Coal Crisis: राजस्थान में कोयला संकट को लेकर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल से मिले अशोक गहलोत

Coal Crisis राजस्थान में कोयला संकट को लेकर अशोक गहलोत ने शुक्रवार को रायपुर में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की। छत्तीसगढ़ में कोयला मंत्रालय द्वारा राजस्थान को आवंटित खदानें सीमित मात्रा में कोयले के साथ छोड़ दी गई हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Fri, 25 Mar 2022 02:58 PM (IST) Updated:Fri, 25 Mar 2022 05:01 PM (IST)
Coal Crisis: राजस्थान में कोयला संकट को लेकर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल से मिले अशोक गहलोत
राजस्थान में कोयला संकट को लेकर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल से मिले अशोक गहलोत। फोटो एएनआइ

जयपुर, एएनआइ। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को रायपुर में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की। दोनों मुख्यमंत्रियों ने दोनों राज्यों के बीच चल रहे कोयले के मुद्दे पर चर्चा की। अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान में बहुत सारे थर्मल प्लांट हैं, जो बिना कोयले के नहीं चल सकते, इसलिए हम छत्तीसगढ़ में हैं, केंद्र के दिशा-निर्देशों के तहत उसी पर परमिट लेने के लिए। अगर हमें कोयला नहीं मिलता है, तो हमारे बिजली संयंत्र होंगे बंद। राजस्थान में थर्मल पावर प्लांट से बिजली पैदा होती है, जो बिना कोयले के नहीं चल सकते। हालात ये हो गए हैं कि 4500 मेगा वाट बिजली के पावर प्लांट बंद हो जाएंगे अगर छत्तीसगढ़ से कोयला नहीं पहुंचा। राजस्थान की जनता इंतजार कर रही है कि छत्तीसगढ़ सरकार कब हां कहे। ईंधन की कीमतों में वृद्धि पर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि केंद्र ने राज्यों के साथ अन्याय किया है, उन्होंने उत्पाद शुल्क कर को न्यूनतम कर दिया है। भारत सरकार लूट रही है।

भूपेश बघेल बोले, नियमानुसार होगी कार्रवाई

वहीं, भूपेश बघेल ने कहा कि राजस्थान सरकार द्वारा  कोयले की आपूर्ति को लेकर चिंता व्यक्त की गई। राजस्थान सरकार को जो कोयला खदान मिली है, वो भारत सरकार से मिली है और उस मांग के अनुरूप कार्रवाई की जा रही है। खदान अलाटमेंट के बाद पर्यावरण और गाइडलाइन को भी पूरा करना होता है।छत्तीसगढ़ सरकार ने पर्यावरण और स्थानीय लोगों की मांग से कभी समझौता नहीं किया। इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई होगी और नियमानुसार खदानों का संचालन होगा।

अशोक गहलोत ने कहा, बिना कोयले के नहीं चल सकते थर्मल प्लांट

इससे पहले रायपुर एयरपोर्ट पर अशोक गहलोत ने कहा कि हमारे यहां थर्मल प्लांट लगे हुए हैं। बिना कोयले वो चल नहीं सकते। हमें छत्तीसगढ़ पर डिपेंड रहना पड़ता है। हमारे यहां हाइड्रो तो है नहीं, थर्मल बेस पर ही हम चल रहे हैंI छत्तीसगढ़ में कोयला मंत्रालय द्वारा राजस्थान को आवंटित खदानें सीमित मात्रा में कोयले के साथ छोड़ दी गई हैं। इसलिए दूसरी खदानें शुरू करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की अनुमति की आवश्यकता है। राजस्थान के ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने शुक्रवार को कहा कि गहलोत ने पिछले महीने कोल इंडिया लिमिटेड और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से छत्तीसगढ़ में राज्य के स्वामित्व वाली कोयला खदानों से कोयला सुरक्षित करने के लिए बघेल सरकार से मंजूरी में तेजी लाने के लिए कहा था।

अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी को भी लिखा था पत्र

गौरतलब है कि अशोक गहलोत ने एक दिसंबर 2021 और फिर 10 फरवरी को सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। गहलोत ने पत्र में लिखा था कि कोयले की कमी के कारण राजस्थान राज्य को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा था कोयले की कमी राजस्थान सरकार के काम पर प्रभाव डाल सकता है, और एक अनिश्चित स्थिति पैदा कर सकता है, क्योंकि दोनों राज्य में कांग्रेस की सरकार है। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया हस्तक्षेप करें, और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को कोयला ब्लाकों के लिए सभी आवश्यक लंबित अनुमोदन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए उन्हें निर्देश दें।

कोयले की कमी

राजस्थान के कुछ हिस्सों में सितंबर और अक्टूबर 2021 में राज्य को बिजली की आपूर्ति करने वाले बिजली संयंत्रों में कोयले का स्टाक कम होने के बाद कई घंटों की बिजली कटौती देखने को मिली थी। इसके बाद सीएम अशोक गहलोत ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी पत्र लिखा था। इस पत्र के लिखे जाने के एक महीने बाद भी छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल की सरकार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। इसके बाद सीएम अशोक गहलोत ने ये मामला सोनिया गांधी के सामने रखा। अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से अपील की है कि इस कोयला ब्लाक से खनन जारी रखना जरूरी है, और इसके लिए सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ प्रयास किए जा रहे हैं। यदि नई खदानों में देरी होती है, और मौजूदा खदानों में कोयले की कमी हो जाती है, तो राजस्थान में बिजली की दरों में और वृद्धि होगी। और राज्य को महंगे दामों पर कोयला खरीदना होगा, जिससे लागत और उपभोक्ता पर बोझ बढ़ेगा। गहलोत के अनुसार, परसा कोयला ब्लाक में प्रति वर्ष 50 लाख टन कोयले का उत्पादन करने की क्षमता है। इसी तरह, कांटे एक्सटेंशन सालाना 90 लाख टन कोयले का उत्पादन कर सकता है।

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