मानसिक लक्षणों के अनुरूप होते हैं। होम्योपैथिक चिकित्सक महज बुख्ाार या सिरदर्द को ही ठीक नहीं करता बल्कि कैंसर और आथ्र्राइटिस जैसी बीमारियों का भी इलाज करता है। उपचार के दौरान वह मरीज के शारीरिक लक्षणों के अलावा उसकी लाइफस्टाइल और भावनात्मक पहलुओं पर भी गौर करता है।

कोर्स डिटेल

होम्योपैथी का कोर्स तीन स्तरों पर किया जा सकता है। आइए जानें-

- पहला स्तर ग्रेजुएशन है, दूसरा पोस्ट-ग्रेजुएशन और तीसरा स्तर पीएचडी।

- ग्रेजुएशन की डिग्री को बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी कहा जाता है।

- अगर साइंस लेकर 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की हो तो छात्र होम्योपैथी की प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकता है, लेकिन ऐसा तभी संभव है, जब उसके सिलेबस में जीव विज्ञान अनिवार्य रूप से शामिल हो।

- इस पाठ्यक्रम की अवधि साढे पांच साल है। इसमें एक साल की इंटर्नशिप अनिवार्य है।

- पोस्ट ग्रेजुएशन को एमडी होमी कहा जाता है। इसकी तीन साल की अवधि है। इस पाठ््यक्रम के लिए बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी की डिग्री जरूरी नहीं है।

खास बातें

ख्ाास बात यह है कि अब सात नए विषयों में भी एमडी कोर्स शुरू होने वाले हैं। इसके अलावा यदि कोई पीएचडी करना चाहता है तो उसके लिए मान्यता प्राप्त होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज से मिली स्नातकोत्तर की डिग्री पीएचडी का रास्ता आसानी से खोल सकती है। डिग्री का सीसीएच अधिनियम की दूसरी अनुसूची में शामिल होना भी अनिवार्य है। यह डिग्री दो शाखाओं में बंटी है। पहली डिग्री पीडियाट्रिक्स के नाम से जानी जाती है और दूसरी फार्मेसी।

करियर की संभावनाएं

देश और विदेश में होम्योपैथी के क्षेत्र में रोजगार के कई अवसर हैं। एक होम्योपैथिक प्रैक्टिशनर को विभिन्न सरकारी और निजी होम्योपैथिक अस्पतालों में मेडिकल ऑफिसर की नौकरी मिल सकती है। इसके अलावा होम्योपैथिक दवाओं का स्टोर या क्लिनिक भी खोला जा सकता है। होम्योपैथिक चिकित्सक होम्योपैथी दवा बनाने वाली कंपनियों के साथ भी जुड सकते हैं। बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी डिग्रीधारक कुछ वर्षों के अनुभव के बाद फार्मेसी भी खोल सकता है।

यूजी/पीजी पाठ््यक्रम

भारत में ऐसे कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी मौजूद हैं, जहां होम्योपैथी के लिए स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शामिल हैं। हालांकि, विजयवाडा स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस और बंगालुरू स्थित राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस को होम्योपैथी की पढाई के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसके अलावा कुछ प्रमुख होम्योपैथी कॉलेजों की सूची इस प्रकार हैं:

- येरेला होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई

- वेनुतई यशवंतराव चव्हाण होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, महाराष्ट्र

- वसुंधरा राजे होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, ग्वालियर

- स्वामी विवेकानंद होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, भावनगर

- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली

- बंगालुरू मेडिकल कॉलेज और अनुसंधान संस्थान, बंगालुरू

इतना ही नहीं, महाराष्ट्र में यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस और जयपुर में होम्योपैथी यूनिवर्सिटी में पीएचडी के कोर्स उपलब्ध हैं। सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी इन सभी यूनिवर्सिटीज की नियामक संस्था है।

क्या है होम्योपैथी?

डॉ. क्रिस्टैन सैम्यूल हैनिमैन ने 1796 में वैकल्पिक दवा की एक पद्घति विकसित की थी, तभी से होम्योपैथी अस्तित्व में आई । उन्होंने पदार्थों के डाइलूशन का उपयोग किया। रिसर्च के अनुसार पता चला कि दवाओं के बडे डोज से अमूमन बीमारियां बढती हैं। यही वजह है कि रिसर्चर्स ने डाइलूटेड मिश्रणों के इस्तेमाल को बढावा दिया। 'द ऑर्गेनन ऑफ द हीलिंग आर्ट, 1810 में आई किताब को होम्योपैथिक चिकित्सकों के लिए एक महाग्रंथ माना है।

बनता जा रहा है होम्योपैथी हब

भारत में होम्योपैथ की संख्या पांच लाख से ज्य़ादा होने के कारण यह सुपर हब बन गया है। यहां होम्योपैथी की लोकप्रियता बहुत तेजी से बढ रही है। यही नहीं, होम्योपैथी का बाजार सालाना 30 प्रतिशत की दर से लगातार बढता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार होम्योपैथी दुनिया में दूसरी सबसे बडी चिकित्सा पद्घति है। इसमें एलर्जी, त्वचा रोग, पेट की तकलीफों, साइनस और माइग्रेन जैसी कई बीमारियों का शत-प्रतिशत इलाज संभव है।

एलोपैथी बनाम होम्योपैथी

होम्योपैथी की दवा कम पैसे में आसानी से मिल जाती है। होम्योपैथी में उपचार के परिणाम दिखने में समय लगता है। देर से ही सही, लेकिन होम्योपैथी में रोगी को पूरी तरह बीमारियों से निजात मिल जाती है। होम्योपैथी बीमारी की जड तक पहुंचकर शरीर को इस लायक बनाता है कि वह अपनी चिकित्सा ख्ाुद कर सके। एलोपैथी में ऑपरेशन की मदद ली जाती है। होम्योपैथी कई स्थितियों में सर्जरी से बचाने में भी मदद करती है।

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