Rajasthan Politics: गहलोत सरकार और राजभवन इस विधेयक पर आमने-सामने, जानें-किसने क्या कहा

Rajasthan Politics किसानों की जमीन की नीलामी या कुर्की रोकने के विधेयक को लेकर गहलोत सरकार और राजभवन आमने-सामने हो गए हैं। किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन में जमीन नीलामी या कुर्की से रोकने से जुड़े विधेयक को अनुमति देना का आग्रह किया।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Mon, 24 Jan 2022 08:42 PM (IST) Updated:Mon, 24 Jan 2022 08:42 PM (IST)
Rajasthan Politics: गहलोत सरकार और राजभवन इस विधेयक पर आमने-सामने, जानें-किसने क्या कहा
अशोक गहलोत और कलराज मिश्र की फाइल फोटो।

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में किसानों की जमीन की नीलामी या कुर्की रोकने के विधेयक को लेकर कांग्रेस सरकार और राजभवन आमने-सामने हो गए हैं। सोमवार को किसानों का प्रतिनिधिमंडल राजभवन में पहुंचा और बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने वाले किसानों की पांच एकड़ तक जमीन नीलामी या कुर्की से रोकने से जुड़े विधेयक को अनुमति देना का आग्रह किया। राजभवन ने इस तरह का कोई विधेयक उनके यहां विचाराधीन होने से मना कर दिया। शाम को राजभवन से एक बयान जारी कर कहा गया है कि रिमूवल आफ डिफिक्लटीज एक्ट (रोडा एक्ट)-1974 में संशोधन का कोई विधेयक राज्यपाल के अनुमोदन के लिए नहीं आया है। राज्यपाल के प्रमुख सचिव सुबीर कुमार ने बताया कि इस संबंध में सोमवार को ज्ञापन देने आए किसानों को भी बता दिया गया है। राजभवन से बयान जारी होने के बाद मुख्यमंत्री के ओएसडी की तरफ कहा गया सत्य यह है कि राजस्थान सरकार ने दो नवंबर, 2020 को दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 60 (1) (बी) में संशोधन में संशोधन किया गया था, जिसमें पांच एकड़ जमीन पर किसान क्रेडिट कार्ड से कर्ज लेने पर जमीन की नीलामी व कुर्की पर रोक लग जाती है। यह विधेयक अभी तक राजभवन में विचाराधीन है।

किसानों ने राज्यपाल को दिया ज्ञापन 

सोमवार को भारतीय किसान यूनियन और संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों ने प्रदर्शन किया और राज्यपाल कलराज मिश्र को ज्ञापन देकर विधेयक पर हस्ताक्षर करने की मांग की। किसान नेता राजाराम मील ने कहा कि राज्यपाल पांच एकड़ कृषि भूमि तक की नीलामी रोकने को लेकर विधानसभा में पारित विधेयक पर राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं। राज्यपाल ने खुद प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात नहीं की, बल्कि उनके सचिव मिले। उन्होंने कहा कि राजभवन में रोडा एक्ट नाम से कोई विधेयक नहीं आया है। वह किसानों को शब्दों को जाल में फंसा रहे हैं। अगर रोडा शब्द नहीं लिखा है तो क्या हुआ, विधेयक को जमीन की नीलामी रोकने का है।

जानें, क्या है मामला

दरअसल, पिछले सप्ताह सूबे में कर्ज नहीं चुका सकने वाले कई किसानों की जमीन नीलाम करने की प्रक्रिया बैंकों ने शुरू की थी। इस पर भाजपा और किसान संगठनों ने सरकार पर निशाना साधा था। विवाद बढ़ा तो मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा था कि व्यावसायिक बैंकों द्वारा कर्ज नहीं चुका पाने वाले किसानों की जमीन रोडा एक्ट के तहत नीलाम की जा रही है। सरकार ने इसे रोकने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने पांच एकड़ तक जमीन की नीलामी रोकने के लिए विधानसभा में विधेयक पारित किया गया था, लेकिन अब तक राज्यपाल की अनुमति नहीं मिलने के कारण यह कानून नहीं बन सका है।

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