सचिन पायलट ने डेढ़ मिनट से कम समय में बांधा 51 फीट लम्बा साफा

राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने 51 फीट लम्बा साफा करीब डेढ़ मिनट में बांध कर सबको हैरत में डाल दिया । साफा बांधने के बाद पायलट ने कहा कि उनके पिता स्व.राजेश पायलट भी साफा बांधकर खुद को ग्रामीण जनता के बीच का व्यक्ति ही मानते थे।

By Priti JhaEdited By: Publish:Mon, 27 Dec 2021 03:54 PM (IST) Updated:Mon, 27 Dec 2021 04:22 PM (IST)
सचिन पायलट ने डेढ़ मिनट से कम समय में बांधा 51 फीट लम्बा साफा
राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने 51 फीट लम्बा साफा करीब डेढ़ मिनट में बांध कर सबको हैरत में डाल दिया । सचिन पायलट के साफा बांधने का वीडियो उनके समर्थक इंटरनेट मीडिया पर लगातार शेयर कर रहे हैं। अपने निर्वाचन क्षेत्र टोंक के दौरे के दौरान पायलट ने घांस गांव पहुंचे ।

यहां ग्रामीणों ने 51 फीट लम्बा साफा बंधवार उन्हे सम्मानित किया। ग्रामीणों द्वारा भेंट किया गया साफा पायलट ने रिकार्ड 1 मिनट 46 सैकंड में खुद अपने हाथों से बांध लिया। वैसे तो राजनेता साफा बांधते हैं, लेकिन इतना लम्बा साफा राजस्थान में संभवतया पायलट ने पहली बार बांधा है। साफा बांधने के बाद पायलट ने कहा कि उनके पिता स्व.राजेश पायलट भी साफा बांधकर खुद को ग्रामीण जनता के बीच का व्यक्ति ही मानते थे ।

पिता की तरह वह खुद भी अपने आप को गांव का आम आदमी ही मानते हैं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार के कार्यकाल में महंगाई बढ़ रही है। पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। रोजमर्रा की चीजों के दाम आसमान छूने लगे हैं। मध्यमवर्ग पर सबसे ज्यादा महंगाई की मार पड़ रही है। 

सचिन पायलट का उनके विधानसभा क्षेत्र टोंक में अब तक का सबसे बड़ा स्वागत सत्कार किया गया। दरअसल पायलट रविवार को अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक में थे। इस दौरान उन्होंने क्षेत्र के पांच-छह गावों में जनसुनवाई की। इस दौरान वे जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूरी सवाई माधोपुर रोड पर स्थित घास गांव पहुंचे। 

महात्मा गांधी की धरती पर नफरत भरे भाषण अस्वीकार्यः

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हरिद्वार में धर्म संसद में कथित नफरत भरे भाषणों को लेकर प्रधानमंत्री और अन्य नेताओं की 'चुप्पी' पर जमकर निशाना साधा। गहलोत ने रविवार को कहा कि महात्मा गांधी की भूमि पर इस तरह की हरकतों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि वक्ताओं द्वारा कथित रूप से इस्तेमाल की जाने वाली 'हिंसा की भाषा' भारतीय संस्कृति के खिलाफ है और अस्वीकार्य है। 

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