बिन पैसे कौंसिल लाचार, छतें खस्ताहाल और जर्जर दीवार

खस्ताहाल छतें जर्जर दीवारें दीवारों पर दरारें देखकर जहां किसी के बैठने का मन भी नहीं करता है

By JagranEdited By: Publish:Thu, 14 Nov 2019 11:48 PM (IST) Updated:Thu, 14 Nov 2019 11:48 PM (IST)
बिन पैसे कौंसिल लाचार, छतें खस्ताहाल और जर्जर दीवार
बिन पैसे कौंसिल लाचार, छतें खस्ताहाल और जर्जर दीवार

मनदीप कुमार, संगरूर

खस्ताहाल छतें, जर्जर दीवारें, दीवारों पर दरारें देखकर जहां किसी के बैठने का मन भी नहीं करता है, ऐसी ही असुरक्षित इमारत में नगर कौंसिल के मुलाजिम अपनी ड्यूटी देने को मजबूर हैं। बेशक इस इमारत को असुरक्षित घोषित किए छह माह से अधिक समय हो गया है, लेकिन अभी तक नगर कौंसिल के लिए नया दफ्तर बनाने या मुलाजिमों को किसी अन्य सुरक्षित जगह पर शिफ्ट करने की योजना नहीं बनाई गई है। नगर कौंसिल हाउस ने बेशक कौंसिल दफ्तर बनाने के लिए प्रस्ताव पिछली बैठक में रखा था, लेकिन वह भी ठंडे बस्ते पर ही पड़ गया है, जिससे साफ है कि मुलाजिमों को अभी इसी खस्ताहाल इमारत में जान हथेली पर रखकर कार्य करना होगा।

नगर कौंसिल भवन को पीडब्ल्यूडी बीएंडआर विभाग ने अप्रैल में असुरक्षित घोषित किया था। नगर कौंसिल दफ्तर में प्रधान, कार्यसाधक अफसर के अलावा 24 मुलाजिम सेवा निभा रहे हैं। दफ्तर में न केवल सुविधाओं का अभाव है, बल्कि साथ ही असुरक्षित इमारत में बैठकर काम करना मुलाजिमों के लिए आसान नही हैं।

छतों से गिरता हैं प्लास्टर, टपकती हैं छतें

नगर कौंसिल कार्यालय के कमरों की छतें पूरी तरह से बेजान हो चुकी हैं, जिस कारण कमरों की छतों से प्लास्टर टूटकर नीचे मुलाजिमों पर गिरता है, जिससे मुलाजिमों की जान भी खतरे में है। इमारत की छतें बरसात के मौसम में टपकती हैं, जिस कारण न केवल मुलाजिमों काम करना मुश्किल होता है, बल्कि दफ्तर में रखा रिकार्ड भी खराब हो जाता है। कार्यालय का काफी रिकार्ड बाहर बरामदे में अलमारियों में रखा जाता है, ताकि छतों से गिरते पानी की वजह से रिकार्ड को खराब होने से बचाया जा सके। 24 मुलाजिम करते हैं काम, पार्षदों के लिए नहीं कमरा

यहां कार्यसाधक अफसर का दफ्तर, नगर कौंसिल प्रधान के अलावा नक्शा ब्रांच, प्रॉपर्टी टैक्स ब्रांच सहित अन्य कई ब्रांचें मौजूद हैं। जिसमें दस क्लर्क, दो जेई, एक सुपरिटेंडेंट, एक अकाउंटेंट, एक चीफ सेनेटरी इंस्पेक्टर, एक सेनेटरी इंस्पेक्टर, 13 दर्जा चार मुलाजिम, चार ड्राइवरों का स्टाफ है। इसके अलावा 27 पार्षद भी मौजूद हैं, जो नगर कौंसिल दफ्तर में दिन भर आते-जाते हैं, लेकिन इनके बैठने के लिए कमरा ही नहीं है। मजबूरन सभी को नगर कौंसिल प्रधान के कमरे में ही बैठना पड़ता है। वर्षो से लटक रही है कार्यालय की मांग

नगर कौंसिल दफ्तर की खस्ताहालत के कारण काफी समय से नए दफ्तर की मांग की जा रही है, लेकिन इस संबंधी कोई फैसला नहीं हो पाया है। कर्ज के बोझ व आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रही कौंसिल खुद दफ्तर तैयार करने में असमर्थ है। दफ्तर के निर्माण की खातिर नगर कौंसिल के मालिकाना हक की बाहरी जमीन बेचकर फंड जुटाने के विचार पर कभी नगर कौंसिल के पक्ष एकमत नहीं होते हैं, जिसके चलते निर्माण का मसला भी अधर में लटकता है, जिसका खामियाजा मुलाजिमों को भुगतना पड़ रहा है। हाउस ने रखा कौंसिल कार्यालय के निर्माण की मंजूरी का प्रस्ताव

पांच नवंबर को हाउस की बैठक में नगर कौंसिल के प्रधान रिपुदमन सिंह ढिल्लो ने प्रस्ताव रखा था कि असुरक्षित किए गए दफ्तर से निजात दिलाने की खातिर जमीन को बेचने की अनुमति दी जाए। ताकि जमीन बेचकर मिलने वाले फंड की मदद से नगर कौंसिल दफ्तर का निर्माण किया जा सके। यह प्रस्ताव मंजूरी के लिए डायरेक्टर को भेजा गया है, लेकिन अभी तक इस पर कोई प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई है। हाउस ने बेशक इस प्रस्ताव पर अपना समर्थन दिया था, लेकिन पार्षद विनोद कुमार बोदी व जसविदर सिंह काकू ने इस प्रस्ताव का बहिष्कार कर दिया था। मंजूरी के लिए भेजा डायरेक्टर को प्रस्ताव

कार्यसाधक अफसर रमेश कुमार ने कहा कि हाउस की बैठक में उनकी गैरमौजूदगी में दफ्तर के निर्माण संबंधी प्रस्ताव रखा था, जिसे मंजूरी के लिए डायरेक्टर को भेजा गया है।

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