राजस्थान के आदिवासी गांवों में रंगों से नहीं खून से खेली जाती है होली

देश के सभी क्षेत्रों में रंगों से होली मनाई जाती है,लेकिन राजस्थान के आदिवासी गांवों में महज एक मान्यता के चलते होली के मौके पर खून-खराबा होता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 13 Mar 2017 04:26 AM (IST) Updated:Mon, 13 Mar 2017 04:46 AM (IST)
राजस्थान के आदिवासी गांवों में रंगों से नहीं खून से खेली जाती है होली
राजस्थान के आदिवासी गांवों में रंगों से नहीं खून से खेली जाती है होली

जयपुर, जागरण संवाद केन्द्र। देश के सभी क्षेत्रों में रंगों से होली मनाई जाती है,लेकिन राजस्थान के आदिवासी गांवों में महज एक मान्यता के चलते होली के मौके पर खून-खराबा होता है। राजस्थान के बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले के आदिवासी बहुल क्षेत्र की इस अजीब मान्यता के चलते प्रतिवर्ष होली के दिन कई लोग घायल होते है। डूंगरपुर के गांव भीलूड़ा एवं रामगढ़ में तो होली के मौके पर एंबुलेंस 108 लगाई जाती है। यहां कई लोग अस्पताल पहुंच जाते हैं। इसके लिए इस गांव में तैयारियां शुरू होने लगी है। लोगों ने पत्थर इकट्ठा करना शुरू कर दिया है। ये खेल होलिका दहन के बाद रात से ही शुरू होता है तो धूलण्ड़ी तक चलता है।

 माहौल में वीर रस भरने के लिए ढोल और चंग बजने लगते हैं। इस होली को लोग राड़ की होली कहते हैं। राड़ यानी दुश्मनी। ढोल और चंग की आवाज जैसे-जैसे तेज होती है, वैसे-वैसे लोग दूसरी टीम को तेजी से पत्थर मारना शुरू कर देते हैं। बचने के लिए हल्की-फुल्की ढाल और सिर पर पगड़ी का इस्तेमाल होता है। खेल में दो या दो से अधिक टीमें बंट जाती है। गांव का बड़ा-बुजुर्ग बतौर निर्णायक एक पत्थर उछाल देता है। इसके बाद दोनों तरफ की टीमें गोफण (रस्सी से बने पारंपरिक गुलेल) से एक दूसरे पर पत्थर बरसाने लगते हैं। इसे कई चक्कर घुमाकर तेजी से मारते हैं। इस खेल में जो भी जितना घायल होता है, वो अपने आप को उतना ही भाग्यशाली समझता है। कुछ घायलों का स्थानीय अस्पताल में इलाज कराया जाता है और गंभीर रूप से घायल लोगों को भर्ती तक करना पड़ता है। जमीन पर जगह-जगह खून के धब्बे फैल जाते हैं।

 आदिवासी क्षेत्र के बुजुर्गो का कहना है कि सदियों पहले यहां के राजा ने किसी पाटीदार जाति के व्यक्ति की हत्या कर दी थी। ये हत्या होली के दिन ही हुई थी। मृतक की पत्नी उसकी लाश को गोद में लेकर सती हो गई और मरते-मरते श्राप दे गई। उसने कहा कि होली के दिन यदि यहां मानव रक्त नहीं गिरेगा तो प्राकृतिक आपदा आएगी। बस इसी मान्यता के चलते ही यहां हर वर्ष होली पर पत्थर मार होली खेली जाती है।

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