राजस्‍थान: फर्जी हस्ताक्षर और मुहर लगाकर हथियारों के लाइसेंस बनवाने वाले गिरोह का खुलासा

राजस्थान के अलवर जिले में जिला कलेक्टर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर और मुहर लगाकर हथियारों के लाइसेंस बनवाने वाले गिरोह का खुलासा हुआ है ।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Mon, 22 Jun 2020 06:14 PM (IST) Updated:Mon, 22 Jun 2020 06:14 PM (IST)
राजस्‍थान: फर्जी हस्ताक्षर और मुहर लगाकर हथियारों के लाइसेंस बनवाने वाले गिरोह का खुलासा
राजस्‍थान: फर्जी हस्ताक्षर और मुहर लगाकर हथियारों के लाइसेंस बनवाने वाले गिरोह का खुलासा

नरेन्द्र शर्मा, जयपुर। राजस्थान के अलवर जिले में जिला कलेक्टर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर और मुहर लगाकर हथियारों के लाइसेंस बनवाने वाले गिरोह का खुलासा हुआ है । ये फर्जी हथियार लाइसेंस जिला कलेक्टर के दफ्तर में ही बनाए गए और उन्हे पता तक नहीं चला । इस काम को अंजाम देने वालों ने बिना किसी आवेदन के जिला कलेक्टर के फर्जी हस्ताक्षर कर फर्जी लाइसेंस जारी कर दिए हैं । प्रारंभिक जांच में 3 लाइसेंस फर्जी मिले हैं । अभी जांच जारी है । प्रारंभिक जांच के बाद जिला कलेक्टर इंद्रजीत सिंह ने सहायक प्रशासनिक अधिकारी दुर्गेश चोला को निलंबित कर दिया है। जिला कलेक्टर के निर्देश पर अलवर कोटवाली थाना पुलिस ने चोला व संविदा पर कार्यरत कंम्यूटर ऑपरेटर सुशील अरोड़ा के खिलाफ मामला दर्ज किया है । कलेक्टर ने जांच के लिए कमेटी गठित की है। अतिरिक्त जिला कलेक्टर (शहर) उत्तम सिंह शेखावत ने बताया कि दो कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है । जांच में कई बड़े खुलासे हो सकते हैं ।

ऐसे हुआ मामले का खुलासा

कोतवाली पुलिस थाना अधिकारी अध्यात्म गौतम ने बताया कि अतिरिक्त जिला कलेक्टर की ओर से दर्ज कराई गई रिपोर्ट के मुताबिक 19 जून को अलवर शहर के विवेकानंद नगर निवासी संतोष मीणा ने जिला कलक्टर कार्यालय में प्रार्थना-पत्र देकर अपने आर्म्स लाइसेंस की सत्यता की जानकारी मांगी । प्रार्थना-पत्र के बाद जांच की गई तो उसका आर्म्स लाइसेंस 18 अप्रैल 2019 को जारी हुआ था । आर्म्स की संबंधित पत्रवाली के रिकार्ड की जांच की गई तो उसमें इस लाइसेंस का कोई रिकॉर्ड या दस्तावेज तो दूर बात है उसका आवेदन तक नहीं मिला । आर्म्स लाइसेंस में जारीकर्ता जिला कलेक्टर के हस्ताक्षर और मुहर भी फर्जी मिली ।

इसके बाद हरकत में आए अधिकारियों ने अन्य दस्तावेजों कि जांच की गई तो अलवर जिले के ही पुर गांव निवासी गोविंद सिंह और उत्तम सिंह के हथियार लाइसेंस भी फर्जी पाए गए । जिला कलक्टर के निर्देश पर की गई प्रारंभिक जांच में पता चला है कि दुर्गेश चोला और कम्प्यूटर ऑपरेटर सुशील अरोड़ा ने कूटरचित दस्तावेज तैयार कर फर्जी तरीके से लाइसेंस बनाए गये हैं। इनसे हथियार लाइसेंस बनवाने वाले दलालों की मिलीभगत का अंदेशा होने पर संभावित लोगों पर निगरानी रखी जा रही है । पुलिस का मानना है कि किसी गिरोह ने सरकारी कार्मिकों की मिलीभगत करके लोगों के दस्तावेज जुटाकर उनके नाम से फर्जी लाइसेंस बनवा लिए ।

पहले भी राजस्थान से ही देशभर में चला था गिरोह

अलवर में फर्जी हस्ताक्षर और मुहर से हथियारों के लाइसेंस बनवाने वाले गिरोह का खुलासा होने के बाद करीब 4 साल पुराने "आपरेशन जुबैदा " की याद ताजा हो गई । राज्य एटीएस को साल 2017 में जानकारी मिली थी कि प्रदेश के जिलों के लोगों के फर्जी हथियार लाइसेंस श्रीगंगानगर जिले के साथ ही जम्मू-कश्मीर,नागालैंड व पंजाब से बनाए गए थे । इस पर जांच के बाद गिरोह का खुलासा किया गया । इसमें सामने आया कि यह गिरोह साल 2014 से काम कर रहा था । राजस्थान के लोगों को जम्मू-कश्मीर, नागालैंड व पंजाब का मूल निवासी बताकर वहां के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से हथियारों के फर्जी लाइसेंस बनवाए गए थे । एटीएस ने इस मामले में कोर्ट में 3363 पेज की चार्जशीट पेश की थी ।

केंद्रीय गृह मंत्रालय तक भी यह मामला पहुंचा, फिलहाल जांच जारी है । इस मामले में गिरोह के मास्टरमाइंड राजस्थान में अलवर निवासी मोहम्मद उस्मान व उसके बेटे जुबेर के साथ ही पंजाब के फाजिल्का निवासी विशाल आहूजा, जम्मू कश्मीर कैडर के आईएएस अधिकारी राजीव रंजन के भाई कुमार ज्योति रंजन, जम्मू निवासी राहुल ग्रोवर को गिरफ्तार किया गया था । इनसे हुई पूछताछ के आधार पर राजीव रंजन को भी गिरफ्तार किया गया । अब अलवर में नये मामले का खुलासा हो गया, हालांकि यह पुराने प्रकरण से अलग है । 

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