गहलोत और पायलट की खींचतान का असर प्रशासनिक कामकाज पर आने लगा नजर, अफसरों को नहीं मिल रही पोस्टिंग

Ashok Gehlot and Sachin Pilot गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही खींचतान का असर कांग्रेस की आंतरिक राजनीति के साथ ही अब सरकार के कामकाज पर नजर आने लगा है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Mon, 09 Sep 2019 12:35 PM (IST) Updated:Mon, 09 Sep 2019 12:39 PM (IST)
गहलोत और पायलट की खींचतान का असर प्रशासनिक कामकाज पर आने लगा नजर, अफसरों को नहीं मिल रही पोस्टिंग
गहलोत और पायलट की खींचतान का असर प्रशासनिक कामकाज पर आने लगा नजर, अफसरों को नहीं मिल रही पोस्टिंग

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रही खींचतान का असर कांग्रेस की आंतरिक राजनीति के साथ ही अब सरकार के कामकाज पर नजर आने लगा है। आपसी खींचतान के चलते पार्टी आलाकमान,विधायकों और प्रदेश के नेताओं को अपने साथ जोड़े रखने में जुटे गहलोत लंबे समय से प्रशासनिक फेरबदल टालते जा रहे है।

राजनीतिक जोड़-तोड़ में माहिर माने जाने वाले गहलोत ने सीएम के रूप में दो कार्यकाल काफी बेहतर ढंग से पूरे किए,लेकिन तीसरे कार्यकाल में अब वे पायलट से जूझने में जुटे है। गहलोत फिलहाल अपना पूरा ध्यान जयपुर से दिल्ली तक राजनीतिक जोड़तोड़ में दे रहे है।

एक तरफ तो राजस्थान सरकार भारतीय प्रशासनिक(आईएएस) एवं पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारियों की कमी से जुझ रही है। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में भारतीय प्रशासनिक एवं राज्य प्रशासनिक सेवा (आरएएस) के अधिकारी बड़ी संख्या में पदस्थापन आदेश की प्रतिक्षा (एपीओ) में बैठे है। इन अधिकारियों को सरकार पोस्टिंग नहीं दे रही है।

राज्य प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी तो लगता है सरकार भूल ही गई। उन्हे पिछले सात साल से एपीओ रखा गया है। राज्य के प्रशासनिक क्षेत्र में यह चर्चा जोरों पर है कि एक तरफ तो अधिकारियों की कमी के चलते कई महत्वपूर्ण पद खाली पड़े है। वहीं दूसरी तरफ एपीओ बैठे अधिकारियों को सरकार बिना काम के वेतन दे रही है। पिछले पांच साल से खान घोटाले का केंद्र बने राज्य के खान विभाग में तो प्रमुख सचिव से लेकर उप सचिव तक के महत्वपूर्ण पद खाली होने से कई महत्वपूर्ण निर्णय नहीं हो पा रहे है।

इन अधिकारियों को नहीं मिल रही पोस्टिंग

आईएएस अधिकारी दिनेश कुमार केंद्र सरकार में करीब चार साल तक प्रतिनियुक्ति पर रहने के बाद राज्य में लौट गए,लेकिन 11 जुलाई से उन्हे पोस्टिंग का इंतजार करना पड़ रहा है। दिनेश कुमार कांग्रेस नेता पी.एल.पूनिया के दामाद है। इसी तरह राशन के गेंहू के घोटोल में लिप्त होने के कारण दो साल तक निलंबित रही आईएएस अधिकारी निर्मला मीणा को 7 अगस्त से पोस्टिंग का इंतजार है।

करीब चार साल पहले खान महाघूस कांड में फंसे आईएएस अधिकारी अशोक सिंघवी ईडी का नोटिस मिलने के बाद से फरार चल रहे है। वे फिलहाल इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान में महानिदेशक पद पर तैनात है,लेकिन ईडी का नोटिस मिलने के बाद से दफ्तार नहीं जा रहे है। खान महाघूस कांड में फंसे सिंघवी करीब डेढ़ साल तक जेल की सजा काट चुके है।

आईएएस अधिकारी विक्रम जिंदल 15 अगस्त,2018 से अवकाश पर चल रहे है। भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों में राजेंद्र कुमार दिंगत आनंद और वंदिता राणा पोस्टिंग मिलने के इंतजार में बैठे है। राज्य प्रशासनिक सेवा के 15 अफसर एपीओ चल रहे है,जबकि इनके लिए तय पदों पर विभागीय अधिकारी काम कर रहे है।

राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों में नृसिंह तो पिछले सात साल से एपीओ चल रहे है। उन्हे अंतिम पोस्टिंग 2,अप्रैल 2014 को मिली थी उसके बाद से उन्हे किसी पद पर नहीं लगाया गया। एपीओ रहते हुए वे घर बैठे वेतन उठा रहे है। इसी तरह राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों में रश्मी शर्मा,अनीता वर्मा,बनवारी लाल, अंजू वर्मा,प्रदीप कुमार,भारत भुषण गोयल,कुंतल विश्नोई,मुकेश मीणा,के.के.गोयल,लक्ष्मीकांत,ओंकारमल,रामेश्वर लाल मीणा,अरूण प्रकाश शर्मा एवं अनिल कुमार लंबे समय से एपीओ चल रहे है।

कार्मिक विभाग से मिली जानकारी के अनुसार चार आईएफएस अधिकारी बीजो जॉय,बेगाराज जाट,टी.जे.कविता और वी.प्रवीण भी एपीओ है ।

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