पंजाब दी वड्डी इंसानियत की कहानियां: जल संरक्षण की जागरूकता फैलाने के प्रयास में जुटे हैं गुरमीत सिंह

गुरमीत सिंह पानी की बर्बादी रोकने लिए एक वर्ष से साइकिल पर गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। दैनिक जागरण को उन्होंने बताया- दिन में एक बार गुरुद्वारा बीड़ साहिब जी के बाहर संगत को जागरूक करता हूं कि बिना वजह पानी बर्बाद न करें।

By TilakrajEdited By: Publish:Tue, 11 Jan 2022 05:10 PM (IST) Updated:Tue, 11 Jan 2022 05:10 PM (IST)
पंजाब दी वड्डी इंसानियत की कहानियां:  जल संरक्षण की जागरूकता फैलाने के प्रयास में जुटे हैं गुरमीत सिंह
प्रदूषण से बचाव लिए बाइक की सवारी छोड़ साइकिल खरीदी

अपने बच्चों को कोठी, जमीन व जायदाद तो देकर जाओगे, मगर पीने के लिए पानी कहां से लाओगे। समाज सेवक गुरमीत सिंह रोजाना साइकिल से गांव-गांव जाकर इस नारे के जरिये लोगों को जल संरक्षण के लिए जागरूक करते हैं। पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी की बाणी पवन गुरु, पानी पिता, माता धरत महत के उपदेश को घर-घर तक पहुंचाने के लिए गुरमीत सिंह अपना काम मान चुके हैं।

तरनतारन के कस्बा झब्बाल खुर्द निवासी गुरमीत सिंह बारहवीं तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद गुरुद्वारा बीड़ बाबा बुड्ढा साहिब जी गेट के पास कार सर्विस सेंटर चलाते थे। एक वर्ष पहले गुरमीत सिंह से बेटी जशनप्रीत कौर ने पूछा कि वह कार की सर्विस करते समय अनमोल पानी क्यों बहाते रहते हैं। बेटी की इस बात का उनके पास जवाब नहीं था। उसके बाद उन्होंने वह काम छोड़ दिया। उनकी दो दुकानें किराये पर हैं। हर महीने 15 से 20 हजार रुपये किराया आता है। उनके पिता गुरदयाल सिंह रोडवेज से सेवानिवृत हैं। पिता की पेंशन से घर का गुजारा अच्छी तरह हो जाता है।

गुरमीत सिंह ने अक्टूबर 2020 में बीड़ बाबा बुड्ढा साहिब जी के जोड़ मेले से छोटा माइक स्पीकर खरीदा। श्री गुरु नानक देव जी की जल संरक्षण को प्रेरित करती पवित्र बाणी वाली होर्डिंग तैयार करवाई। प्रदूषण से बचाव लिए बाइक की सवारी छोड़ साइकिल खरीदी।

गुरमीत सिंह पानी की बर्बादी रोकने लिए एक वर्ष से साइकिल पर गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। दैनिक जागरण को उन्होंने बताया कि दिन में एक बार गुरुद्वारा बीड़ साहिब जी के बाहर माइक के माध्यम से संगत को जागरूक करता हूं कि बिना वजह पानी बर्बाद न करें। वह 200 से अधिक गांवों में जाकर पानी बचाने के लिए पंचायतों को जागरूक कर चुके हैं। तीन वर्ष के दौरान उन्होंने सड़कों के किनारों पर 500 के करीब पौधे भी लगाए हैं। गुरमीत सिंह की पत्नी दविंदर कौर, बेटी जशनप्रीत कौर व बेटा गुरबख्श सिंह कहते हैं कि समाज को जागरूक करने लिए जो प्रयास शुरू किया गया है, वह एक दिन रंग लाएगा।

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