पिता की मौत के बाद सरकारी नौकरी पर शादीशुदा बेटी का भी हक़, हाईकोर्ट ने कहा- अब सोच बदलने का है समय

पिता की मौत के बाद शादीशुदा बेटी को नौकरी देने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। जिसके तहत मौत के बाद सरकारी नौकरी पर बेटी का भी हक है। यह संविधान के आर्टिकल 1415 व 16 का उल्लंघन है।

By Priti JhaEdited By: Publish:Wed, 19 Jan 2022 02:06 PM (IST) Updated:Wed, 19 Jan 2022 02:19 PM (IST)
पिता की मौत के बाद सरकारी नौकरी पर शादीशुदा बेटी का भी हक़, हाईकोर्ट ने कहा- अब सोच बदलने का है समय
पिता की मौत के बाद सरकारी नोकरी पर शादीशुदा बेटी का भी हक़, हाईकोर्ट ने कहा सोच बदलने का समय

जोधपुर, जेएनएन। शादीशुदा व अविवाहित बेटे-बेटियों में भेदभाव नहीं किया जा सकता है। अब सोच बदलने का समय आ गया है कि शादीशुदा बेटी अपने पिता के बजाय पति के घर की जिम्मेदारी है। शादीशुदा बेटे व बेटी में भेदभाव नहीं किया जा सकता है। राजस्थान हाई कोर्ट की एक फैसले में की गई यह टिप्पणी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

दरअसल पिता की मौत के बाद शादीशुदा बेटी को नौकरी देने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। जिसके तहत मौत के बाद सरकारी नौकरी पर बेटी का भी हक है। दरअसल मामला जैसलमेर जिले के बिजली विभाग का है,  जहां डिस्कॉम ने मांं के स्वास्थ्य कारणों से पति की मौत के बाद दी जाने वाली नौकरी मेंं असमर्थता जाहिर करते हुए अपनी बेटी के लिए नौकरी चाही थी। जोधपुर डिस्कॉम ने बेटी के शादीशुदा होने का तर्क देकर उसे नौकरी देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।

राजस्थान हाईकोर्ट जज पुष्पेन्द्र सिंह भाटी ने उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कोर्ट का यह मानना है कि शादीशुदा व अविवाहित बेटे-बेटियों में भेदभाव नहीं किया जा सकता है। यह संविधान के आर्टिकल 14, 15 व 16 का उल्लंघन है। जोधपुर डिस्कॉम की ओर से तर्क दिया गया कि नियमानुसार शादीशुदा बेटी मृतक पिता पर आश्रित नहीं मानी जा सकती है। ऐसे में उसे नौकरी पर नहीं रखा जा सकता। हाईकोर्ट ने कहा कि अब सोच बदलने का समय आ गया, है, शादीशुदा बेटा-बेटी में भेदभाव नहीं किया जा सकता। न्यायाधीश भाटी ने शोभा से नए सिरे से आवेदन करने को कहा। वहीं, जोधपुर डिस्कॉम को आदेश दिया कि शोभा देवी को अपने पिता के स्थान पर तीन महीने में अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाए।

यह है मामला

जैसलमेर निवासी शोभादेवी ने एक याचिका दायर कर कहा कि उसके पिता गणपतसिंह जोधपुर डिस्कॉम में लाइनमैन के पद पर कार्यरत थे। पांच नवम्बर 2016 को उनका निधन हो गया। उनके परिवार में पत्नी शांतिदेवी व पुत्री शोभा ही बचे। शांतिदेवी की तबीयत ठीक नहीं रहती। ऐसे में वे अपने पति के स्थान पर नौकरी करने में असमर्थ है। शादीशुदा शोभा ने अपने पिता के स्थान पर मृतक आश्रित कोटे से नौकरी के लिए आवेदन किया। जोधपुर डिस्कॉम ने उसका आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया कि शादीशुदा बेटी को नौकरी नहीं दी जा सकती है।

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