आजादी के समय लागू होना चाहिए था नागरिकता बिल: नड्डा

संगरूर भारत देश के आजाद होते ही नागरिकता बिल लागू हो जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Jan 2020 05:58 PM (IST) Updated:Thu, 16 Jan 2020 05:58 PM (IST)
आजादी के समय लागू होना चाहिए था नागरिकता बिल: नड्डा
आजादी के समय लागू होना चाहिए था नागरिकता बिल: नड्डा

जागरण संवाददाता, संगरूर : देश के आजाद होते ही नागरिकता कानून लागू हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। पाकिस्तान, बंगलादेश, तुर्किस्तान, अफगानिकस्तान सहित अन्य मुस्लिम देशों में हिदू व सिख परिवारों पर जो अत्याचार हुआ है वह होने से बच जाता। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब नागरिकता संशोधन कानून के माध्यम से ऐसे शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी।

उक्त बता राष्ट्रीय एकता मंच के क्षेत्रीय संगठन मंत्री विद्या भारती विजय नड्डा ने मंदिर नयना देवी मंदिर के पार्क में नागरिकता संशोधन कानून के हक में रखी गई जन समर्थन यात्रा को संबोधित करते हुए कहे। यहां से विशाल जन समर्थन रैली शहर के बाजारों से होते हुए दोबारा मंदिर में पहुंचकर संपन्न हुई। जिला संगरूर द्वारा नागरिकता कानून के समर्थन में निकाली गई जन समर्थन को संबोधन करते हुए उन्होंने कहा कि अगर देश की आजादी के तुरंत बाद नागरिकता बिल लागू हो जाता तो हिदू, सिखों सहित अल्पसंख्यकों पर हुआ अत्याचार न होता। आजादी के बाद प्रधानमंत्री पंडित जवाहरवाला नेहरू व पाकिस्तान के लियाकत अली में समझौता हुआ था कि भारत में मुसलमान व पाकिस्तान में हिदू व सिख सुरक्षित रहेंगे। भारत में हिंदुओं को आजादी से जीने का मौका मिले। कितु पाकिस्तान में हिदुओं व सिखों पर जुल्म किए गए हैं। अब यह बिल लागू होने से भारत के बाहरी मुस्लिम देशों को हिदुओं व सिखों पर अत्याचार करने से पहले सौ बार सोचना पड़ेगा। उन्होंने कांग्रेस सहित अन्य विरोधी पार्टियों को आडे़ हाथों लेते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करने वाले नेताओं व पार्टियां देश की जनता को गुमराह करने की राजनीति कर रहे हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह को पंजाब में यह कानून लागू करना चाहिए। संस्था के जिला प्रधान एडवोकेट राम पाल ने कहा कि नागरिकता कानून भारत को तोड़ने वाला नहीं, बल्कि जोड़ने वाला है। इसका सभी वर्गों व समुदायों के लोगों को समर्थन करना चाहिए।

इस मौके पर भाजपा के जिला प्रधान रणदीप दियोल, कार्यकारिणी सदस्य सरजीवन जिदल, जतिदर कालड़ा, नीरू तुली, प्रदीप जैन, दीपक जैन, सचिन शर्मा आदि उपस्थित थे।

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